ऑनलाइन सट्टा – “अभी बहुत ज्यादा कठिन है डगर पनघट की”

<em>ऑनलाइन सट्टा – “अभी बहुत ज्यादा कठिन है डगर पनघट की”</em>



🛑 करोडो़ं का अवैध कारोबार बनाम कमजोर “हथियार”

संतोष मिश्रा
सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 9 दिसंबर। देश में ऑनलाइन सट्टेबाजी का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ने और विदेश से चलने वाले कई ऑनलाइन सट्टा प्लेटफार्म को भारत में बैन करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने 3 अक्टूबर को एडवाजरी जारी कर बेटिंग के डायरेक्ट या सरोगेट किसी भी तरीके के विज्ञापन को चलाने पर रोक लगाई है इसके बावजूद आनलाईन बेटिंग सट्टेबाज कंपनियों के विज्ञापन गूगल, यू ट्यूब, ओटीटी प्लेटफार्म पर धड़ल्ले से दिखाए जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों में पांव पसार चुका ऑनलाइन सट्टा बाजार लगभग 15 लाख करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है, इस पर नकेल कसने सरकार ने अलग-अलग समय पर कई एडवाइजरी भी जारी की है जिसमें सट्टेबाज कंपनियों के सरोगेट विज्ञापन को नहीं दिखाने की बात कही गई है मगर वेब सीरीज सहित हिंदी फिल्मों को आमजनों के मोबाईल पर परोसने वाले ऐप पर भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय का यह एक्शन अब तक “बेअसर” ही नजर आ रहा है।


🔵 सौ रूपये में आईडी और बोनस के झांसे
आईपीएल, क्रिकेट वर्ल्ड कप के बाद से पिछले कुछ वर्षोंं से आए दिन आनलाईन सट्टेबाजों को धरे जाने की खबरें लगातार सुर्खियों में रही हैं। दुर्ग जिले से शुरू होकर दूबई तक पहुंचे महादेव, अन्ना रेड्डी, सट्टा बट्टा डाट काम, नटराज समेत क्रिकेट बेट, फेयर प्ले, मजा प्ले, पेरी मैच, बेटवे, वुल्फ 777, शेयर प्ले, 1 एक्स बेट जैसे आनलाईन बेटिंग ऐप भारत के अनेक राज्यों में पैनलिस्ट बना करोडो़ं का दांव लगवा रहे हैं। वेब सीरीज और फिल्म डाउनलोडिंग ऐप पूरी फिल्म के दौरान बाटम स्क्रीन पर आनलाईन बेटिंग ऐप के ऐड प्रदर्शित कर रहे हैं। इतना ही नहीं महाराष्ट्र में सड़कों के किनारे “फेयर प्ले” नाम से विज्ञापन के बडे़ बडे़ होर्डिंग्स अब तक लगे हुए हैं। गूगल सर्च इंजन द्वारा आसानी से बेटिंग ऐप जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही हैं। मात्र 100 रूपये में बेटिंग बोनस समेत गेमिंग के नाम पर आनलाईन बेटिंग ऐप लुभावने विज्ञापनों से आमजन के मोबाइल तक रास्ता तैयार कर रहे हैं। वास्तविकता यह भी है कि इस अवैध कारोबार पर सैकडो़ंं कार्रवाई के बाद भी कडे़ कानून के अभाव में पुलिस महकमा हाथ मलने विवश है। सूचना तकनीकी कानून 2000 और सूचना तकनीक कानून (संशोधन) 2008 में आनलाईन सट्टा को लेकर कोई प्रावधान न होने से भी यह कारोबार बढ़ता जा रहा है। हर बडी़ छोटी कार्रवाई में पुलिस के पास केवल जुआ ऐक्ट ही एकमात्र हथियार है जिसमें आरोपी मुचलका पर छूट फिर इसी कारोबार में लौट रहे हैं।


🛑 सिक्का उछालते ही लग रहा “दांव”
कम परिश्रम में अधिकाधिक मुनाफे का स्वप्न संजोये युवा वर्ग जहां आसानी से आनलाईन बेटिंग की लत का शिकार हो रहा है वहीं अथक परिश्रम से रूपये जोड़ श्रमिक वर्ग भी बेंटिंग से ही जल्द बडी़ कमाई की चाहत में दांव पर दांव लगा रहा है। बेहतर और तेज इंटरनेट, किफायती स्मार्ट फोन और खर्च करने की क्षमता बढ़ने से ऑनलाइन सट्टेबाजी में मध्यम वर्ग भी आसानी से घुस कर कल्पनीय पहलू पर दांव लगा रहा है। ऑनलाइन सट्टेबाजी पोर्टल पर सिक्का उछालने के परिणाम से लेकर गेंदबाजों के प्रदर्शन और बल्लेबाज के शतक बनाने की संभावना सहित हर गेंद पर सट्टा लग रहा है। सट्टेबाजी अवैध है, लेकिन हर क्रिकेट सीजन में छोटे बडे़ तबके से करोड़ों-अरबों का सट्टा लग रहा है। बडे़ और हाईटेक शहरों से मोबाईल की बदौलत यह अवैध कारोबार गली मोहल्ले तक पसर चुका है और मकड़जाल बुनने वाले बडे़ सटोरिये अकूत मुनाफा कमा विदेश में बैठ युवाओं की टीम और पैनलिस्ट के माध्यम हर पल दांव लगवा रहे हैं। इस गोरखधंधे में कहीं भी बैठा अब कोई भी व्याक्ति सट्टा लगा सकता है, ऐसे सहज हाईटेक तरीके देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह राह देश के निम्न तबकों के मेहनत की कमाई को आसानी से उड़ने के लिए “पंख” भी दे रही है। अलग-अलग रिपोर्टों के अनुसार भारत में सट्टेबाजी का बाजार 10 लाख करोड़ के पार हो चुका है। अगर इस सेक्टर का सही तरीके से दोहन किया जाए तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत मदद मिलेगी।


🟪 ऑफशोर ऑनलाइन सट्टेबाज कंपनियां राडार में
आनलाईन बेटिंग के सर्वाधिक मामले दुर्ग जिला पुलिस ने क्रेक किए लेकिन अब तक गिरफ्तार हुए सैकडो़ं आरोपी कडे़ कानून के अभाव में तुरंत छोड़ने पडे़। आनलाईन बेटिंग कारोबार में 5000 करोड़ से अधिक के लेन-देन का खुलासा होने पर ईडी ने दुर्ग जिला पुलिस से रिपोर्ट लेकर मामले को जांच में लिया है। भारत में देश के बाहर से चलने वाले कई ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफार्म बदस्तूर अपना काम चला रहे हैं। इन पर नकेल कसने पिछले कुछ महीनों में ईडी ने भी इन ऑफशोर ऑनलाइन सट्टेबाजी चला रही कई कंपनियों को अपने राडार में ले रखा है। जानकारी मिली है कि सीबीआईसी भी अब ईडी के संपर्क में है और उसने अपनी जांच का ब्यौरा ईडी से साझा किया है ताकि आनलाईन बेटिंग साइट और उसके लाभार्थियों को चिह्नित किया जा सके। राजस्व विभाग ने भी पुलिस द्वारा पकड़े गए सट्टेबाज प्लेटफॉर्मों की सूची तैयार की है क्योंकि उसका मानना है कि ये केवल अवैध कारोबार में मध्यस्थ नहीं हैं बल्कि संबंधित इकाइयों को सट्टे से होने वाले फायदे को विदेश में सुरक्षित जमा रखने में भी मदद कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्व विभाग लगभग एक दर्जन ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की भी जांच कर रहा है। इन कंपनियों पर जीएसटी चोरी के मकसद से पिछली तिथि से इनवॉयस बनाने का भी आरोप है।


🟩 लगातार बढ़ता जा रहा अवैध कारोबार
गौरतलब हो कि दोहा के इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स सिक्योरिटी ने वर्ष 2016 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि अवैध सट्टेबाजी का कारोबार उस समय 150 बिलियन यानि करीब 10 लाख करोड़ रुपये का है वहीं जस्टिल लोढा कमेटी की रिपोर्ट में भारत का सट्टा बाजार उस समय करीब 82 बिलियन डालर यानि लगभग 6 लाख करोड़ रुपए का था। फेडरेशन ऑफ चेम्बर ऑफ कामर्स और इंडस्ट्री ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में कुल आनलाईन सट्टा बाजार को भारत में करीब 41 बिलियन डालर यानि 3 लाख करोड़ रुपयों का बताया था। इसके बाद सरकार के संज्ञान में आया कि टेलीविजन पर कई स्पोर्ट्स चैनल के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म देशी-विदेशी ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म उनकी सेरोगेट न्यूज वेबसाइटों के विज्ञापन दिखा रहे हैं। सरकार द्वारा 3 अक्टूबर 2022 को दिए गए अंतिम सलाह के बाद कुछ टीवी चैनल और ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेयर्स ऐसे एड्स नहीं चला रहे हैं लेकिन गूगल, यूट्यूब सहित अधिकांश ओटीटी प्लेटफार्म अब भी इन विज्ञापनों से ही भरे पडे़ हैं।
🟧 टर्नओवर देख ईडी हुई इन्वाल्व
दुर्ग एसपी डाॅ. अभिषेक पल्लव ने “सीजी न्यूज आनलाईन” से चर्चा में बताया कि आनलाईन सटोरियों को विशेष टीम गठित कर पुलिस दल बल के साथ पकड़ती है, इनकी ब्रांच ध्वस्त कर जिला पुलिस ने पैनलिस्ट की नाक में दम कर रखा है। हम छोटी मछलियों के माध्यम से ही सरगना तक पहुंच सकते हैं लेकिन जिला पुलिस के लिए भी कार्रवाई के कुछ दायरे हैं जिसके अधीन रह कर ही काम करना है। यह भी सच है कि आरोपी आसानी से थाने से छूट फिर उसी काले कारोबार में लग जाते हैं। यदि इस अपराध के लिए सरकार कडे़ कानून बनाती है तो निश्चित तौर पर यह अवैध धंधा जल्द नेस्तनाबूद कर देंगे। विदेश में बैठा महादेव ऐप ऑनलाइन सट्टा का मुख्य सरगना बड़ा जाल फैला चुका है। उसके टर्नओवर को देखते हुए ईडी भी नजर रख रही है। आनलाईन सट्टा के मुख्य सरगना सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, राज गुप्ता, सतनाम सिंह, सन्नी सिंह को पकड़ने के लिए लुकआउट सर्कुलर फाईल भी रन कर रही है। बेटिंग साइट विज्ञापनों पर कार्रवाई की पाॅवर जिन एजेंसियों को है, उन तक रिपोर्ट कर रहे हैं।


सटोरियों पर कडे़ कानून की दरकार
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने एक वर्ष पूर्व दुर्ग जिले में आनलाईन बेटिंग मामलों के प्रकाश में आते ही इस पर कडे़ कानून बनाने के प्रयास की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि यह ऐसा गंभीर अपराध है जो युवा पीढ़ी का भविष्य गर्त में धकेल रहा है और राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए दीमक का काम कर रहा है। इस संबंध में डीजीपी को भी सरकार ने निर्देश दिए हैं कि आनलाईन सटोरियों को सलाखों के पीछे डालने कोई कसर न छोडे़ं। सीएम भूपेश बघेल भी इस अवैध कारोबार को बंद करवाने कडे़ निर्देश दिए लेकिन छत्तीसगढ़ में आनलाईन बेटिंग कारोबार दिन रात लगातार न सिर्फ बढा़ बल्कि छत्तीसगढ़ के सटोरिए दीगर राज्यों में इसे फैलाने में कामयाब भी हुए हैं।
🟫 दृढ़ इच्छा शक्ति और हथियार जरूरी
बिलासपुर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विपिन तिवारी ने “सीजी न्यूज आनलाईन” को बताया कि भारतीय कानून के मुताबिक़ ऐसे ऑनलाइन गेम जिनके लिए स्किल की जरूरत नहीं होती है उसे गेमिंग एक्टिविटी के अंदर नहीं रखा जाता है, उसे गैम्बलिंग एक्टिविटी यानि ऑनलाइन जुआ माना जाता है। पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट 1867 के तहत देश में सार्वजनिक जुआ के लिए दंड तय होता है। यदि किसी खेल में स्किल का यूज़ होता है तो उस गेम को जुए के अंतर्गत नहीं रखा जाता है। पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट उन सभी गतिविधियों के खिलाफ सख्त है जिसमें पैसे या कीमती चीजों का लेन-देन होता है। भारत के अंदर अभी तक केवल एक कानून है जो ऑनलाइन जुए को कंट्रोल करता है ये कानून पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट, 1867 है। यह कानून बहुत ज्यादा पुराना है इस वजह से यह डिजिटल कैसीनो, ऑनलाइन गैम्बलिंग और ऑनलाइन गेमिंग की चुनौतियों के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं माना जाता है। राज्य सरकार प्रदेश में बढ़ते मामलों को देखते हुए चिट फंड की तरह विशेष ऐक्ट कैबिनेट में ला सकती है लेकिन अभी तक इस विषय में प्रयास सरकार द्वारा नहीं हुआ है। देश में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के रेगुलेशन को लेकर अक्टूबर में गृह विभाग के सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी जिसमें ऑनलाइन गेम, बेटिंग और गैम्बलिंग के लिए सख्त कानून बनाने की सिफारिश की गई। मीटिंग में केंद्र सरकार को ऑनलाइन गेमिंग, बेटिंग और गैम्बलिंग के लिए कोई नया कानून बनाने की सिफारिश के साथ ही आईटी एक्ट में बदलाव करके इन सभी ऑनलाइन गेमिंग, बेटिंग और गैम्बलिंग को रेगुलेट करने की भी बात कही गई थी।

एक पहलु यह भी……..
देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने में भी आनलाईन बेटिंग सीधे तौर पर जिम्मेदार है। इस मामले ने सीबीआईसी ने आरबीआई को एलआरएस के दुरुपयोग को लेकर आगाह किया है। विदेश में अवैध तरीके से सट्टेबाजी के लिए इस योजना का इस्तेमाल किए जाने का अंदेशा है जिसके परिणामस्वरूप टैक्स की भी चोरी हो रही है। सीबीआईसी की प्रारंभिक जांच के अनुसार कई लोग और यूनिट्स विदेशी प्लेटफॉर्म पर सट्टा लगाने के लिए एलआरएस का दुरुपयोग कर रहे हैं। टैक्स चोरी के लिहाज से महफूज (टैक्स हैवन) देशों में इन प्लेटफॉर्म का परिचालन किया जाता है। एलआरएस के जरिये भारतीयों को विशेष उद्देश्य के लिए विदेश में पैसा भेजने की अनुमति मिलती है लेकिन सट्टेबाजी के लिए इसके जरिये पैसा हस्तांतरित करना निषिद्ध है। सीबीआईसी ने इस मामले से नियामकों, खास तौर पर आरबीआई को अवगत कराया है क्योंकि उसे जानकारी मिली है कि संदिग्ध यूनिट और व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में लेन देन का खुलासा न करते हुए इस रकम का उपयोग विदेश में सट्टा लगाने के लिए किया जा रहा है जबकि ऐसा करना निषिद्ध है।