हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग में पीएचडी अवार्ड शोधार्थियों का अर्द्धशतक हुआ पूरा, केवल 6 वर्षों में पुरी की यह यात्रा

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग में पीएचडी अवार्ड शोधार्थियों का अर्द्धशतक हुआ पूरा, केवल 6 वर्षों में पुरी की यह यात्रा


दुर्ग 1 मई । हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग में 2018 से आरंभ हुई पीएचडी डिग्री हेतु शोध की शुरूआत के पश्चात् सन् 2024 तक 50 शोधार्थियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई है। इसमें उल्लेखनीय बात यह है कि पूरे 50 पीएचडी मौखिकी परीक्षा के दौरान विश्वविद्यालय की कुलपति, डॉ. अरूणा पल्टा स्वयं उपस्थित रहीं। सम्भवतः विश्वविद्यालयों में पीएचडी वायवा के दौरान किसी कुलपति की प्रत्येक वायवा में उपस्थिति अपने आप में रिकार्ड है।

यह जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय की पीएचडी सेल प्रभारी, डॉ. प्रीता लाल ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर स्थित टैगोर हॉल में आज शिक्षा संकाय के दो पीएचडी वायवा आयोजित हुए। इन दोनों शोधकर्ताओं का शोधकेन्द्र कल्याण महाविद्यालय, सेक्टर 07 भिलाई था।
डॉ. प्रीता लाल ने बताया कि प्रथम वायवा सेंट थॉमस कॉलेज, भिलाई की शोधनिर्देशक, डॉ. ज्योत्सना गड़पायले के मार्गदर्शन एवं सह शोधनिर्देशक, कल्याण कॉलेज, भिलाई की डॉ. आरती मिश्रा के सह शोधनिर्देशन में श्री राम शिक्षा महाविद्यालय, ठाकुरटोला, राजनांदगांव की सहायक प्राध्यापक, श्रीमती नम्रता बुलदेव ने अपना शोधकार्य पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से प्रस्तुत किया। बाह्य परीक्षक के रूप में गुरू घांसीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के प्राध्यापक, डॉ. सुजीत कुमार मिश्रा उपस्थित थे। श्रीमती नम्रता बुलदेव ने उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के परासंज्ञान कौशल पर तनाव एवं तार्किक चिंतन के प्रभाव का अध्ययन विषय पर अपना शोधकार्य प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि तनाव के विभिन्न प्रकारों में विद्यार्थियों को होने वाले तनाव से बचाने हेतु शिक्षक, पालक, विद्यालय, आदि सभी को समूचित रूप से प्रयास करना होगा।

डॉ. लाल के अनुसार आज आयोजित द्वितीय वायवा में सेंट थॉमस कॉलेज, भिलाई की डॉ. सुमीता सिंह शोधनिर्देशक तथा कल्याण कॉलेज, भिलाई की डॉ. अनिता श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में शोधछात्रा छत्तीसगढ़ वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय, सेक्टर 06 भिलाई की सहायक प्राध्यपक नसीम बानो ने उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों की अधिगम शैली एवं शैक्षिक चिंता का शैक्षिक शिथिलता पर प्रभाव का अध्ययन विषय पर अपना शोधकार्य प्रस्तुत किया। बाह्य परीक्षक के रूप में नागपुर के प्रोफेसर, देशपांडे उपस्थित थें। उन्होंने बताया कि शिक्षण के दौरान तैयारी में कमी एवं मेहनत की कमी के कारण विद्यार्थियों में शैक्षिक शिथिलता आती है। पीएचडी वायवा के दौरान कल्याण महाविद्यालय, भिलाई के प्राचार्य, डॉ. आर. पी. अग्रवाल, कुलसचिव, भूपेन्द्र कुलदीप, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, डीसीडीसी, डॉ. प्रीता लाल, सहायक कुलसचिव, डॉ. सुमीत अग्रवाल एवं विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक तथा शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थें।