आबकारी विभाग केवल जनता की भावना के आधार पर शराब की दुकान का लाइसेंस रद्द नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

आबकारी विभाग केवल जनता की भावना के आधार पर शराब की दुकान का लाइसेंस रद्द नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट


आबकारी विभाग केवल जनता की भावना के आधार पर शराब की दुकान का लाइसेंस रद्द नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 के तहत एक शराब की दुकान को लाइसेंस केवल शराब की दुकान के स्थान के संबंध में जनता की भावना के आधार पर नहीं रद्द किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ के अनुसार जब तक शराब की दुकान का लाइसेंस वैधानिक नियमों का उल्लंघन नहीं करता है, तब तक इसे केवल जन भावना के कारण रद्द नहीं किया जा सकता है।

ये टिप्पणियां अदालत ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए की थी। आबकारी आयुक्त ने वित्तीय आयुक्त द्वारा पारित 2019 के एक आदेश को चुनौती दी, जिसमें दक्षिण दिल्ली में स्थित 2 बैंडिट्स बार के शराब लाइसेंस को बहाल किया गया था।

हाईकोर्ट के समक्ष, विभाग ने कहा कि उसके पास किसी भी कारण से लाइसेंस रद्द करने की शक्ति है।

हालांकि, कोर्ट इस तर्क से प्रभावित नहीं हुई और कहा कि वह एक सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में वे निष्पक्ष रूप से कार्य करने के लिए बाध्य हैं।

अदालत के अनुसार, कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में किसी भी आशंका को पुलिस द्वारा देखा जाना चाहिए और विभाग को यह साबित करना चाहिए कि लाइसेंस धारक ने नियमों का उल्लंघन किया है।

इस प्रकार देखते हुए, अदालत ने शराब लाइसेंस की बहाली को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।

शीर्षक: उप. आयुक्त आबकारी बनाम मैसर्स 2 बैंडिट्स रेस्टोरेंट

केस नंबर: डब्ल्यूपी (सी) 8687/2022