“कड़कनाथ” मुर्गे को भी मात दे रही लडा़कू असील मुर्गी 🟫 100 रुपये में बिकता है एक अंडा

“कड़कनाथ” मुर्गे को भी मात दे रही लडा़कू असील मुर्गी 🟫 100 रुपये में बिकता है एक अंडा



सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 6 मार्च। मांस उत्पादन के लिए असील मुर्गियां और मुर्गों का पालन किया जाता है क्योंकि अंडा उत्पादन के मामले में इस नस्ल की मुर्गियां कमजोर मानी जाती हैं और ये मुर्गी साल में केवल 60 से 70 अंडे देती है मगर इसके अंडे की कीमत काफी ज्यादा होती है। असील मुर्गी का एक अंडा 100 रुपये में खरीदा जाता है।
आपको बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन बेहद तेजी से लोकप्रिय हुआ है, इसका फायदा ये हुआ कि भारत देश में अंडे और मीट के उत्पादन में भी वृद्धि हुई और इस बीच सरकार किसानों को पोल्ट्री फार्मिंग का व्यवसाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।‌ पोल्ट्री फार्मिंग की शुरुआत करने के लिए किसानों को बंपर सब्सिडी भी दी जा रही है। मीट उत्पादन के लिए असील मुर्गियां और मुर्गों का पालन किया जाता है। अंडे उत्पादन के मामले में इनकी मुर्गियां कमजोर मानी जाती हैं। इनके अंडे का सेवन आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है। असील मुर्गी का मुंह लंबा और बेलनाकार होता है जो कि पंखों, घनी आंखों, लंबी गर्दन वाला होता है। इनकी मजबूत और सीधी टांगे होती हैं। इस नस्ल के मुर्गे का भार 4-5 किलो और मुर्गी का भार 3-4 किलो होता है। इसके कोकराल (युवा मुर्गे) का औसतन भार 3.5 से 4.5 किलो और पुलैट्स (युवा मुर्गी) का औसतन भार 2.5 से 3.5 किलो पाया जाता है।
गौरतलब हो कि देश में कई जगह मुर्गी या मुर्गों की लड़ाई चलन में है। ऐसे में असील नस्ल की मुर्गी और मुर्गों को लड़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।