जगतगुरु शंकराचार्य कॉलेज ऑफ एजुकेशन में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस पर परिचर्चा का किया आयोजन

जगतगुरु शंकराचार्य कॉलेज ऑफ एजुकेशन में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस पर परिचर्चा का किया आयोजन


जगतगुरु शंकराचार्य कॉलेज ऑफ एजुकेशन में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस पर परिचर्चा का किया आयोजन

भिलाई नगर 22 सितंबर । जगदगुरू शंकराचार्य कॅालेज ऑफ एजुकेशन में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ. व्ही. सुजाता के मार्गदर्शन में बी.एड. के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष श्रीमती मधुमिता सरकार, कार्यक्रम की प्रभारी कु. संतोषी चक्रवर्ती सहित महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापकगण एवं बी.एड. के प्रशिक्षणार्थी की उपस्थित रही। बी.एड. तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थीयों ने अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर अपने विचार व्यक्त किये। तेजप्रकाश स्वर्णकार ने  कहा- सभी देशों, मनुष्यों, समुदायो को यह समझना होगा कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं एवं शांति ही मानव कल्याण का मात्र उपाय है। चित्रलेखा ने कहा- मानव जब सभी इच्छाओं को त्याग देता है वह जीवन में परम शांति को प्राप्त करता है। निकिता रजक ने कहा- शांति के पैगाम से लड़ाई नहीं होगी तो ये मुल्क भी अपना होगा और वो मुल्क भी अपना होगा। मिस जया ने कहा- इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। शांति ही मानव कल्याण के लिए उत्तम है। शिवेन्द्र बहादुर ने कहा- हजारो मील का सफर है शांति और इसे एक साथ कदम बढाकर तय करना होगा। खुशबू कुमारी ने कहा- असहाय को सहारा देने में ही शांति परिपूर्ण होती है। नीतू पाल ने कहा- हर इंसान को अपनी शांति अपने अंदर खोजनी होगी। अल्का चैबे ने कहा- विश्व शांति दिवस के मौके पर संसार में फैली हिंसा और नफरत की भावना को जड़ से खत्म करने का प्रयत्न करें और सम्पूर्ण विश्व को शांति का संदेश दे। ज्ञानेन्द्र ने कहा-शांति दिवस पूरी विश्व पर शांति और अहिंसा स्थापित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 21 सितम्बर को मनाया जाता हैै। प्रतिभा तिवारी ने कहा- शांति को  अंर्तआत्मा से बाहर भटकने की आवश्यकता नहीं है। स्मिता मिंज एवं स्नेहा मिंज ने कहा-शांति पाने के लिए शांतिपूर्ण काम करना चाहिए। पं. जवाहर लाल नेहरू के पंचशील सिद्धांत को साक्षी लहरे ने बताया।