पड़ोसी डॉक्टर अंकल को देखकर मिली प्रेरणा, उनके के समान लोगों की सेवा करने का बनाया मन, पढ़िए ग्राम छुरा गरियाबंद के युवक की डॉक्टर बनने की सफलता की कहानी

पड़ोसी डॉक्टर अंकल को देखकर मिली प्रेरणा, उनके के समान लोगों की सेवा करने का बनाया मन, पढ़िए ग्राम छुरा गरियाबंद के युवक की डॉक्टर बनने की सफलता की कहानी


भिलाई नगर 10 सितंबर । बचपन में हमारे पड़ोस में एक डॉक्टर रहा करते थे। जब वे घर से बाहर निकलते तो लोग बड़े इज्जत से उनके साथ पेश आते। मैं देखता कई बार तो उनके घर के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहती थी। उनके सेवा भाव के चर्चे दूर-दूर के गांवों तक फैली थी। एक डॉक्टर के रूप में उनको मिलता सम्मान देखकर मैंने बचपन में ही तय कर लिया था कि अगर कुछ बनूंगा तो डॉक्टर ही। डॉ. गुप्ता से मिली प्रेरणा और कड़ी मेहनत का परिणाम है कि आज मैं प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में त्वचा रोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। छुरा, गरियाबंद के रहने वाले डॉ. मयंक सिन्हा कहते हैं कि हर किसी के जीवन में कोई न कोई आइडल होता है, मेरे आइडल पड़ोस में रहने वाले डॉ. अंकल थे। जिनके कारण आज मैं स्वयं जरूरतमंद मरीजों का उपचार एक विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में कर पा रहा हूं। मेरी स्टूडेंट लाइफ काफी स्ट्रागल से भरी रही। 12 वीं के बाद पहले ड्रॉप में सफलता नहीं मिली तो मैंने डेंटल ज्वाइन कर लिया था। बाद में डेंटल छोड़कर एक बार फिर कड़ी मेहनत की और इस बार सीधे एमबीबीएस की सीट मिली। साल 2008 में सीजी पीएमटी क्वालिफाई करना बहुत ज्यादा मुश्किल था क्योंकि उस समय छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज की सीट बहुत कम थी। खुद से किया वादा और सेल्फ कॉन्फिडेंस था जिसके कारण मैं अपनी सीट सुनिश्चित करने में सफल हो पाया।

मेडिकल एंट्रेस के बारे में नहीं थी ज्यादा जानकारी

डॉ. मयंक ने बताया कि शुरुआत में मुझे मेडिकल एंट्रेस की ज्यादा जानकारी नहीं थी। कैसे पढ़ते हैं, किस तरह का सिलेबस होता है, एग्जाम पैटर्न कैसे होता है, इन सभी बातों से मैं अंजान था। बस इतना तय था कि चाहे कोई भी एग्जाम क्यों न देना पड़े लेकिन घर तो मैं डॉक्टर बनकर ही जाऊंगा। कोचिंग पहुंचने पर कई लोगों को ड्रॉप लेकर तैयारी करता देख एक बार डर भी लगा। टीचर्स और दोस्तों के मोटिवेशन से अपने डर पर काबू पाना सीखा। 12 वीं के बाद जब मेडिकल एंट्रेस की तैयारी शुरू की तो फिजिक्स बहुत ज्यादा टफ लगता था। फिजिक्स को लेकर दिमाग में कई तरह की उलझन थी। समझ में ही नहीं आता था इसे पढऩा कहां से शुरू करूं। कोचिंग में जब प्वाइंट टू प्वाइंट कॉन्सेप्ट क्लीयर करके पढ़ाया गया तब जाकर फिजिक्स मेरे लिए आसान हुआ। पहले ड्रॉप में तैयारी पूरी थी पर मेडिकल कॉलेज की सीट नहीं मिली। ऐसे में डेंटल कॉलेज ज्वाइन कर लिया। डेंटल में मन नहीं लग रहा था। बार-बार ध्यान एमबीबीएस की ओर जा रहा था। इसलिए डेंटल छोड़कर एक साल और तैयारी करने का मन बनाया। दूसरे साल कड़ी मेहनत के चलते आखिरकार सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया।

सचदेवा में टीचर्स करते थे मोटिवेट


सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज से मेडिकल एंट्रेस की कोचिंग करने वाले डॉ. मयंक सिन्हा ने बताया कि अक्सर टेस्ट सीरिज में जब नंबर और रैंक पीछे आता था तो मैं बहुत ज्यादा डिमोटिवेट हो जाता था। निराशा के बीच जब टीचर्स और डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर मोटिवेट करते थे तो सेल्फ एनालिसिस करता। अगले टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत करता था। सचदेवा में टीचर्स काफी सपोर्टिव हैं जिसके कारण बच्चों में ज्यादा दिन तक निराशा हावी नहीं रहती। सचदेवा से पढ़कर डॉक्टर बन चुके स्टूडेंट जब गेस्ट सेशन में आते थे तो एक अलग ही तरह की एनर्जी का संचार मन-मस्तिष्क में होता था। सचदेवा में मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के साथ मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर भी काफी ध्यान दिया जाता था। जैन सर अक्सर हमें बेटर हेल्थ के लिए टिप्स दिया करते थे। एक ही छत के नीचे सभी विषयों की तैयारी होने के कारण स्टूडेंट को भटकना नहीं पड़ता।

रिविजन जरूर करें


नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूं कि रिविजन बहुत जरूरी है। आप चाहे कितनी भी तैयारी कर ले अगर समय पर रिविजन नहीं किया तो एग्जाम में कॉन्फिडेंट नहीं रह पाएंगे। इसलिए टाइम टेबल बनाते समय रिविजन के लिए अलग से समय निकाले। कोशिश करें कि सुबह जल्दी उठकर पढ़ें, क्योंकि इस समय हमारे शरीर और मन की एनर्जी दोगुनी होती है। शांत माहौल के कारण चीजें जल्दी याद भी हो जाती है।