छत्तीसगढ़ के महासमुंद, जशपुर, कांकेर में मिला हीरा, सोना का भंडार, प्रदेश के 108 विकासखंड में लिथियम सहित कीमती खनिज की पुष्टि!

छत्तीसगढ़ के महासमुंद, जशपुर, कांकेर में मिला हीरा, सोना का भंडार, प्रदेश के 108 विकासखंड में लिथियम सहित कीमती खनिज की पुष्टि!


छत्तीसगढ़ के महासमुंद, जशपुर, कांकेर में मिला हीरा, सोना का भंडार, प्रदेश के 108 विकासखंड में लिथियम सहित कीमती खनिज की पुष्टि!
सोने के बड़े-छोटे भंडारों का महासमुंद (Mhasamund) और जशपुर (Jaspur) के अलावा कांकेर में भी पता चला है। सुकमा में लीथियम के भंडार की पुष्टि ने सरकारी तौर पर नई उम्मीद जगाई है, क्योंकि लीथियम का इस्तेमाल अभी मोबाइल तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरियों में हो रहा है।

रायपुर 5 सितंबर । छत्तीसगढ़ शासन (Government of Chhattisgarh) के एक तथा राष्ट्रीय स्तर के तीन संस्थानों की बीते चार-पांच साल में छत्तीसगढ़ में किए गए 200 से अधिक सर्वे की रिपोर्ट आ गई है। इन सर्वे में प्रदेश (Chhattisgarh) में अलग-अलग जगह हीरा, सोना, लीथियम और टिन सहित 10 से अधिक धातुओं के बड़े भंडार मिलने की पुष्टि हुई है। कीमती तथा उपयोगी खनिज के अलग-अलग जिलों में 108 ब्लॉक (स्थान) चिन्हित किए गए हैं।

इनमें से 53 विकासखंड में चालू वित्तीय साल (2022-23) में ही खनन के टेंडर या तो जारी कर दिए गए, या फिर होने वाले हैं। इनमें से 10 विकासखंड के लिए नोटिस इंवाइटिंग टेंडर (NIT) भी जारी कर दिए गए। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के खनिज विभाग ने राज्य में खनिज की उपलब्धता और सरकार की नीतियों पर वर्कशॉप की थी। इसमें देशभर के निवेशक, विशेषज्ञ और वैज्ञानिक शामिल हुए। छत्तीसगढ़ में हीरे के पुराने चिन्हित क्षेत्र गरियाबंद के अलावा महासमुंद (Mhasamund), जशपुर और जांजगीर-चांपा में अलग-अलग जगह हीरे की मौजूदगी प्रमाणित हुई है।

यहां सोने का भंडार


इसी तरह, सोने के बड़े-छोटे भंडारों का महासमुंद (Mhasamund) और जशपुर (Jaspur) के अलावा कांकेर में भी पता चला है। सुकमा में लीथियम के भंडार की पुष्टि ने सरकारी तौर पर नई उम्मीद जगाई है, क्योंकि लीथियम का इस्तेमाल अभी मोबाइल तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरियों में हो रहा है।

डायरेक्टर ऑफ जियोलॉजी एंड मांइनिंग छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) (DGM) और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में मिले 108 में से कई में जल्दी खनन शुरू होगा, क्योंकि इनमें से 10 में नोटिस इन्वाइटिंग टेंडर (एनआईटी) जारी किया जा चुका है। ऐसे ब्लॉक जिसमें लेवल ऑफ एक्सप्लोरेशन जी-1, 2 और 3 केटेगरी में हैं, उनमें सीधे माइनिंग की अनुमति होती है। जी-4 केटेगरी में कंपनी पहले सर्वे करेगी, फिर उसके नतीजे पर खनन होगा। ऑक्शन में कंपनियां शासन को प्रीमियम जमा करती हैं। इसके बाद कंपनी माइनिंग कर खनिज बेच सकते हैं। पूरी प्रक्रिया ग्लोबल है।

इन संस्थाओं ने किया सर्वे


डायरेक्टर ऑफ जियोलॉजी एंड मांइनिंग छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) (DGM), जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई), मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी (एमईसीएल) और नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (एनएमईटी) ने सर्वे के आधार पर तैयार की है रिपोर्ट।

खनिज मिलना इन कारणों से सुखद खबर
1 राजस्व- राजस्व में बढ़ोत्तरी होगा। इससे विकास काम हो सकेंगे।

2 अर्थव्यवस्था- इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी।

3 रोजगार- खनन में प्रोफेशनल्स से लेकर श्रमिकों तक रोजगार।

4 उद्योग- प्रोसेसिंग, महत्वपूर्ण उपयोगी वस्तुएं बनाने के लिए कारखाने भी।

दंतेवाड़ा ने बनाई टिन से पहचान
दंतेवाड़ा (Dantewada) में टिन के 6 ब्लॉक की पुष्टि हो चुकी है। टिन का उपयोग मिश्रधातु बनाने में होता है। जैसे तांबा और टिन को मिलाकर कांसा बनाया जाता है, इसे शीशे में मिलाने से सोल्डर बन जाता है। टिन का उपयोग बेल मेटल तथा टाइप मेटल बनाने में भी किया जा रहा है।

लीथियम के लिए चाइना पर निर्भर
सुकमा (Sukma) में लीथियम मिलना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में इस खनिज की मांग तेजी से बढ़ी है। बैटरियां बनाने के लिए भारत काफी हद तक इसी कारण से चाइना पर निर्भर है। सुकमा लीथिमय की निर्भरता को खत्म करेगा। लीथियम के लिए झारखंड में भी सर्वे जल्द होगा।