कानफ्लुएंस कॉलेज ऑफ़ हायर एजुकेशन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

कानफ्लुएंस कॉलेज ऑफ़ हायर एजुकेशन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन


कानफ्लुएंस कॉलेज ऑफ़ हायर एजुकेशन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

राजनांदगांव 24 जुलाई । कानफ्लुएंस कॉलेज ऑफ़ हायर एजुकेशन राजनंदगांव और राजीव गांधी राष्ट्रीय संस्था बौद्धिक संपदा प्रबंधन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया नागपुर के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन 22 जुलाई को किया गया ।  जिसका विषय बौद्धिक संपदा अधिकार, पेटेंट एवं डिजाइन फीलिंग था इसका उद्देश्य लोगों में बौद्धिक संपदा के अधिकारों और उसके महत्व को युवाओं के  महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए उन  तक पहुंचाना था । 

इस एक दिवसीय कार्यशाला के प्रमुख प्रवक्ता हिमांशु चंद्राकर जो एग्जामिनर ऑफ पेरेंट्स एंड डिजाइन आर.जी.एन.आई.आई.पी.एम नागपुर से थे। उन्होंने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा के जागरूकता के बारे में बताते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा वह है जो किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत , साहित्य , कृति , कला , खोज , प्रतीक , नामचीन , डिजाइन , कॉपीराइट , ट्रेडमार्क , पेटेंट आदि का स्वामी होता है । कॉपीराइट का साहित्यिक के क्षेत्र उपयोग में किया जाता  है, पेटेंट  बीस साल के लिए होता है जिसका उपयोग नए आइडिया को लाने के लिए किया जाता है। 

कार्यक्रम की समन्वयक श्रीमती मंजू लता साहू प्रभारी आइक्यूएसी ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की कार्यशाला द्वारा लोगों में बौद्धिक संपदा के महत्व और उद्देश्यों को उजागर करना है और साथ ही साथ नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है|।

कार्यक्रम की सह समन्वयक कुमारी गायत्री केवट विभागाध्यक्ष वाणिज्य ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा नए और बेहतर समाधान खोजने के लिए युवाओं की क्षमताओं को पहचानने की बात करती है और एक स्थाई भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है ।

महाविद्यालय के डायरेक्टर संजय अग्रवाल , आशीष अग्रवाल एवं डॉ मनीष जैन ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि नयापन ऊर्जावान और रचनात्मक दिमाग इन परिवर्तनों को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं जिससे हमे एक  स्थाई भविष्य की ओर बढ़ने की आवश्यकता है एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार  युवाओं की सहायता कर सकते हैं ।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ रचना पांडे ने कहा कि वर्तमान समय में बौद्धिक संपदा के संरक्षण की बहुत आवश्यकता है क्योंकि हम जो भी नया सृजन कार्य करते हैं उसको सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है चाहे वह समाज के उपयोग के लिए हो या स्वयं के आर्थिक सहयोग के लिए हो । इस तरह की कार्यशाला का आयोजन निश्चित ही हम सभी को एक नई सोच प्रदान करता है ।

 बौद्धिक संपदा कार्यक्रम में प्रीति इंदौरकर  विभागाध्यक्ष शिक्षा, राधे लाल देवांगन ,विजय मानिकपुरी , गौतमा रामटेके , धनंजय साहू ,इरफान कुरैशी ,ममता साहू , उर्वशी कड़वे , लक्ष्मण देवांगन ,नफीसा बानो सहित महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक एवं  विद्यार्थी सम्मिलित हुए ।