जिस क्लास को थर्ड ग्रेड का समझते थे टीचर्स मैं उस क्लास का था स्टूडेंट, सब कहते थे कुछ नहीं कर सकते ये बच्चे बचपन में एवरेज स्टूडेंट होकर भी आज डॉ. निशांत हैं मेडिकल फील्ड के बड़े नाम

जिस क्लास को थर्ड ग्रेड का समझते थे टीचर्स मैं उस क्लास का था स्टूडेंट, सब कहते थे कुछ नहीं कर सकते ये बच्चे बचपन में एवरेज स्टूडेंट होकर भी आज डॉ. निशांत हैं मेडिकल फील्ड के बड़े नाम


जिस क्लास को थर्ड ग्रेड का समझते थे टीचर्स मैं उस क्लास का था स्टूडेंट, सब कहते थे कुछ नहीं कर सकते ये बच्चे बचपन में एवरेज स्टूडेंट होकर भी आज डॉ. निशांत हैं मेडिकल फील्ड के बड़े नाम

भिलाईनगर 15 जुलाई ।  बचपन में एवरेज स्टूडेंट रहे भिलाई के निशांत उस क्लास के स्टूडेंट थे जिससे थर्ड ग्रेड का समझा जाता था। टीचर्स हमेशा कहते थे कि एच सेक्शन के स्टूडेंट्स का कुछ नहीं हो सकता, कुछ सीखो ए और बी सेक्शन के स्टूडेंट्स से। रोज-रोज यही बातें सुनकर निशांत ने सोचा कि एक दिन मैं ऐसा बड़ा नाम बनूंगा कि टीचर्स से लेकर हर कोई कहेगा ये वहीं एच सेक्शन का स्टूडेंट है जिसको कभी हमने कमतर आंका था। आज उसे बच्चे का नाम छत्तीसगढ़ के टॉप 5 एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट के रूप में लिया जाता है। जी हां हम बात कर रहे हैं चंदू लाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भिलाई के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निशांत बघेल की। कड़ी मेहनत और कुछ कर दिखाने की चाह से उन्होंने साल 2003 में कर्नाटका पीएमटी क्वालीफाई करके पहले एमबीबीएस की सीट हासिल की फिर पीजी में भी अपना दबदबा कायम रखा। आज जिस शहर में पैदा हुए वहीं लोगों की सेहत का ख्याल एक डॉक्टर बनकर रख रहे हैं। साथ ही दुर्ग जिले के अपने गृहग्राम पंचपेड़ी में हर महीने कम से कम सौ ग्रामीणों का मुफ्त में इलाज करते हैं। डॉ. निशांत कहते हैं कि जिन लोगों ने मुझे इस काबिल बनाया मैं उन्हें कैसे भूल सकता हूं इसलिए हम महीने गांव जाकर जरूरतमंदों की नब्ज टटोलता हूं।

बायो-मैथ्स लेकर पढ़ाई कि पर 12 वीं में कम प्रतिशत से हो गया था निराश

डॉ. निशांत ने बताया कि उन्होंने 11 वीं में बायो-मैथ्स लेकर पढ़ाई की। दो विषयों की एक साथ पढ़ाई के कारण 12 वीं बोर्ड में प्रतिशत कम आए। जिसके बाद वे काफी निराश हो गए थे। कई दोस्तों का पहले अटेम्ट में ही मेडिकल और इंजीनियरिंग के अच्छे कॉलेज में सलेक्शन हो गया था। ऐसे में समझ नहीं आ रहा था क्या करूं तब सीनियर्स ने कहा कि एक साल ड्रॉप लेकर मेडिकल एंट्रेस की तैयारी करो। मैंने बिल्कुल वैसा ही किया सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज भिलाई में एडमिशन लेकर पढऩे लगा। शुरुआत बेहद खराब रहा। फिजिक्स में कमजोर था तो टेस्ट सीरिज में बहुत कम नंबर आते थे, ऐसे में कई बार लगता था कि पता नहीं मेरा सलेक्शन हो पाएगा या नहीं।

डिप्रेशन में था तब जैन सर ने की काउंसलिंग

सचदेवा में कोचिंग के दौरान एक दिन टेस्ट सीरिज में मेरा बहुत कम नंबर आया तब मैं बहुत ज्यादा डिप्रेशन में चला गया था। उस वक्त सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर ने मेरी काउंसलिंग करते हुए समझाया कि ये सिर्फ टेस्ट है। ये आपको तैयारी परखने का मौका देता है असली परीक्षा में अभी थोड़ा वक्त है। इसलिए अपनी तैयारी को और भी ज्यादा बेहतर कर सकते हो। चिरंजीन सर ने गाइड किया कि कैसे स्टेप बाई स्टेप सवालों को हल करके एग्जाम क्वालीफाई कर सकते हो। मैंने उनकी बातों को गंभीरता से लिया और जब रिजल्ट आया तो मैं सलेक्ट हो गया था।

खुद को कभी कमतर मत आंको

जो बच्चे से नीट की तैयारी कर रहे हैं उनसे कहना चाहूंगा कि आप खुद को कभी कमतर मत आंको। ये बात किसी किताब में नहीं लिखा है कि एवरेज या कम प्रतिशत वाले बच्चे बड़े एंट्रेस क्वालीफाई नहीं कर सकते। अगर आप दिल लगाकर मेहनत करोगे और सिर्फ अपने लक्ष्य पर फोकस रहोगे तो आपको सफल होनेे से कोई नहीं रोक सकता। आजकल स्मार्ट फोन के दौर में पढ़ाई बेहद आसान हो गई है। जो चाहिए वो आपके  मोबाइल में उपलब्ध होता है। पहले के मुकाबलेे सीटें भी बढ़ गई है। इसलिए सिर्फ पढ़ो बाकी कुछ मत सोचो।