अगर पुलिस आपकी शिकायत को दर्ज करने से इनकार कर देती है तो आपके पास क्या अधिकार है, जीरो एफआईआर क्या होता हेै जाने इस खबर के माध्यम से
दुर्ग 25 अगस्त । राजेश श्रीवास्तव जिला व सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन, व निर्देशन में कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए, श्रीमती प्रज्ञा पचैरी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं आनंद वारियल अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा ऑनलाइन वीसी के माध्यम से बताया की जब भी कोई अपराध होता है या किसी तरह की कोई दुर्घटना होती है, तो सबसे पहले उस घटना की जानकारी को पास के पुलिस स्टेशन में देनी होती है। इसे हम एफआईआर कहते हैं । एफआईआर यानी वो लिखित दस्तावेज जिसे पुलिस जानकारी मिलने पर दर्ज करती है और फिर कार्यावाही करती है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस रिपोर्ट को तैयार करती है। जब तक घटना या किसी अपराध की एफआईआर नहीं दर्ज होगी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है ।
आम आदमी पुलिस थाने जाने में संकोच करता है। बात अगर किसी अपराध की रिपोर्ट लिखाने की हो तो आम आदमी के जहन में कई सवाल आते हैं और वह सोचता है कि अगर पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी तो । अगर पुलिस किसी अपराध की रिपोर्ट लिखने से मना करे तो आपके पास इसका भी कानूनी उपचार है। जब भी कोई संज्ञेय अपराध होता है यानी गंभीर प्रवृत्ति का अपराध हो तो इसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस को तुरंत दी जानी चाहिए और पुलिस का काम है कि वह इस तरह के अपराध की रिपोर्ट अपने प्रथम सूचना रिपोर्ट रजिस्टर में दर्ज करंे। इसका प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 में दिया गया है। इस सूचना को प्रथम सूचना प्रतिवेदन कहते हैं।
सामान्यतः समझा जाता है कि किसी मामले की रिपोर्ट उस थाने में की जाए जिस थानाक्षेत्र में अपराध या घटना घटित हुई है, लेकिन आप अपने नजदीकी थाने में भी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं, जिसे बाद में संबंधित थाने में भिजवा दिया जाएगा। पीड़ित पक्ष या ऐसा पक्ष जिसे घटना या अपराध के बारे में जानकारी है उसे वह किसी नजदीकी थाने में जाकर पूरी जानकारी के साथ पुलिस को बता सकता है। पुलिस का काम है कि संज्ञेय अपराध की एफआईआर लिखे।
अगर अपराध उस थानाक्षेत्र में नहीं घटित हुआ है तो भी पुलिस उसकी रिपोर्ट अपने एफआईआर रजिस्टर में नोट करेगी। ऐसी एफआईआर को जीरो एफआईआर कहा जाता है। इस रिपोर्ट को दर्ज करने के बाद पुलिस उसे आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित थाने में भेज देगी। अगर अपराध असंज्ञेय है तो पुलिस उसे अपने एफआईआर रजिस्टर के बजाए अपने एनसीआर) रजिस्टर में दर्ज करेगी। इस एनसीआर रजिस्टर में असंज्ञेय अपराधों को नोट किया जाता है।
कोई भी व्यक्ति पुलिस के पास अपनी शिकायत लिखित या मौखिक तौर पर दर्ज करवा सकता है । हर व्यक्ति को इस बात का अधिकार है लेकिन अक्सर पुलिस ऐसा करने से इनकार कर देती है । अगर पुलिस आपकी शिकायत को दर्ज करने से इनकार कर देती है तो आपके पास अधिकार है कि आप किसी सीनियर ऑफिसर के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर इसके बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो आप सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत मजिस्ट्रेट के पास इसकी शिकायत करने के अधिकारी हैं। आपकी शिकायत पर मजिस्ट्रेट पुलिस को एफआईआर करने के निर्देश देने का अधिकार रखते हैं।