छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा तथा बाड़ी विषय पर सबसे पहले शोध करने वाले हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के शोधार्थी, मौखिक साक्षात्कार हुआ पूरा, शीघ्र मिलेगी डिग्री

छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा तथा बाड़ी विषय पर सबसे पहले शोध करने वाले हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के शोधार्थी, मौखिक साक्षात्कार हुआ पूरा, शीघ्र मिलेगी डिग्री


छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा तथा बाड़ी विषय पर सबसे पहले शोध करने वाले हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के शोधार्थी, मौखिक साक्षात्कार हुआ पूरा, शीघ्र मिलेगी डिग्री

दुर्ग 20 अगस्त । हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग में पहला पी-एच.डी. वायवा समाजशास्त्र विषय में आयोजित हुआ। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग शोधकेन्द्र के शोधार्थी एस कुमार का हुआ। ग्रामीण समाज में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा तथा बाड़ी के सामाजिक महत्व का राजनांदगाव जिले के संदर्भ में समाजशास्त्रीय अध्ययन पर किया है।
यह जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं पीएचडी सेल प्रभारी, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि समाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत समाज शास्त्र विषय में पीएचडी की उपाधि हेतु पहला वायवा अर्थात मौखिक साक्षात्कार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग शोधकेन्द्र के शोधार्थी एस कुमार का हुआ, इनकी निर्देशक साइंस काॅलेज, दुर्ग की समाजशास्त्र की सहायक प्राध्यापक, डाॅ. सपना शर्मा सारस्वत थीं। बाह्य परीक्षक के रूप में बरकातुल्ला विश्वविद्यालय भोपाल के समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक, डाॅ. कुमरेश एस कश्यप थें।

विश्वविद्यालय के टैगोर सभागार में आयोजित इस पीएचडी मौखिक साक्षात्कार में शामिल होने हेतु विश्वविद्यालय की कुलपति, डाॅ. अरूणा पल्टा के निर्देश पर ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों व्यवस्था की गई थीं। डाॅ. पल्टा के अनुसार क्योंकि महाविद्यालयों में प्रवेश कार्य जारी हैं, अतः बड़ी संख्या में महाविद्यालयों के प्राध्यापक पीएचडी वायवा के दौरान भौतिक रूप से उपस्थित होने में असमर्थ थें। इसी कठिनाई को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने वायवा में ऑनलाइन रूप से शामिल होने हेतु गुगल मीट का लिंक जारी किया था। इस लिंक के माध्यम से लगभग 100 से अधिक लोग पीएचडी वायवा के दौरान ऑनलाइन रूप से जुड़े थें। शोध छात्र  एस कुमार द्वारा अपने शोध कार्य के पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण दिये जाने के पश्चात् सभागार में उपस्थित बाह्य परीक्षक, कुलपति, कुलसचिव, विश्वविद्यालय के अधिकारी प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं ने अनेक प्रश्न पुछें। विश्वविद्यालय की प्रथम पीएचडी डिग्री धारक होने का गौरव समाजशास्त्र विषय के  एस कुमार को प्राप्त हुआ। एस कुमार द्वारा किये गये शोध आर्य में ग्रामीण समाज में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा तथा बाड़ी के सामाजिक महत्व का राजनांदगाव जिले के संदर्भ में समाजशास्त्रीय अध्ययन मुख्य रूप से किया गया था। शोध कार्य से प्राप्त निष्कर्ष  के अनुसार पर्यावरण संरक्षण, कम्पोस्ट खाद निर्माण पशुओं का संरक्षण तथा मृदा संरक्षण पर केंद्रित ये योजना आम जनमानस तथा विशेष कर ग्रामीण अंचल के लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। 06 अध्यायों में विभक्त इस शोध कार्य के दौरान शोधछात्र द्वारा यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त उच्च स्तरीय शोध पत्रिका में 02 शोधपत्र भी प्रकाशित किये गये जिसकी सभागार में उपस्थित सभी विषय विशेषज्ञों ने सराहना की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव, भूपेन्द्र कुलदीप, साइंस काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. आर.एन.सिंह, डाॅ. शकील हुसैन, डाॅ. राजेन्द्र चौबे डाॅ. सुत्रित्रा शर्मा डाॅ. अश्वनी महाजन, खुर्सीपार काॅलेज की डाॅ. सुनीता मिश्रा, डाॅ. अनिता मेश्राम, शासकीय महाविद्यालय पाटन की डीन समाजशास्त्र संकाय, डाॅ. शोभा श्रीवास्तव तथा अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रश्न पूछ कर शोधार्थी के शोध कार्य की दक्षता का परीक्षण किया। डाॅ. सपना शर्मा द्वारा दिये गये धन्यवाद ज्ञापन के साथ पीएचडी मौखिक परीक्षा सम्पन्न हुई।