डब्लूएचओ की टीम ने दुर्ग जिले में लिया कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का जायजा, कुष्ठ मरीजों से पीएचसी मचांदूर, हनौदा व एसएचसी धनोरा में मिले

डब्लूएचओ की टीम ने दुर्ग जिले में लिया कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का जायजा, कुष्ठ मरीजों से पीएचसी मचांदूर, हनौदा व एसएचसी धनोरा में मिले


डब्लूएचओ की टीम ने दुर्ग जिले में लिया कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का जायजा, कुष्ठ मरीजों से पीएचसी मचांदूर, हनौदा व एसएचसी धनोरा में मिले

दुर्ग, 5 अगस्त । राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में कुष्ठ प्रभावितों की खोज और रोग निदान की गतिविधियों का जायजा लेने आज डब्लूएचओ की सेंट्रल टीम पहुंची। टीम के द्वारा निकुम ब्लॉक के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मचांदूर, पीएचसी हनौदा, उपस्वास्थ्य केंद्र धनोरा का औचक निरीक्षण किया गया। कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का जायजा लेने के लिए डब्लूएचओ कंसल्टेंट डॉ. सरोज जमील, आरएलटीआरआई रायपुर से डॉ.एसए शरीफ, स्टेट लेप्रोसी कंसल्टेंट रायपुर के डॉ. मनीष दम्मानी, झारखंड से डॉ. गौतम सहित दिल्ली और पटना के कुष्ठ अनुसंधान संस्थान से डब्लूएचओ के सदस्य चिकित्सक पहुंचे हुए हैं।

इस दौरान अधिकारियों ने ब्लॉक में चल रहे कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी लेते हुए कई दिशा-निर्देश भी दिए। अधिकारियों ने गांव में लोगों को कुष्ठ उन्मूलन की जानकारी कैसे पहुंचाते हैं और उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने में क्या व्यवस्था है, इसकी जानकारी ली। साथ ही इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मितानिन और स्वास्थ्य कर्मचारी की भूमिका के संबंध में पूछा।इसपर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मचांदूर प्रभारी डॉ. पीएल भगत द्वारा अधिकारियों को विस्तार से कार्यक्रम के संचालन की जानकारी दी गयी। मितानिन व आरएचओ के माध्यम से घर-घर सर्वे में कुष्ठ रोगियों की पहचान होने के बाद अस्पताल से दवा दी जाती है। टीम के अधिकारियों ने कुष्ठ के दवा लेने के बाद पूर्ण स्वस्थ्य होने वाले 5 हितग्राहियों और वर्तमान में इलाज करा रहे कुष्ठ रोगियों से दवाईयों की उपलब्धता के संबंध में बातचीत की गयी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मचांदूर में डॉ. गौतम द्वारा एक अलसर केस का ड्रेसिंग किया गया। वहीं पांच कुष्ठ रोगियों को एमसीआर चप्पल भी उपलब्ध कराया गया। पीएचसी मचांदूर, हनौदा व उपस्वास्थ्य केंद्र धनोरा का निरीक्षण के बाद कुष्ठ मरीजों के घरों में जाकर साक्षात्कार लिया गया। इसके अलावा कुष्ठ नियंत्रण में प्रभावी भूमिका निभाने वाले हेल्थ वर्कर एनएमएस, एनएमए, मितानिन, मितानिन ट्रेनर व आरएचओ सहित चिकित्सकों का भी टीम के अधिकारी द्वारा साक्षात्कार लिया गया।    

इस बारे में जिला कुष्ठ नियंत्रण अधिकारी डॉ. अनिल कुमार शुक्ला ने बताया, “डब्लूएचओ की सेंट्रल टीम कुष्ठ उन्नमूलन कार्यक्रम का जायजा लेनेआयी हुयी है। अधिकारियों ने मरीजों का आसानी से दवाईयां उपलब्ध कराने के बारे में दिशा निर्देश दिए। वहीं नए व पुराने मरीजों के परिवार के सभी सदस्यों को कुष्ठ की दवाई एक खुराक देने को कहा गया। जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उनका नियमित फॉलोअप करते रहने को कहा गया। इसके अलावा कुष्ठ रोग के संक्रमण को पूरी तरह मिटाने के लिए कुष्ठ मरीजों के घरों के आसपास मुहल्लों 20-20 घरों में कुष्ठ की एक-एक खुराक दिया जाए। डॉ. शुक्ला ने बताया, टीम द्वारा दो दिवसीय दौरा कार्यक्रम में पहले दिन कल बुधवार को ग्रामीण क्षेत्रों में कुष्ठ के मरीजों को दिए जाने वाली जानकारी के बारे में निरीक्षण किया गया। दूसरे दिन गुरुवार को निकुम ब्लॉक मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया जाएगा”।  

जिला कुष्ठ नियंत्रण अधिकारी डॉ. शुक्ला ने बताया,”मेरा ग्राम कुष्ठ मुक्त ग्राम की परिकल्पना को आधार बनाकर कुष्ठ खोजी दल घरों में पहुंच कर परिवार के मुखिया से मिल कर सर्वे कर रहे हैं। प्रत्येक गांव में प्रति 1,000 की जनसंख्या में एक टीम के दो सदस्य परिवार के प्रत्येक सदस्यों से मिलकर शरीर में दाग-धब्बों सहित चर्म रोगों की जांच कर रहे हैं।दुर्ग जिले में प्रति 10,000 की आबादी में रोग प्रसार दर 2.06 प्रतिशत है इसे घटाकर 1 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। वर्तमान में जिले में 185 पीबी और 220 एमबी के नए मरीजों का इलाज जारी है। इस वर्ष 1 अप्रेल 2021 से 31 जुलाई 2021 तक 60 पीबी और 52 एमबी के मरीज इलाज कराकर पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गए हैं। कुष्ठ प्रभावितों की पहचान के लिए “आगाज-2021-22” के तहत मितानिनों द्वारा घर-घर जाकर कार्ड वितरण शुरू किया गया। शरीर में दाग, धब्बों व चर्मरोगों से संबधित कार्ड के चित्रों से पहचान करने के लिए परिवार के मुखिया को जानकारी जा रही है”। शरीर में लाल तेलीय निशान, दाग-धब्बे, चमड़ी का रंग बदलना, चमड़ी सुन्न होना या फिर शरीर के किसी हिस्से में सूनापन, तापमान में बदलाव व स्पर्श महसूस न होना, चमड़ी मोटी हो जाना, यह कुष्ठ के लक्षण हैं।

इस बार कुष्ठ मुक्त गांव, ब्लॉक एवं जिला बनाने को सालभर स्वास्थ्य विभाग के फ्रंटलाइन वर्करों मितानिन व ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों द्वारा जांच व खोज अभियान जारी रखा जाएगा। कुष्ठ मरीजों की जांच के लिए जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उपस्वास्थ्य केंद्र सहित 168 अस्पतालों में नियमित जांच की जा रही है। मेरा ग्राम कुष्ठ मुक्त ग्राम” की परिकल्पना को आधार बनाकर कुष्ठ खोजी दल जिले के 4 लाख घरों में पहुंच कर सर्वे कर रहे हैं। मौके पर आरएमए रामेश्वरी रात्रे, एनएमएस में एसडी बंजारे, पीआर बंजारे, डीएन कोसरे, एनएमए में शारदा साहू, सीएल मैत्री व जाकिर खान सब्जई, एमटी मनोरमा साहू वअनिता मिरी, तकनीकी सहायक सरल निर्मलकर समेत अन्य कर्मी मौजूद थे।