*जूनियर ऑफिसर परीक्षा पॉलिसी पर प्रबंधन की नीति स्पष्ट नहीं, क्रियान्वयन के 10 वर्ष बाद भी सेल कर्मचारियों को नहीं मिला लाभ*

*जूनियर ऑफिसर परीक्षा पॉलिसी पर प्रबंधन की नीति स्पष्ट नहीं, क्रियान्वयन के 10 वर्ष बाद भी सेल कर्मचारियों को नहीं मिला लाभ*


जूनियर ऑफिसर परीक्षा पॉलिसी पर प्रबंधन की नीति स्पष्ट नहीं, क्रियान्वयन के 10 वर्ष बाद भी सेल कर्मचारियों को नहीं मिला लाभ

भिलाई नगर 20 फरवरी । जूनियर ऑफिसर परीक्षा पॉलिसी 2008 में लाई गई थी जिसके अंतर्गत या प्रावधान किया गया था कि हर 2 वर्ष में इस चयन प्रक्रिया के अंतर्गत कर्मचारी से अधिकारी में प्रमोशन किया जाएगा । लेकिन 2010 के पश्चात इसे लागू नहीं किया गया। 2008 में चयन प्रक्रिया में पूरे सेल में कर्मचारियों द्वारा प्रश्न खड़े किए गए यहां तक कि बोकारो इस्पात संयंत्र में सीबीआई का छापा भी पड़ा।

 सैकड़ों की तादात में कर्मचारी न्यायालय की शरण में चले गए। जिसका मुख्य कारण लिखित परीक्षा में ओएमआर शीट की प्रति कर्मचारी को ना देना ना ही सही उत्तर की जानकारी देना एवं इंटरव्यू में पक्षपात कर अंको का निर्धारण करना था। उदाहरण स्वरूप लिखित परीक्षा में 90% तक के अंक मिले उसे इंटरव्यू में बीच में से 6 से 7 अंक देकर प्रमोशन होने से रोका गया, चयन प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता नहीं थी । जिसके कारण सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल से लेकर सेंट्रल गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल कम लेबर कोर्ट में सैकड़ों कर्मचारियों द्वारा लगाए गए प्रकरण लंबित है। सन 2018 में पुनः एक पॉलिसी लाई गई जिसमें भी चयन प्रक्रिया में वांछित सुधार नहीं किया गया । पुरानी पॉलिसी में ही थोड़ा हेरफेर कर पुनः लागू किया गया इस पॉलिसी के नियमों के खिलाफ भिलाई श्रमिक सभा एचएमएस के महासचिव प्रमोद कुमार मिश्र द्वारा एक प्रकरण सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में दायर किया गया । जिस पर न्यायालय द्वारा अंतिम राहत दी गई कि यदि प्रक्रिया गलत साबित होती है तो प्रमोशन वापस होगा। प्रकरण में सेल प्रबंधन द्वारा जवाब दाखिल करने में लगभग 1 वर्ष से ज्यादा का समय लगा दिया फिर कोविड-19 के कारण 2 वर्ष तक एक दो बार ही सुनवाई हो सकी है । एक जज के सेवानिवृत्त होने के कारण वर्तमान में सिंगल बेंच में सुनवाई चल रही है । अगली सुनवाई 4 अप्रैल को निर्धारित की गई है। यदि दूसरे जज की पोस्टिंग होती है तो सुनवाई होगी। इस प्रकार न्याय में देरी होने से वरिष्ठ कर्मचारियों में असंतोष है भिलाई इस्पात संयंत्र में नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी में भी ऐसा प्रावधान किया गया कि जो कर्मचारी वरिष्ठ होगा उसे शिफ्ट इंचार्ज का कार्य करना होगा। जिसका समझौता 25 जून 2021 को इंटक यूनियन द्वारा किया गया है । जिससे प्रबंधन वरिष्ठ कर्मचारी पर अधिकारी के समकक्ष कार्य करने का दबाव डाला जा रहा है। इस कारण भी प्रबंधन द्वारा जूनियर ऑफिसर प्रमोशन नहीं निकाला जा रहा है जब बिना प्रमोशन दिए प्रबंधन का कार्य हो रहा है तो प्रबंधन को आवश्यकता ही महसूस नहीं हो रही है सभी वरिष्ठ कर्मचारियों को एक होकर इसका विरोध करना होगा एवं बड़ा प्रदर्शन करना होगा आवश्यकता पड़ने पर वर्क टू रूल जैसा कदम भी उठाना पड़ेगा।