दो साल ड्रॉप लेकर तीसरे अटेम्ट में कोरबा के प्रियांशु ने किया नीट क्वालिफाई, अब बनेंगे परिवार के पहले डॉक्टर

दो साल ड्रॉप लेकर तीसरे अटेम्ट में कोरबा के प्रियांशु ने किया नीट क्वालिफाई, अब बनेंगे परिवार के पहले डॉक्टर


दो साल ड्रॉप लेकर तीसरे अटेम्ट में कोरबा के प्रियांशु ने किया नीट क्वालिफाई, अब बनेंगे परिवार के पहले डॉक्टर

भिलाईनगर 13 जुलाई । लगातार दो साल ड्रॉप लेकर तीसरे अटेम्ट में कोरबा के प्रियांशु गोल ने नीट क्वालिफाई किया है। इसके साथ ही अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर अब वे अपने परिवार के पहले डॉक्टर बनने जा रहे हैं। हिमांशु ने बताया कि पिछले साल जब कुछ माक्र्स से नीट क्वालिफाई करने से चूक गए तो बुरी तरह से निराश हो गए थे।

 कई दिनों तक डिप्रेशन में रहे। इस बीच फैमिली और कोचिंग के टीचर्स ने अगर उन्हें मोटिवेट नहीं किया होता तो शायद ही इस साल नीट क्वालिफाई कर पाते। प्रियांशु कहते हैं कि कई स्टूडेंट को सक्सेस जल्दी तो कई को बहुत देर से मिलती है। कई बार ऐसा होता है कि आपने जी तोड़ मेहनत की फिर भी फेल्यिर हाथ लगा। ऐसे समय में धैर्य रखना बहुत जरूरी है।

लगातार दो साल ड्रॉप में पर्सनल और स्टडी लाइफ में धैर्य रखा ताकि एग्जाम में बेहतर कर पाऊं। आज रिजल्ट भी सामने है और धैर्य का फल भी। बच्चे के  साथ पैरेंट्स का भी पेशेंस रखना जरूरी है। मैं बहुत लक्की रहा कि मेरे पैरेंट्स ने कभी मुझे प्रेशर नहीं किया। उन्होंने बस यही कहा कि तुम कर सकते हो और करके दिखाओगे। आज जब खुद के नाम के सामने डॉक्टर जुड़ा देखता हूं तो बहुत खुशी होती है।

पुराने पेपर करता था साल्व भिलाई में सचदेवा कॉलेज में कोचिंग के बाद मैं रूम आकर रोजाना नीट के पुराने पेपर साल्व करता था। पीजी में रूम पार्टनर को भी पढऩे में इंटरेस्ट था। दोनों नीट की तैयारी कर रहे थे इसलिए हम एक दूसरे से कम्पीटिशन करते थे ताकि एग्जाम के दिन अपना सौ फीसदी दे सके।

 पुराने पेपर्स से काफी हेल्प मिला। बायो में शुरू से इंटरेस्ट था इसलिए शुरू से ही डॉक्टरी फील्ड में जाना तय था। नीट के लिए फिजिक्स पर ज्यादा फोकस किया क्योंकि ये बायो के स्टूडेंट के लिए थोड़ा टफ पड़ता है। दो साल तक दिन रात सिर्फ नीट के बारे में ही सोचता था। खुद में भरोसा था कि मैं नीट जरूर क्वालिफाई करूंगा।

सचदेवा के एक्स स्टूडेंट ने किया यहां पढऩे के लिए सजेस

प्रियांशु ने बताया कि 12 वीं बोर्ड के बाद नीट एग्जाम को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं थी। ऐसे में पापा के दोस्त के भतीजे और सचदेवा कॉलेज भिलाई के एक्स स्टूडेंट जो फिलहाल एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं उन्होंने यहां एडमिशन लेने की सलाह दी।

पहले साल सचदेवा से सिर्फ क्रैश कोर्स किया। बेहतर रिजल्ट देखकर लगा कि अगर यहां पूरे साल रहकर पढ़ाई करूंगा तो नीट में सलेक्शन आसानी से हो सकता है। जैसा सोचा था वैसा ही रिजल्ट आया। सचदेवा के टीचर्स हर बच्चे की पढ़ाई पर फोकस करते हैं। बायो का डायग्राम बनाकर पढ़ाना काफी इंटरेस्टिंग है। ये चीजों को याद रखने में मदद करता है।

हर सुख-दु:ख करते थे जैन सर से शेयर

किसी भी कोचिंग में बच्चों की क्लास के बाद टीचर्स का कोई कनेक्शन स्टूडेंट्स से नहीं होता पर सचदेवा कॉलेज के डॉयरेक्टर चिंरजीव जैन सर पर्सनली हर बच्चे का ध्यान रखते हैं। पीजी में रहकर पढऩे वाले बच्चों के प्रति उनका झुकाव ज्यादा रहता है। घर से दूर रहने के कारण वे हमारे हर सुख-दु:ख का ख्याल रखते थे। हम भी उनसे बिना डरे अपने मन की हर बात शेयर करते थे।

पढ़ाई के बीच-बीच में काउंसलिंग के साथ पैरेंटिंग से पर्सनल लाइफ को बैलेंस रखने में मदद मिली। गेस्ट सेशन में सचदेवा की एक्स स्टूडेंट और लेडी डॉक्टर ने अपनी स्टोरी शेयर की थी। उन्होंने भी तीसरे प्रयास में नीट क्वालिफाई किया था। उनकी स्टोरी जानकर लगा कि जब वो कर सकती है तो मैं क्यों नहीं। टेस्ट सीरिज में पहले मैं टॉप 20 में भी नहीं आता था। धीरे-धीरे अपनी जगह बनाई तो खुद पर भरोसा दोगुना होता चला गया।