निजी महाविद्यालयों को शीघ्र नैक मूल्यांकन हेतु प्रेरित करने कुलपति ने ली बैठक, 31 दिसंबर तक कराए नैक मूल्यांकित, 70 से अधिक निजी महाविद्यालय के प्राचार्यो रहे उपस्थित

निजी महाविद्यालयों को शीघ्र नैक मूल्यांकन हेतु प्रेरित करने कुलपति ने ली बैठक, 31 दिसंबर तक कराए नैक मूल्यांकित, 70 से अधिक निजी महाविद्यालय के प्राचार्यो रहे उपस्थित


 

दुर्ग 4 नवंबर । निजी महाविद्यालयों को शीघ्र नैक मूल्यांकन हेतु प्रेरित करने के लिए डाॅ. अरूणा पल्टा, कुलपति, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग समस्त प्राचार्यो की ऑनलाइन बैठक लीं। बैठक में उपस्थित लगभग 70 से अधिक निजी महाविद्यालय के प्राचार्यो, आइक्यूएसी समन्वयकों तथा नैक समन्वयकों को संबोधित करते हुए डाॅ. पल्टा ने कहा कि अधिकांश महाविद्यालय 31 दिसंबर तक अनिवार्य रूप से अपने महाविद्यालय को नैक द्वारा मूल्यांकित करा लें। इसके प्रथम चरण में नैक के पोर्टल पर महाविद्यालय द्वारा पंजीकरण तथा 30 नवंबर तक आईआईक्यूए संबंधी प्रोफार्मा भरकर नैक द्वारा निर्धारित शुल्क के साथ नैक मुख्यालय को भेजना सुनिश्चित करें।

इस ऑनलाइन बैठक में विश्वविद्यालय की डीसीडीसी, डाॅ. प्रीता लाल ने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय से संबद्ध 78 निजी महाविद्यालय में से लगभग 10 महाविद्यालय नैक द्वारा मूल्यांकन की प्रक्रिया की पात्रता नहीं रखते इन महाविद्यालयों को प्राचार्य तथा स्टाॅफ को धारा 28 की प्रक्रिया पूर्ण कर  नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया अपनाने हेतु विश्वविद्यालय ने  निर्देश जारी किये हैंं। ये सभी महाविद्यालय धारा 28 के अंतर्गत नियुक्ति हेतु पद विज्ञापित कर रहे हैं। अभी लगभग 10 अशासकीय महाविद्यालय नैक द्वारा मूल्यांकित हो चुके हैं। तथा 08 महाविद्यालय का आईआईक्यूए जमा हो चुका हैं। 04 महाविद्यालयों की एसएसआर रिपोर्ट नैक में जमा हो चुकी हैं, तथा 03 महाविद्यालयों में दिसंबर के पूर्व नैक टीम का भ्रमण हो जायेगा। डाॅ. लाल ने प्रत्येक महाविद्यालय की व्यक्तिगत समस्याओं की जानकारी लेकर उनके निराकरण का आश्वासन दिया।

विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में नैक की महत्ता बताते हुए नैक मूल्यांकन की नई पद्धति के महत्वपूर्ण बिन्दुओं की विस्तार से जानकारी दीं। डाॅ. श्रीवास्तव ने बताया कि प्रत्येक शासकीय अशासकीय महाविद्यालय को नैक मूल्यांकन कराना आवशक हैं वरना यूजीसी, रूसा आदि से प्राप्त होने वाली अनुदान राशि पर रोक लग सकती हैं।