जब सारे बच्चे मेडिकल एंट्रेस की तैयारी में जुटे थे तब मैं सोच रहा था डॉक्टर बनूं या इंजीनियर, कंन्फ्यूजन में एक साल बर्बाद किया, लोगों ने कहा बहुत देर हो गई पर मैंने कहा ये तो शुरूआत है…

जब सारे बच्चे मेडिकल एंट्रेस की तैयारी में जुटे थे तब मैं सोच रहा था डॉक्टर बनूं या इंजीनियर, कंन्फ्यूजन में एक साल बर्बाद किया, लोगों ने कहा बहुत देर हो गई पर मैंने कहा ये तो शुरूआत है…


जब सारे बच्चे मेडिकल एंट्रेस की तैयारी में जुटे थे तब मैं सोच रहा था डॉक्टर बनूं या इंजीनियर, कंन्फ्यूजन में एक साल बर्बाद किया, लोगों ने कहा बहुत देर हो गई पर मैंने कहा ये तो शुरूआत है…

भिलाई नगर 30 सितंबर ।  जिंदगी में कोई भी समय गलत नहीं होता सही काम करने के लिए। इस बात को अपने जीवन का ध्येय मानने वाले एक ऐसे डॉक्टर से आपको रूबरू करवा रहे हैं जिन्होंने तब सोचना शुरू किया जब लोग परीक्षा की तैयारी में जुट गए थे। जी हां

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिला के भानुप्रतापपुर के रहने डॉ. पी राजेंद्र अपने कॅरियर को लेकर काफी कंन्फ्यूज थे। इसी कंन्फ्यूजन में उन्होंने 12 वीं बोर्ड के बाद एक साल सिर्फ ये तय करने में निकाल दिया कि उन्हें डॉक्टर बनना है या फिर इंजीनियर। अंतत: जब डॉक्टर बनने का ठान लिया तब बाकी बच्चों की तैयारी से एक साल पीछे हो गए पर उन्होंने हार नहीं मानी और दोगुनी मेहनत करने में जुट गए। तीन साल के ड्रॉप के बाद साल 2014 में एक साथ ऑल इंडिया और सीजी पीएमटी दोनों क्वालिफाई कर लिया। अपने स्टूडेंट लाइफ के दिनों को याद करते हुए डॉ. राजेंद्र कहते हैं कि कुछ लोग कहते हैं कि बहुत देर हो गई पर मेरे हिसाब से जीवन में कभी देर नहीं होती। जब जागो तभी सवेरा है। अगर आपने ठान लिया तो लोगों की बातों को अनसुना करके सिर्फ अपने ऊपर भरोसा करना चाहिए। घर में सब लोग कहते थे कि तुमने देर से सोचा पर मैं उन्हें भरोसा दिलाता कि जो सोचा है उसे करके दिखाऊंगा। 

साथ में पढऩे वाले दोस्त को पीएमटी में सलेक्ट होता देख बढ़ा इंट्रेस

डॉ. राजेेंद्र ने बताया कि 12 वीं बोर्ड के बाद वे भिलाई आ गए थे। यहां इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेस की साथ-साथ तैयारी कर रहे थे। 11 वीं में बायो-मैथ्स लेकर पढ़ाई की। मैथ्स मेन सब्जेक्ट था इसलिए गणित के प्रति झुकाव भी ज्यादा था। इसी बीच साथ में पढऩे वाले एक दोस्त का जब पीएमटी में सलेक्शन हुआ तो लगा कि मेडिकल कॅरियर बेस्ट है, इसलिए इसके लिए ट्राई करना चाहिए। यही मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट भी बना और दूसरे ही पल कोचिंग में एडमिशन लेकर तैयारी शुरू की। मैंने एक साल कोचिंग की और दूसरे साल सेल्फ स्टडी की। शुरूआत में बायो और केमेस्ट्री में खासी परेशानी होती थी लेकिन मैं हर पढ़े हुए विषय को उसी दिन रिविजन करता था ताकि अगले दिन क्लास में कंन्फ्यूजन पूछ सकूं। 

जैन सर हमेशा कहते थे हिम्मत नहीं हारना है

डॉ. राजेंद्र ने बताया कि सचदेवा कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कई बार ऐसा हुआ जब दोस्तों को आगे बढ़ता देख निराश हो जाता था। ऐसे में सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर से पर्सनल मिलकर मार्गदर्शन लिया करता था। वो हमेशा कहते थे कि कुछ भी हो जाए हिम्मत नहीं हारना है। कोशिश करना नहीं छोडऩा है, उनकी यही सब बातें काफी मोटिवेट करती थी आगे बढऩे के लिए। सचदेवा के टीचर्स के पढ़ाने का तरीका अपने आप में नायाब है। यहां हिंदी मीडियम के स्टूडेंट को काफी अच्छे से तैयारी कराई जाती है। हिंदी के साथ इंग्लिश पर भी टीचर काफी फोकस करते हैं। गेस्ट बनकर आई सचदेवा की एक्स स्टूडेंट डॉ. नेहा राठी मैडम की जर्नी सुनकर काफी मोटिवेट हुआ था। 

रेगुलरटी बनाकर रखना है

नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट से कहना चाहता हूं कि कभी भी अपनी पढ़ाई को ब्रेक नहीं करना चाहिए। हमेशा पढ़ाई में रेगुलरटी बनाकर रखना है, ये नहीं कि आज पढ़ लिया तो कल घूम आता हूं फिर कल का काम परसो, ऐसा नहीं करना है। रोज का एक फिक्स शेड्यूल बनाकर उसी दिन अपना काम पूरा करना चाहिए। उम्मीद कभी नहीं छोडऩी चाहिए, लोग चाहे कुछ भी कहें हमेशा कोशिश करते रहने चाहिए।