प्लानिंग और इंप्लिमेनटेशन को बनाया हथियार, पहले ड्रॉप में किया सीजी पीएमटी क्वालिफाई, एग्जाम से कुछ महीने पहले हो गया था निराश, लगा अब सबकुछ खत्म हो जाएगा

प्लानिंग और इंप्लिमेनटेशन को बनाया हथियार, पहले ड्रॉप में किया सीजी पीएमटी क्वालिफाई, एग्जाम से कुछ महीने पहले हो गया था निराश, लगा अब सबकुछ खत्म हो जाएगा


प्लानिंग और इंप्लिमेनटेशन को बनाया हथियार, पहले ड्रॉप में किया सीजी पीएमटी क्वालिफाई, एग्जाम से कुछ महीने पहले हो गया था निराश, लगा अब सबकुछ खत्म हो जाएगा

भिलाईनगर 24 जुलाई ।  प्लानिंग और इंप्लिमेनटेनश को लाइफ का सक्सेस मंत्र मानकर चलने वाले बेमेतरा के डॉ. सूरज कुमार साहू ने अपने पहले ही ड्रॉप में सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया था। बचपन से होनहार स्टूडेंट रहे डॉ. सूरज ने बारहवीं सीजी बोर्ड में 94 प्रतिशत अंक लाकर डॉक्टर बनने के खुद के हौसले को पहले ही बुलंद कर लिया था। वैद्य का काम करने वाले नाना को प्रेरणा स्त्रोत मानने वाले डॉ. सूरज ने बताया कि वो बचपन में नाना के पास उपचार कराने आने वाले लोगों को देखा करते थे। जब लोग दवाई खाकर ठीक हो जाते तो नाना जी का धन्यवाद भी करने आते। उस समय वैद्य के रूप में नाना जी के लिए लोगों के मन में सम्मान और प्यार देखकर बहुत खुशी होती थी। जैसे-जैसे बड़ा होता गया और विषयों की समझ बढ़ती गई तब मैंने डॉक्टर बनने का लक्ष्य निर्धारित किया। 11 वीं कक्षा से ही स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ मेडिकल एंट्रेस की बुक्स भी पढऩे लगा था। 12 वीं बोर्ड के बाद मैंने पहली बार सीजी पीएमटी दिया उसमें रैंक अच्छा आया लेकिन कॉम्पिटिशन ज्यादा होने के कारण सीट नहीं मिल पाई। इसलिए एक साल ड्रॉप लेकर दोबारा तैयारी की और पूरे छत्तीसगढ़ में पीएमटी में 94 रैंक लाकर रायपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया। आज बाल्को कैंसर हॉस्पिटल न्यू रायपुर में अपनी सेवाएं दे रहा हूं ।

 एग्जाम से कुछ महीने पहले हो गया था निराश

डॉ. सूरज ने बताया कि  ड्रॉप इयर में मेडिकल एंट्रेड के कुछ महीने पहले ही वे बुरी तरह निराश हो गए थे। टेस्ट सीरिज में नंबर पीछे आने केे कारण लगातार निराशा की गर्त में डूब रहे थे तब सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन ने समझाया कि हार मानने की बजाय थोड़ी और कोशिश करो। ये तो सिर्फ प्री एग्जाम है हो सकता है पीएमटी का रिजल्ट तुम्हारी उम्मीदों से ज्यादा बेहतर हो। इसलिए आखिरी वक्त तक रिविजन करके अपना बेस्ट देने की कोशिश करो। चिरंजीव जैन सर की मोटिवेशनल बातों से काफी हौसला मिला। दूसरे ही दिन से मैंने रिजल्ट की बिना चिंता किए पढऩा शुरू किया। आखिरकार वही हुआ जिसका इंतजार था। मेडिकल कॉलेज में दाखिले का सपना सच हुआ। 

सचदेवा में मिले गुरुओं ने लगाई नैय्या पार

डॉ. सूरज ने बताया कि सचदेवा के बारे में उन्होंने काफी सुना था। इसलिए मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा भिलाई को कोचिंग के लिए चुना। यहां के टीचर्स को पढ़ाने का सालों का अनुभव है। मेडिकल एंट्रेस की हर बारीकियों को समझने वाले टीचर्स ने हर विषय के लिए ऐसे फॉर्मूला इजाद किए हैं जिससे कम समय में फंडा क्लियर हो जाता है। सही मायने में कहा जाए तो सचदेवा के गुरूओं ने ही नैय्या को पार लगाई है। एक्सपर्ट टीचर्स से बेहतर गाइडलाइन के साथ जब कोई बच्चा तैयारी करता है तो उसकी मेहनत भी बच जाती है। साथ ही अच्छी तैयारी के साथ सफल होने की संभावना भी बढ़ जाती है। टेस्ट सीरिज और हर दिन की क्लास में टीचर्स कभी किसी बच्चे को निराश होने नहीं देते। हर दिन उन्हें मोटिवेट करते कि हम लक्ष्य के कितने करीब हंै। सचदेवा की यही खूबसूरती उसे सबसे अलग बनाती है।

 सिर्फ स्टार्ट नहीं फिनिश भी अच्छे से करना है

नीट की तैयारी कर रहे बच्चों से यही कहना चाहूंगा कि ज्यादातर लोग स्टार्ट बहुत अच्छा करते हैं लेकिन अंतिम समय में अपना धैर्य खो देते हैं। फिनिश लाइन तक पहुंचने से पहले हार जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि एग्जाम से पहले के आखिरी दो महीनों में सबसे ज्यादा धैर्य और सकारात्मक सोच के साथ पढ़ाई करें। आपने जो प्लान किया है उसे बस इंप्लिमेनटेशन की बारी है। इसलिए पूरा जोर लगाकर पढ़ाई करें सलेक्शन जरूर होगा। रिजल्ट की कभी चिंता मत करना क्योंकि कई बार सफलता हमारी उम्मीद से भी बड़ी होती है।