मानसिक स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी के बीच में संतुलन स्थापित करके ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है – डॉ हमदानी, बीआईटी में व्यक्तित्व विकास एवं मेंटल हेल्थ विषय पर सेमिनार संपन्न

मानसिक स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी के बीच में संतुलन स्थापित करके ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है – डॉ हमदानी, बीआईटी में व्यक्तित्व विकास एवं मेंटल हेल्थ विषय पर सेमिनार संपन्न


दुर्ग 28 सितंबर । भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दुर्ग में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (संगठन व्यवहार एवं नीति) तथा यंग मैनेजर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में व्यक्तित्व विकास एवं मेंटल हेल्थ विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर शमा हमदानी एकेडमिक काउंसलर पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय दुर्ग एवं संगीता सरकार एचआर मैनेजर आईबी ग्रुप राजनंदगांव उपस्थित थी ।


कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम प्रभारी प्रोफेसर श्रवण पांडे ने बताया कि वर्तमान समय में छात्रों पर बहुत तरह के दबाव होते हैं चाहे वह एडेमिक हो ,सोशल हो या टेक्नोलॉजी से हो इन सबका उनके मानसिक संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जो कहीं न कहीं उनके प्रोग्रेस में वह बाधा डालती इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर इस सेमिनार का आयोजन किया गया है, हम अपने मानसिक अस्वस्थता को कैसे स्वस्थ बनाएं जिससे हमारा संपूर्ण विकास हो सके।
डॉ शमा हमदानी ने कहा कि आजकल हम टेक्नोलॉजी पर पूरी तरह डिपेंडेंट हो गए हैं। हम जो भी कार्य करते हैं वह टेक्नोलॉजी के सपोर्ट से करते हैं जो कहीं ना कहीं हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बाधा पहुंचाता है, हमारे सोचने और समझने की शक्ति कम होती जा रही है और यही कारण है कि आज के विद्यार्थियों को इस प्रकार के बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है । विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी की आवश्यकता तो पड़ती ही है लेकिन यदि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी के बीच में संतुलन स्थापित करके चले तो निश्चित ही हम अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।


श्रीमती संगीता सरकार ने कहा कि प्रबंधन विभाग के विद्यार्थियों में व्यक्तित्व विकास का होना बहुत जरूरी है क्योंकि कहीं ना कहीं वह भविष्य में किसी कंपनी में एक अच्छे पोस्ट पर पदस्थ रहते हैं और यह कार्य तभी संभव हो पाता है जब उनमें आत्मविश्वास ,नैतिकता ,मैनेजमेंट, एटीट्यूड ,सृजनात्मकता ,धनात्मक सोच होगा तभी वह किसी भी कार्य को अच्छी तरह से पूर्ण कर पाएंगे और इसके लिए उन्हें विभिन्न प्रकार के कार्य विधि करने होंगे और आगे आना होगा ।
विभागाध्यक्ष डॉ उर्वशी श्रीवास्तव ने कहा कि महाविद्यालय के विद्यार्थियों हेतु समय-समय पर इस प्रकार के कार्यक्रम उनके व्यक्तित्व विकास एवं उनकी धनात्मक सोच को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है।


महाविद्यालय डायरेक्टर डॉक्टर अरुण अरोरा एवं प्राचार्य डॉ मोहन गुप्ता ने कार्यक्रम की सराहना की एवं बधाई देते हुए कहा कि जब तक विद्यार्थियों में शैक्षणिकता के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास नहीं होगा तब तक वह एक पूर्ण विद्यार्थी नहीं बन सकते ।
सेमिनार में प्रबंधन विभाग के सभी प्राध्यापक गण एवं विद्यार्थी उपस्थित थे ।