*भिलाईयन्स ने खोजी न्यूनतम कीमत में हृदयगति-मापन विधि, रिफ्लेक्टोकार्डियोग्राफी तकनीक का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में हुआ प्रकाशन*

*भिलाईयन्स ने खोजी न्यूनतम कीमत में हृदयगति-मापन विधि, रिफ्लेक्टोकार्डियोग्राफी तकनीक का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में हुआ प्रकाशन*


भिलाईयन्स ने खोजी न्यूनतम कीमत में हृदयगति-मापन विधि, रिफ्लेक्टोकार्डियोग्राफी तकनीक का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में हुआ प्रकाशन

भिलाई नगर 17 जनवरी । भिलाई में पले बढ़े, डाॅ. अरिंदम कुशाग्र, अपने साइंटिफिक रिसर्च से एक अति महत्वपूर्ण चिकित्सकीय जांच की प्रक्रिया को सरल करने में सफलता पाई है। वर्तमान में किसी भी व्यक्ति के दिल धड़कने के रिदम की जांच करने के लिए भारी भरकम मशीनों की ज़रूरत पड़ती है। डॉ कुशाग्र ने ऐसी तकनीक ईजाद की है जिसमे यह जांच आसानी से उपलब्ध सामान्य चीज़ों से हो जाएगी। 

सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर 10 से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वे बायोटेक्नोलाॅजी में बी.टेक. व एम.टेक. की पढ़ाई करने हेतु आई.आई.टी. खड़गपुर चले गए। वहीं से उनका रूझान नवीन शोध-कार्यों की ओर बन गया। तत्पश्चात् उन्होंने पी.एच.डी. एवं पोस्टडाॅक की अवधि आई.आई.टी. मुंबई एवं आई.आई.टी. दिल्ली में पूरी की। अभी वे अमिटी विश्वविद्यालय कोलकाता में नैनोटेक्नोलाॅजी के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।  वे लगातार नवीन शोध-कार्यों में संलिप्त रहे हैं और अनेक अंतर्राष्ट्रीय शोध-पत्र एवं पेटेंट्स प्रकाशित करते रहे हैं। पूर्व में उन्होंने केवल सरसों के तेल का उपयोग करते हुए pH-मापन प्रणाली का आविष्कार किया है एवं तेल-पानी की सम्मिलित सतह का उपयोग करते हुए DC वोल्टेज लगाकर अल्टरनेटिंग करंट बनाने का भी आविष्कार किया है। 

हाल ही में उन्होंने AIP Advances नामक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन में (प्रकाशक: American Institute of Physics) एक शोध-पत्र प्रकाशित किया है, जिसमें उन्होंने न्यूनतम कीमत में हृदयगति-मापन विधि का आविष्कार किया है। यह विधि बहुत ही आसानी से हृदयगति-मापन करने में समर्थ है और इसे कोई भी लेटा हुआ व्यक्ति, कहीं भी कर सकता है। आवश्यकता है केवल एक चमकदार वस्तु अथवा एक आईने की, जिसे पेट के ऊपर रखकर इस विधि को सरलतापूर्वक पूरा किया जा सकता है। इस विधि को उन्होंने रिफ्लेक्टोकार्डियोग्राफी (reflectocardiography) (RCG) नाम भी दिया है। इस विधि द्वारा दुर्गम स्थानों पर, जहाँ मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पातीं, हृदयघात के मरीजों को भी समय रहते चिन्हित किया जा सकेगा एवं यह विधि चिकित्सकों व चिकित्सा-क्षेत्र से जुड़े शोधकर्ताओं के लिए बेहद रुचिकर साबित होगी।