राष्ट्र के साहित्य के आधार पर सभ्यता एवं संस्कृति के विकास का कर सकते हैं सही आंकलन – डॉक्टर डायनोशियस, सेंट थॉमस महाविद्यालय एवं सोफिया गर्ल्स कॉलेज अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न

राष्ट्र के साहित्य के आधार पर सभ्यता एवं संस्कृति के विकास का कर सकते हैं सही आंकलन – डॉक्टर डायनोशियस,    सेंट थॉमस महाविद्यालय एवं सोफिया गर्ल्स कॉलेज अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित  एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न


राष्ट्र के साहित्य के आधार पर सभ्यता एवं संस्कृति के विकास का कर सकते हैं सही आंकलन – डॉक्टर डायनोशियस,

सेंट थॉमस महाविद्यालय एवं सोफिया गर्ल्स कॉलेज अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न

भिलाई नगर 19 जुलाई । सेंट थॉमस महाविद्यालय और सोफिया गर्ल्स कॉलेज ( स्वायत्तशासी ) अजमेर के संयुक्त तत्वावधान हिंदी विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न हुआ। जिसका विषय था- ‘वर्तमान परिदृश्य में साहित्य और मीडिया की भूमिका’ । कार्यक्रम का शुभारंभ प्रार्थना से हुआ। सेंट थॉमस महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एम. जी. रोईमोन द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिस ग्रेस डॉक्टर जोसफ मार डायनोशियस (मेट्रोपॉलिटन कोलकाता डायोसिस) मैनेजर बिशप ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी राष्ट्र के साहित्य के अध्ययन के आधार पर वहां की सभ्यता एवं संस्कृति के विकास का सही आंकलन किया जा सकता है । सोशल मीडिया द्वारा हम उसका प्रचार-प्रसार कर सकते हैं एवं बड़े ही स्नेह के साथ बधाई देते हुए समस्त प्रतिभागियों को आशीर्वाद दिया। महाविद्यालय के प्रशासक  वेरी रेवरेंट फादर डॉ जोशी वर्गिस ने कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु शुभकामनाएं दी । अध्यक्षीय उद्बोधन में सोफिया गर्ल्स कॉलेज (स्वायत्तशासी ) अजमेर की प्राचार्य डॉ सिस्टर पर्ल ने कहा कि वेबीनार का विषय वर्तमान में बहुत ही प्रासंगिक है। साथ ही यह भी कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है तो मीडिया लोकतंत्र की चौथा स्तंभ । साहित्य समाज और मीडिया के परस्पर बेहतर संबंध राष्ट्र चेतना जागृत करने में सहायक है । साहित्य में सत्य की साधना है  शिव तत्व की कामना है और सौंदर्य की अभिव्यंजना है।वेबीनार के प्रथम मुख्य अतिथि वक्ता डॉ प्रमोद रंजन ( सहायक प्राध्यापक असम विश्वविद्यालय, दीफू परिसर, असम) ने अपने उद्बोधन में साहित्य और मीडिया पर विचार रखते हुए कहा कि साहित्य सृजन और संरक्षण के लिए सोशल मीडिया ऑक्सीजन के समान है । वर्तमान मीडिया के द्वारा नए लेखक वर्ग का उदय हुआ है । जो साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपना सर्जन कर रहे हैं। वह अपनी रचनाओं का प्रकाशन मीडिया पर बिना किसी रोक के कर रहे हैं। आज का मीडिया अवैज्ञानिकता को छोड़कर वैज्ञानिक तथ्यों को अपनाकर समूचे देश एवं समाज ,मानव जाति के साथ न्याय कर सके।

 वेबीनार के द्वितीय मुख्य अतिथि वक्ता डॉ संदीप अवस्थी (शिक्षाविद , मीडिया विशेषज्ञ एवं आलोचक , जयपुर) द्वारा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिदृश्य में उत्पन्न विषम परिस्थितियों का कुछ हद तक हल खोजना है। मीडिया को निर्भीक होकर खबरों का प्रकाशन करना चाहिए लाभ लालच से परे होकर अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिए भाषा में अन्य भाषाओं के मिलावट से बचना चाहिए भ्रम फैलाने वाली खबरों को रोकने का प्रयास  यूएनआई जैसे बड़ी न्यूज़ एजेंसियों को रोकने के लिए आगे आना चाहिए । मीडिया ऐसा वातावरण निर्मित करें कि उसकी पहुंच में दलित एवं आदिवासी वर्ग भी आ सके ।सोशल मीडिया साहित्य का सबसे बड़ा और सबसे सजग सुचालक बन गया है । धार्मिक ग्रंथों पर आधारित धारावाहिक फिल्मों के प्रसारण से भी लोगों में साहित्य के प्रति रुचि जागृत हुई हैं। इस दौरान शोधार्थी श्रीमती रचना बोस, डॉक्टर अनीता सकलेचा, डॉक्टर रितु माथुर, एवं अनिता ठाकुर द्वारा शोध सार प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुरेखा जवादे (सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्ष एनसीसी अधिकारी ) एवं डॉ सुनीता सियाल (सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्ष ) द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस अवसर पर डॉ विनीता थॉमस (अकादमिक अधिष्ठता) डॉ देबजानी मुखर्जी (आइक्यूएसी समन्वयक ), समस्त विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक गण, श्रीमती रूपा श्रीवास्तव एवं 257 प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दी। श्री माइकल फर्नांडिस, जे मंजू, चंदन डेकाटे, तेज सिंग रावत एवं अरविंद कुमार जल धानी का तकनीकी सहयोग रहा।