सीजी पीएमटी क्वालिफाई से पहले ही दोस्त बुलाने लगे थे डॉक्टर साहब, सफलता से पहले कई असफलाओं को झेलने पहले खुद को किया तैयार, तीसरे ड्रॉप में सीजी पीएमटी क्वालिफाई करके डॉक्टर बने सुजय

सीजी पीएमटी क्वालिफाई से पहले ही दोस्त बुलाने लगे थे डॉक्टर साहब, सफलता से पहले कई असफलाओं को झेलने पहले खुद को किया तैयार, तीसरे ड्रॉप में सीजी पीएमटी क्वालिफाई करके डॉक्टर बने सुजय


सीजी पीएमटी क्वालिफाई से पहले ही दोस्त बुलाने लगे थे डॉक्टर साहब, सफलता से पहले कई असफलाओं को झेलने पहले खुद को किया तैयार, तीसरे ड्रॉप में सीजी पीएमटी क्वालिफाई करके डॉक्टर बने सुजय

भिलाईनगर 16 जुलाई ।  बलौदाबाजार के रहने वाले डॉ. सुजय अपने माता-पिता के इकलौते बेटे हैं। बचपन से ही पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बनकर गरीबों की मदद के लिए बनाए उनके एनजीओ में मरीजों का फ्री इलाज करे। इसलिए उन्होंने अपने बेटे को सफलता का स्वाद चखने से पहले कई असफलताओं को सहने के लिए तैयार किया। पिता जानते थे कि डॉक्टर बनने का रास्ता बेहद संघर्ष और कठिनाई से भरा है। इसलिए उन्होंने सुजय से बस इतना कहा कि कुछ भी हो जाए हार मत मानना। यही बात दिल से लगाकार बेटे ने भी लगातार तीन साल ड्रॉप लेकर कड़ी मेहनत की। आज एमबीबीएस के बाद रायपुर मेडिकल कॉलेज से डॉ. सुजय त्रिवेदी एमडी मेडिसीन की पढ़ाई कर रहे हैं। डॉ. सुजय कहते हैं कि मेरी सफलता में मेरा हिस्सा सिर्फ दस फीसदी है। बाकी 90 फीसदी श्रेय माता-पिता, दोस्त, टीचर्स और उन सभी लोगों का है जिन्होंने मेरी काबिलियत पर भरोसा करके संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। मुझे याद है जब 12 वीं बोर्ड के बाद मैं पहली बार मेडिकल एंट्रेस की कोचिंग के लिए घर से निकला था तभी से सारे दोस्तों ने मुझे डॉक्टर साहब बुलाना शुरू कर दिया था। आज जब सच में डॉक्टर बन गया हूं तो लगता है कि ऐसे दोस्त हर किसी को मिले।

बायो के साथ फिजिकल एजुकेशन सब्जेक्ट लेकर पढ़ाई की

डॉ. सुजाय ने बताया कि उन्होंने 11 वीं में बायो और फिजिकल एजुकेशन लिया। मन के साथ तन को फिट रखना भी जरूरी है इसलिए फिजिकल एजुकेशन में इंटरेस्ट आ गया। 12 वीं बोर्ड में प्रतिशत कम आने के कारण मैं बहुत दु:खी हो गया था। उस वक्त पैरेंट्स ने कहा कि नंबर से ज्यादा मेहनत मायने रखता है इसलिए तुम मेडिकल एंट्रेस की तैयारी शुरू कर दो। जब पहले ड्रॉप में सीजी पीएमटी और ऑल इंडिया पीएमटी दिया तो लगा कि फिजिक्स और कैमेस्ट्री में काफी मेहनत करना पड़ेगा। इसलिए दूसरे ड्रॉप में नए सिरे से इन दोनों की पढ़ाई की।

पॉजिटिव एनर्जी से भर देते थे सचदेवा के टीचर्स

डॉ. सुजाय ने बताया कि जब पहली बार वे सचदेवा पहुंचा तो वहां टीचर्स से पहले स्टाफ ने ही कह दिया कि तुम जैसे टैलेंड का सलेक्शन नहीं होगा तो किसका होगा। उनकी मोटिवेशनल बातें एक पावर बूस्टर की तरह दिमाग में दौड़ गई। फिर कभी पीछे पलटकर नहीं देखा। क्लासरूम में भी सचदेवा के टीचर्स पढ़ाई के साथ-साथ हमें मोटिवेट करते थे। हर साल जब रैंक अच्छा आ रहा था वो भी कहते कि अगले अटेम्ट में सलेक्शन पक्का है। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर तो अपने आप में पॉजिटिवनेस की दुकान है। दो साल ड्रॉप में जब सलेक्शन नहीं हुआ तो जैन सर ने कहा कि तुम्हारी रैंक लगातार अच्छी आ रही है इसलिए गिवअप नहीं करना। जब भी लगे कि निराश हो रहे तो फोन करके बात कर लेना। जैन सर हमेशा कहा करते थे प्रेशर जरूरी है लेकिन ओवर प्रेशर नहीं। जिस तरह ओवर प्रेशर से कुकर में चावल पकता नहीं बल्कि कुकर ही फट जाता है, कुछ ऐसी ही परिस्थिति स्टूडेंट के साथ भी होती है। इसलिए हमेशा उम्मीद बनाए रखो। उनकी बातें आज भी याद करता हूं तो एक सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता हूं।

सिर्फ सलेक्शन काफी नहीं, मेडिकल प्रोफेशन को अपनाना भी जरूरी है

नीट की तैयारी कर रहे बच्चों को यही कहना चाहूंगा कि हर हाल में खुद को पॉजिटिव रखने की कोशिश करना चाहिए। दिमाग ठंडा रखकर जब आप पेपर साल्व करेंगे तो अपने प्रश्नों के सही उत्तर रिकॉल कर पाएंगे। पढ़ाई के साथ हेल्थ का भी ख्याल रखना जरूरी है। अगर सेहत अच्छी नहीं रही तो इसका असर पढ़ाई और एग्जाम दोनों पर पड़ेगा। मेडिकल कॉलेज में सलेक्शन ही काफी नहीं है इस प्रोफेशन को दिल से अपनाना भी बहुत जरूरी है। तभी आप एक अच्छे डॉक्टर बन पाओगे।