हम अपने मन से काम करते है, जहां शिकायत करना है कर लो – मरीजों को कुछ इस तरह से जवाब देती है यहां की RHO और नर्सें, दस साल से नहीं हुआ ट्रांसफर

हम अपने मन से काम करते है, जहां शिकायत करना है कर लो – मरीजों को कुछ इस तरह से जवाब देती है यहां की RHO और नर्सें, दस साल से नहीं हुआ ट्रांसफर


हम अपने मन से काम करते है, जहां शिकायत करना है कर लो – मरीजों को कुछ इस तरह से जवाब देती है यहां की RHO और नर्सें, दस साल से नहीं हुआ ट्रांसफर

सारंगढ़, 2 अगस्त। राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा करने वाली स्वास्थ्य विभाग की तबियत इन दिनों खराब है। लोग इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अपने आप में मस्त हैं, लिहाजा मरीजों को इलाज के लिए बड़े अस्पतालों से दो चार होना पड़ रहा है। 

ये पूरा मामला रायगढ़ जिले के सारंगढ़ ब्लाक के गोडम स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सेक्टर में पदस्थ आरएचओ और नर्सों का। जो कि 10 सालों से एक ही जगह पर जमें हैं और यहां की नर्स अपने व्यवहार को लेकर चर्चा में हैं। इनके हौसले इतने बुलंद है कि इन्हें अब किसी का डर नहीं है। मरीज इनके पास यदि इलाज के लिए आ रहे हैं तो उनके साथ भी गलत व्यवहार कर रहे हैं। इतना ही नहीं किसी के पास भी शिकायत करने की धमकी भी आसानी से दे देती हैं। 

जानकारी के मुताबिक गोडम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेक्टर में तकरीबन सात उप स्वास्थ्य केंद्र आते हैं, इन सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों में आरएचओ और नर्सों की तैनाती की गई है। ये सभी 10 सालों एक ही जगह पर अपनी सेवा दे रहे हैं। सरकार के तमाम विभागों में प्रशासनिक कसावट का हवाला देते हुए अधिकारियों का तबादला किया है, लेकिन दस सालों के बाद भी इनका ट्रांसफर नहीं किया गया है। लिहाजा इनके हौसले बुलंद हैं। सरकारी नियमो के अनुसार महज 3 सालों में ट्रांसफर का नियम है, लेकिन इन सभी का तबादला न होना शासन-प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर रहा है।

अस्पताल में इलाज करवाने आ रहे मरीजों और ग्रामीणों का कहना है कि इस सेक्टर में तैनात सभी स्वास्थ्य कर्मी नेता की तरह बात करते हैं। हमारी बात ही नहीं सुनते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इन आरएचओ और नर्सों के द्वारा कहा जाता है कि हम हमारे मन से काम करते हैं, किसी में दम है तो हमारी शिकायत करे। ग्रामीणों की शिकायत है कि आरएचओ और नर्स अपने कार्यक्षेत्र में रात नहीं रूकते हैं, इससे रात को तबियत खराब होने से काफी परेशानी होती है। इलाज करवाने के लिए सुबह का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में किसी अनहोनी की आंशका बनी रहती है।ग्रामीणों ने बताया है कि रात को इमरजेंसी कंडिशन होने पर फोन रिसीव भी नहीं करती हैं। सुबह इसकी शिकायत करने पर आरएचओ और नर्सों के द्वारा कहा जाता है कि हमारी मर्जी हम अपने हिसाब से काम करेंगे। इतना सबकुछ होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसर अभी तक मौन साधे हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जिले के कोई बड़े अधिकारी इधर निरीक्षण करने के लिए भी नहीं आते हैं लिहाजा कार्रवाई का डर भी इन्हें नहीं है।

मामले को लेकर जब सारंगढ़ के बीएमओ से बात की गई तो उन्होने कहा कि अभी बस मुझे वहां जाने का आदेश मिला है। इस मामले को लेकर मैं सीएमएचओ से बात करके चार्ज लेने के बाद एक जगह से दूसरे जगह जरूर ट्रांसफ़र करूंगा।