नई टेक्नोलॉजी से देश का सकरात्मक विकास संभव, साईंस कालेज दुर्ग में त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन उद्घाटित, भौतिक शास्त्र विभाग तथा आई.आई.टी. भिलाई के संयुक्त आयोजन

<em>नई टेक्नोलॉजी से देश का सकरात्मक विकास संभव, साईंस कालेज दुर्ग में त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन उद्घाटित, भौतिक शास्त्र विभाग तथा आई.आई.टी. भिलाई के संयुक्त आयोजन</em>


दुर्ग 08 फरवरी । शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग एवं आईआईटी भिलाई के संयुक्त तत्वाधान में 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन Recent Trends in Science and Engineering का उद्घाटन सरस्वती वंदना, राज्य गीत एवं द्वीप प्रज्जवलन के साथ प्रारंभ हुआ। सभी अतिथियों का स्वागत पुष्प भेंट द्वारा किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि प्रो. एन.वी. रमणा राव निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर ने विज्ञान एवं यांत्रिकी से संबंधित नवीनतम घटनाओं के बारे में बताते हुए ये कहा की विज्ञान एवं यांत्रिकी में नवीनतम टेक्नोलॉजी के सहयोग से देश का सकरात्मक विकास संभव हो सकता है। उन्होंने विज्ञान एवं यांत्रिकी विषय पर छत्तीसगढ़ में अर्न्तराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए महाविद्यालय एवं आईआई.टी. भिलाई के शोध के क्षेत्र में योगदान की प्रशंसा की उन्होंने रोबेटिकस् कृत्रिम बुद्धिमता के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की। इसके पूर्व संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने इस कार्यक्रम की रुपरेखा एवं राम्मेलन किस प्रकार शोध विद्यार्थियों एवं अनुराधानों से जुड़े प्राध्यापकों के लिए उपयोगी होगा, इस प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की इस सम्मेलन में 42 मौखिक प्रस्तुतिकरण तथा 31 पोस्टर प्रस्तुतिकरण होंगे। एल.एस.आई. अध्यक्ष डॉ. के.व्ही. आर. मूर्ति ने इस सम्मेलन के माध्यम से कहा की हम विद्वानों और वैज्ञानिकों के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने की प्रमुख जिम्मेदारी है कि दुनिया आने वाली पीढ़ियों के लिए विज्ञान एवं इंजीनिरिंग से सुसज्जित हो।

प्रभारी प्राचार्य डॉ. अनुपमा अस्थाना ने अपने उदबोधन में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह महाविद्यालय सदैव गुणवत्तापूर्ण उच्चशिक्षा प्रदान करने की दिशा में अनुसंधान एवं नवाचार के लिए तत्पर रहा है। बदलते समय हमारा ग्रह विभिन्न प्रतिकूलताओं का सामना कर रहा है तो इस सम्मेलन से विज्ञान एवं इंजीनिरिंग में सतत् विकास की दिशा में सार्थक परिणाम आएगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुसुमांजली देशमुख एवं आभार प्रदर्शन डॉ. विकास दुबे द्वारा किया गया।


प्रथम टेक्नीकल सत्र में क्वाजुलु-नटाल विश्वविद्यालय, डरबन दक्षिण अफ्रीका से प्रो. श्रीकांत बी. जोनालागड्डा ने (प्लेनरी टॉक) नैनोकम्पोजिस्टस् का उत्प्रेरकीय उपयोग के बारे में शोधार्थियों को नवीनतम जानकारी प्रदान की तथा साथ ही साथ ग्रीन सेंथिसिस के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की। डॉ के वी आर मूर्ति अध्यक्ष, ल्यूमिनिसेंस सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रकृति में प्राकृतिक ल्यूमिनिसेंस के उपयोग के उपर विस्तार से से प्रस्तुतिकरण किया गया। आईआईटी भिलाई के डॉ. संजीब बैनर्जी ने पालीमर मटेरियल के इंजीनिरिंग एवं बायोमेडिकल के क्षेत्र में योगदान के विषय में बताया।
द्वितीय टेक्नीकल सत्र में सैन्य प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पोलैंड से डॉ. मार्ता मिचलास्का डोमानास्का ने लोहा एवं एल्यूमिनियम के मिश्रधातु के एनोडाजिंग के बारे में बताया। सेंटर फॉर एनर्जी रिसर्च एंड डेवलपमेंट ओबाफ्रेमी अवोलोवो यूनिवर्सिटी इले-लफे, नाइजीरिया से डॉ. एम.बी. लतीफ थर्मोल्यूमिनिसेंस डोजीमेट्री के संदर्भ में जानकारी प्रदान की तथा इसके उपयोग से विज्ञान एवं इजीनियरिंग के क्षेत्र में आने वाले परिवर्तनों का विवरण दिया। नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग से डॉ. एस.पी. पति ने मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के रुप में प्रोटॉन का उपयोग करके कंप्यूटिंग विषय में व्याख्यान दिया। बेलग्रेड विश्वविद्यालय से डॉ. जेलेना मिन्त्रिक ने प्लास्मॉन- फोनान इंटरेक्शन तथा प्रकाशीय सतह क्रिस्टल के गुणधर्मा को बताया तथा गोल्ड नैनोकणो की बायोसेंथेसिस की उपयोगिता के बारे में चर्चा की। आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय नागपुर से प्रो. एस.जे. ढोबले ने वनस्पति से चांदी के नैनोकणों को बनाने की चर्चा की और बेल के पौधे से तांबे के नैनोकणो का बनाने को समझाया।


तृतीय टेक्नीकल सत्र में आई.आई.टी. भिलाई के डॉ.ध्रुव प्रताप सिंह ने माइक्रोरोबोट्स की संरचना एवं उपयोगिता पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया उन्होंने माइक्रोरोबोट्स को रसायनिक सेंसिग तथा जीवाणु सेंसिग हेतु उपयोगी बताया। एएमपीआरआई भोपाल से वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज गुप्ता ने नैनोडिवाइसेस पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने ग्रेफीन तथा जिंक आक्साइड की संरचना को समझाया। केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा से डॉ. अकुश विज ने नैनोफासफर की उपयोगिता एवं गुणधर्मो को बताया। आई.आई.टी. भिलाई से डॉ. महावीर शर्मा ने तारो तथा अंतरिक्ष से संबंधित विरियल साम्यावस्था के बारे में बताया। कोमनिस विश्वविद्यालय ब्रेटिशलावा से डॉ, सालू अत्री ने अपने व्याख्यान से पर्यावरण से संबंधित मानी की शुद्धि के लिए फेराइट मटेरियलस की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। इसके साथ विभिन्न राज्यों से सम्मिलित शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। विभिन्न सत्रों को प्रो. एस.जे. ढोबले, प्रो. नारायण प्रसाद अधिकारी, डॉ. महावीर शर्मा, डॉ. आर. के. मिश्रा, डॉ.शेशा वेमपति, डॉ. जगजीत कौर सलूजा, डॉ. विकास दुबे, डॉ. सुधानवा पात्रा, डॉ. साव्यासाची घोष, डॉ. कुसुमाजली देशमुख द्वारा सफलतापूर्वक संचालन किया गया।


कार्यक्रम को सफल बनाने में भौतिक शास्त्र के समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक, शोधार्थी एम.एससी द्वितीय एव चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों का योगदान रहा। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विभागों के प्राध्यापक शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। संयोजक डॉ जगजीत कौर एवं सचिव डॉ अभिषेक कुमार मिश्रा के अनुसार इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय दिन आईआईटी भिलाई के मिथिला हॉल में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू नेपाल से प्रो. नारायण प्रसाद अधिकारी, प्रो. रामेश्वर अधिकारी, आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय से डॉ. एन. कुमार स्वामी, आई.आई. टी. भिलाई से डॉ. साव्यासाची घोष, डॉ.शेशा वेमपति, डॉ. पदमावती श्रीवास्तव, डॉ. आर. के. मिश्रा, डॉ. ओमप्रकाश के व्याख्यान होंगे। इसी के साथ विभिन्न राज्यों से सम्मिलित शोधार्थियों द्वारा पोस्टर प्रस्तुतिकरण भी होगा।