मंकीपॉक्स का संदिग्ध मिलने से स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट, 19 छात्र हुए क्वारंटीन, मेकाहारा में उपचार जारी, लैब से रिपोर्ट का इंतजार

मंकीपॉक्स का संदिग्ध मिलने से स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट, 19 छात्र हुए क्वारंटीन, मेकाहारा में उपचार जारी, लैब से रिपोर्ट का इंतजार


मंकीपॉक्स का संदिग्ध मिलने से स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट, 19 छात्र हुए क्वारंटीन, मेकाहारा में उपचार जारी, लैब से रिपोर्ट का इंतजार 

रायपुर, 27 जुलाई। आज रायपुर में 13 वर्षीय छात्र में मंकीपॉक्स के संभावित लक्षण मिलने पर उसे क्वारंटीन किया गया है। खबर लगते ही स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हुआ और छात्र के सम्पर्क में आए हास्टल के अन्य छात्रों को भी क्वारंटीन किया गया है। सभी को चिकित्सकीय टीम की निगरानी में रखा गया है। मेकाहारा में भर्ती संदिग्ध मंकीपॉक्स पीड़ित छात्र का उपचार जारी है। चिकित्सकों ने बताया कि छात्र के शरीर पर लाल दाने उभर आए हैं, वह पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ की संस्कृत पाठशाला का विद्यार्थी है, बच्चे के शरीर पर लाल दाने हैं और उसे बुखार भी है। मंकीपॉक्स के लक्षण देखकर उसे डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल (मेकाहारा) के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर लिया गया है। मरीज के नमूने पुणे स्थित नेशनल वॉयरोलॉजी लैब को भेजे गए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार छात्र मूल रूप से कांकेर निवासी है तथा रायपुर के जैतूसाव मठ के छात्रावास में रहता है। तीन दिन पहले उसके शरीर पर लाल दाने दिखाई दिए। सोमवार को उसे जिला अस्पताल के चर्म रोग विभाग की ओपीडी में दिखाया गया। वहां मंकीपॉक्स संदिग्ध मानकर डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज जाने को कहा। मंगलवार को उसे मेडिकल कॉलेज से संबद्ध डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल की ओपीडी में दिखाया गया। यहां शुरुआती जांच के बाद डॉक्टर ने बच्चे को रोक लिया और उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया। यह जानकारी राज्य स्तरीय सर्विलेंस टीम को भी दी गई। इसके बाद छात्रावास में रह रहे शेष 19 बच्चों को भी क्वारंटीन किया गया है। उनकी सेहत पर भी लगातार नजर रखी जा रही है। महामारी के प्रोटोकाल के मुताबिक मरीज और उसके साथ के बच्चों के सैंपल को जांच के लिए नेशनल वॉयरोलाजी लैबोरेट्री भेजा गया है।

महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि जांच में सामने आया है कि बच्चे की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। वह कहीं बाहर नहीं गया। किसी संदिग्ध से उसकी मुलाकात भी नहीं हुई है। हॉस्टल में उसके किसी और साथी में ऐसे लक्षण नहीं मिले हैं। यह स्किन इंफेक्शन भी हो सकता है। चर्म रोग के विशेषज्ञों के परामर्श पर स्किन इंफेक्शन की दवाएं दी जा रही है और उससे बच्चे को राहत भी मिली है। मंकीपॉक्स का संक्रमण देश में आ चुका है, ऐसे में कोई रिस्क नहीं ले सकते इसलिए सभी प्रोटोकाल का पालन किया जा रहा है।

गौरतलब हो कि मंकीपॉक्स एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्स विरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है। 1970 में कांगो के एक नौ साल के बच्चे में सबसे पहले यह वायरस मिला था। तब से पश्चिम अफ्रीका के कई देशों में इसे पाया जा चुका है और इसके लिए कई जानवरों की प्रजातियों को जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, बंदर आदि शामिल हैं। मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है। कभी-कभी यह 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण आते हैं। शुरुआत में यह चेचक यानी स्मॉलपॉक्स जैसा ही दिखता है। एक से तीन दिन के भीतर त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं, वह फटते भी हैं। ये दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।

डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि मंकीपॉक्स अपने आप में बहुत गंभीर और जटिल बीमारी नहीं है। यह सात दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। इसके इलाज के लिए एंटी वॉयरल दवा भी उपलब्ध है। इससे मृत्यु दर भी एक प्रतिशत से कम है लेकिन यह महामारी समुदाय में फैल गई तो कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। ऐसे में सावधानी जरूरी है। नियमित रूप से मास्क पहने, भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, सीधे संपर्क में न आएं, हाथों को सेनेटाइज करते रहें। यह संक्रमण से बचाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है।