एक वक्त था जब पढ़ाई में ध्यान नहीं देने के कारण पिता ने डाल दिया था हॉस्टल में, पहले अटेम्ट में नीट क्वालिफाई करने वाले जांजगीर के अंकित कुर्रे की सफलता की कहानी

एक वक्त था जब पढ़ाई में ध्यान नहीं देने के कारण पिता ने डाल दिया था हॉस्टल में, पहले अटेम्ट में नीट क्वालिफाई करने वाले जांजगीर के अंकित कुर्रे की सफलता की कहानी


एक वक्त था जब पढ़ाई में ध्यान नहीं देने के कारण पिता ने डाल दिया था हॉस्टल में, पहले अटेम्ट में नीट क्वालिफाई करने वाले जांजगीर के अंकित कुर्रे की सफलता की कहानी

भिलाईनगर 18 जुलाई ।|बचपन में एक रोड एक्सीडेंट की घटना को देखकर दिल दहल गया था। सड़क पर एक आदमी तड़प रहा था, उसके शरीर से खून बह रहा था। उस वक्त मां से पूछा था कि इसकी जान कौन बचा सकता है। तब मां ने कहा था कि डॉक्टर ही भगवान का दूसरा रूप है जो मरते हुए को नया जीवनदान दे सकता है। उसी दिन ठान लिया था कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर ही बनूंगा। ये कहानी है जांजगीर चांपा जिले के छोटे सीपत गांव में रहने वाले अंकित कुर्रे की। जिसने पहले ही अटेम्ट में नीट क्वालिफाई करके इतिहास रच दिया है। अब रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर डॉक्टरी की पढ़ाई करेंगे। अंकित कहते हैं कि सफलता गांव और शहर में भेद नहीं करती ये देखती है कि आपके सपनों में कितनी जान है। उस सपने को पूरा करने के लिए कितनी मेहनत और संघर्ष कर सकते हो। 12 वीं में तबीयत खराब होने के कारण नीट देने से चूक गया था पर मैंने हार नहीं मानी और एक साल तक अपने सपने को पूरा करने के लिए इंतजार किया।

ज्यादा खेलने के चलते पिता ने डाल दिया था हॉस्टल में

अंकित ने बताया कि वे बचपन में अपने दोस्तों के साथ बहुत ज्यादा खेलते थे। पढ़ाई में ध्यान नहीं देते थे। एक दिन सरकारी टीचर पिता कलश राम ने उन्हें हॉस्टल में डालने की बात कही। मजाक समझकर मैंने भी हामी भर दी। फिर कक्षा 6 वीं से लेकर 12 वीं तक महासमुंद के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की। पिता को डर था कि मैं पास के शहर में रहूंगा तो उन्हें ले जाने की जिद करूंगा। इसलिए उन्होंने महासमुंद के प्रायवेट स्कूल में एडमिशन करा दिया। 12 वीं बोर्ड में 89 प्रतिशत अंक आने के बाद भी मैं नीट देने से चूक गया था। इसलिए एक साल ड्रॉप लेना पड़ा। इस ड्रॉप के पीरियड में मैंने खुद को सेल्फ मोटिवेट किया ताकि नीट की तैयारी के दौरान निराशा न हो। हर दिन कोचिंग से आकर 6 से 7 घंटे पढ़ाई करता था। मुझे खुद पर भरोसा था कि मैं सफल होकर ही घर लौटूंगा।

बड़े भाई के साथ सचदेवा कोचिंग में लिया एडमिशन

नीट की तैयारी के लिए सचदेवा भिलाई की एक्स स्टूडेंट बड़ी दीदी ने मुझे और बड़े भाई दोनों को भिलाई जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जब मैं सचदेवा में पढ़कर बीएमएस डॉक्टर बन सकती हूं तो तुम लोग जरूर एमबीबीएस की सीट हासिल कर लोगे। एक साल तक दोनों भाई एक ही कोचिंग में पढ़ते रहे। सचदेवा की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां हर बच्चे को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है। डाउट क्लीयर करने के लिए टीचर्स अलग से डाउट क्लास लेते हैं। इससे पूछने की झिझक दूर हो जाती है। मन में कोई सवाल आए तो बीच क्लास में भी खड़े होकर कभी भी पूछ सकते हैं। गेस्ट सेशन में ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर सफल हार्ट सर्जन बनने वाले सचदेवा के एक्स स्टूडेंट डॉ. कृष्णकांत साहू से मिलकर उत्साह दोगुना हो गया।

पुजारी की कहानी सुनाकर जैन सर ने सिखाया खुद पर भरोसा करना

सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर क्लासेस के बीच-बीच में हमारी काउंसलिंग और पैरेंटिंग करते थे। एक दिन उन्होंने एक गांव के पुजारी की कहानी सुनाई। काफी दिनों से गांव में पानी नहीं गिर रहा था। पूरा गांव भयंकर अकाल और सूखे का सामना कर रहा था। ऐसे में एक पुजारी ने गांव के लोगों से कहा कि वे भगवान से प्रार्थना करेंगे तो पानी जरूर गिरेगा। ग्रामीणों ने भी पुजारी की बात पर हामी भरी। पुजारी रोजाना भगवान से प्रार्थना करने लगा। एक दिन झमाझम बारिश होने लगी।  यह नजारा देखकर एक युवक ने पूछा कि आपको कैसे पता चला कि भगवान आज पानी गिराएंगे। पुजारी ने कहा कि मुझे अपनी प्रार्थना पर भरोसा था। इसलिए मैं बिना प्रश्न किए सिर्फ प्रार्थना करता गया। पानी अपने आप गिर गया। इस कहानी से यही सीख मिली की चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो खुद पर भरोसा करना मत छोड़ो। नीट की तैयारी के दौरान ही मैंने मान लिया था कि मैं डॉक्टर बनकर ही घर जाऊंगा। जैन सर भी कहते हैं कि नीट तो बस एग्जाम है, आपने मन से खुद को डॉक्टर बनने के लिए तैयार कर लिया तो आपकी सफलता पीछे-पीछे चलकर आएगी।