पॉजिटिव थिकिंग से मिला डिप्रेशन से निजात, वीकनेस पर किया काम, पढ़ें डॉ अशोक के सफलता की कहानी

पॉजिटिव थिकिंग से मिला डिप्रेशन से निजात, वीकनेस पर किया काम, पढ़ें डॉ अशोक के सफलता की कहानी


सफलता के लिए जरूरी है टाइम मैनेजमेंट

भिलाई नगर 24 सितंबर . जांजगीर चांपा जिले के ग्राम बोरदा निवासी डॉ. अशोक सिंह सिदार आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। उनकी गिनती अपने क्षेत्र के साथ ही छत्तीसगढ़ के जाने-माने एनेसथीसिया स्पेशलिस्ट में होती है। स्टूडेंट लाइफ में एक वक्त ऐसा भी था जब वे टेस्ट में कम नंबर आने पर डिप्रेशन में चले जाते थे। बार-बार सोच में पड़ जाते थे कि कैसे मैं मेडिकल एंट्रेस क्लीयर करूंगा। अपनी कमजोरियों को ताकत बनाकर उन्होंने न सिर्फ डिप्रेशन पर काबू पाया बल्कि पॉजिटिव थिकिंग और कड़ी मेहनत से सीजी पीएमटी उस वक्त क्लीयर किया जब प्रदेश में बहुत कम सीट मेडिकल कॉलेज की होती थी। साल 2009 में सीजी पीएमटी क्वालिफाई करके एमबीबीएस के बाद उन्होंने साल 2014 में पीजी का एंट्रेस भी क्वालिफाई किया। डॉ. सिदार कहते हैं कि सफलता के लिए सकारात्मक सोच होना बहुत जरूरी है। मेरे घर में कई लोग मेडिकल प्रोफेशन में पहले से थे लेकिन फिर भी मैं अपनी एक अलग पहचान परिवार में बनाना चाहता था। इसलिए बचपन से ही तय कर लिया था कि बड़ा होकर मैं डॉक्टर ही बनूंगा। जब आप अपना लक्ष्य तय कर लेते हैं तो सफर काफी हद तक आसान हो जाता है। बस जरूरत रहती है लक्ष्य के अनुरूप कड़ी मेहनत करने की।

दसवीं तक नहीं पता था कि कैसे बनते हैं डॉक्टर


डॉ. सिदार ने बताया कि मेरी दसवीं तक स्कूलिंग गांव के स्कूल से हुई है। हमारे गांव से स्कूल लगभग दस किमी. दूर था। जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता था तब हमेशा मन में सवाल आता था कि आखिर डॉक्टर बनने के लिए कौन सी परीक्षा देनी पड़ती है। उस वक्त कोई ये बताने वाला भी नहीं था कि पीएमटी जैसी कोई परीक्षा होती है। बायो लेकर आगे पढ़ते गया तब दोस्तों से और सचदेवा कोचिंग के माध्यम से सभी परीक्षा की जानकारी मिली। 12 वीं बोर्ड के बाद मैंने सचदेवा कोचिंग में क्रैश कोर्स ज्वाइन कर लिया। क्रैश कोर्स से काफी हद तक पीएमटी के पैटर्न, टाइम मैनेजमेंट और सिलेबस की जानकारी हो गई। जिसके बाद मैंने बेसिक पर फोकस करते हुए इसे स्ट्रांग किया और साल 2009 में सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया।

सचदेवा के टीचर्स और फैकल्टी का मिला सपोर्ट


मेडिकल एंट्रेस की तैयारी सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज से करने वाले डॉ. सिदार कहते हैं कि मुझे सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के टीचर्स और फैकल्टी का काफी सपोर्ट मिला। खासकर सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की काउंसलिंग डिप्रेशन के दिनों में काम आई। सचदेवा में हजारों बच्चों के बीच टेस्ट सीरिज में बैठना और टॉप 20 के रिजल्ट मील का पत्थर साबित हुआ। मेन एग्जाम से पहले टेस्ट सीरिज से अपनी तैयारी को परखने का मौका मिलता था। टेस्ट के बहाने स्ट्रेस और टाइम मैनेजमेंट करना भी धीरे-धीरे सीख गया। जिसका फायदा मेन एग्जाम में मिला। सचदेवा में बिल्कुल घर जैसा माहौल मिला। जो इसे बाकी संस्थानों से अलग बनाती है। यहां हर बच्चे पर बराबर फोकस किया जाता है। टाइम-टाइम पर बच्चों के लिए मोटिवेशनल क्लासेस भी अरेंज की जाती है।

नोट्स बनाकर पढ़ें


नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूं कि आप नोट्स बनाकर पढऩा सीखें। कोशिश करें कि जो टॉपिक जिस दिन पढ़ाया गया है उसका रिविजन उसी दिन कर लें। इससे आपको बार-बार रिविजन की जरूरत नहीं पड़ेगी। टेस्ट जरूर दें चाहे आपकी तैयारी अधूरी क्यों न हो। टेस्ट से कभी नहीं भागना चाहिए। टेस्ट आपकी तैयारी परखने का सबसे अच्छा जरिया है।