कैसेट किंग गुलशन कुमार की रहस्यमय हत्या का आरोपी नदीम 24 साल बाद भी नहीं लौट पाया भारत


पांच लाख महीना मांगने पर कहा था वैष्णों माता के मंदिर में इतने का भंडारा करवाउंगा पर “रंगदारी” नहीं देंगे

मुंबई, 12 अगस्त। दिल्ली में पैदा हुए और पले-बढ़े गुलशन कुमार जब अपने पिता के साथ जूस की दुकान पर हाथ बंटा रहे थे, तब सोचा भी नहीं था कि एक दिन मायानगरी में राज करेंगे। अपनी मेहनत और लगन से टी-सरीज कंपनी शुरू कर कैसेट किंग बने गुलशन की सफलता ने उनके ढेर सारे दुश्मन बना दिए थे। 12 अगस्त 1997 को मुंबई में गुलशन कुमार पर हत्यारों ने धावा बोल दिया और तब तक गोली मारते रहे जब तक उन्होंने दम नहीं तोड़ा। रिपोर्ट के मुताबिक हत्यारों ने 16 गोलियों से उन्हें छलनी कर दिया था।

नदीम-श्रवण की मशहूर जोड़ी की सफलता में गुलशन कुमार का बड़ा हाथ था। कहते हैं कि संगीत की दुनिया में जिस दौर में गुलशन कुमार की तूती बोलती थी उस वक्त नदीम-श्रवण को फिल्म ‘आशिकी’ में संगीत देने का मौका दिया था। इस फिल्म से ही शोहरत हासिल करने वाली जोड़ी गुलशन की पसंदीदा जोड़ी बन गई थी लेकिन नदीम को गुलशन से ऐसी जाने क्या दुश्मनी हुई कि उन्ही की हत्या के आरोपी बन बैठे। आरोप लगते ही नदीम सैफी ने भारत छोड़ लंदन की शरण ले ली और आज भी वहीं है। हांलाकि आरोप साबित नहीं हो पाया है लेकिन कहते हैं कि गुलशन कुमार के हत्या की सुपारी नदीम ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को दिया था।

कहते हैं कि रंगदारी देने से इनकार करने पर अबू सलेम के शूटर ने गुलशन कुमार को मुंबई के अंधेरी इलाके में गोली मार जान ले ली थी। हत्या के समय गुलशन महादेव मंदिर से पूजा कर अपने घर लौट रहे थे। गोली दागने के बाद हत्यारों ने अबू सलेम को चीखें सुनाने के लिए फोन भी किया था। इस घटना का जिक्र हुसैन जैदी की बुक ‘माय नेम इज अबू सलेम’ में किया गया है। जिन दिनों गुलशन कुमार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे थे उन्हीं दिनों मुंबई में अंडरवर्ल्ड का जबरदस्त शिकंजा था। बड़े-बड़े फिल्मकारों से रंगदारी वसूलना आए दिन का काम होता था। दहशत इतनी ज्यादा हुआ करती थी कि इस बारे में कोई मुंह नहीं खोलता था। अबू सलेम ने गुलशन से 5 लाख हर महीने देने को कहा था। इस पर गुलशन ने कहा था कि इतने रुपए से वैष्णों देवी मंदिर में भंडारा करवाऊंगा लेकिन तुम्हे रुपए नहीं दूंगा।