पाट-जात्रा विधान के साथ बस्तर दशहरे का हुआ शुभारंभ, 75 दिनों तक चलेगी विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा, ग्राम बिलोरी के जंगल से लाई गई रथ निर्माण के लिए पहली लकड़ी

पाट-जात्रा विधान के साथ बस्तर दशहरे का हुआ शुभारंभ, 75 दिनों तक चलेगी विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा, ग्राम बिलोरी के जंगल से लाई गई रथ निर्माण के लिए पहली लकड़ी


पाट-जात्रा विधान के साथ बस्तर दशहरे का हुआ शुभारंभ, 75 दिनों तक चलेगी विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा, ग्राम बिलोरी के जंगल से लाई गई रथ निर्माण के लिए पहली लकड़ी

जगदलपुर, 8 अगस्त। पाटजात्रा पूजा विधान के साथ 75 दिवसीय विश्वप्रसिद्ध बस्तर दशहरे का शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर जगदलपुर में मां दन्तेश्वरी मंदिर के सामने बस्तर जिले के बिलोरी गांव के जंगल से लायी हुई साल के लकड़ी की विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गई। इस विधान के दौरान लाई व फूल के साथ पूजा अर्चना के दौरान एक अंडा, 11 मोंगरी मछली व एक बकरे की बलि दी गई।

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के प्रथम पूजा विधान पाट-जात्रा में संसदीय सचिव एवं जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन सहित बस्तर संभाग के जनप्रतिनिधि, मांझी-चालकी, पुजारी, रावत एवं आम नागरिकों सहित प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

इस विधान के साथ ही बस्तर दशहरा के दोमंजिला रथ निर्माण के लिए जंगला से लकड़ी लाने की प्रारंभ हो जायेगी। हरियाली अमावस्या 08 अगस्त को पाट-जात्रा पूजा विधान से प्रारंभ बस्तर दशहरे का समापन मांई जी की डोली  विदाई पूजा विधान के साथ सम्पन्न होगी।

इस अवसर पर संसदीय सचिव एवं जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन ने कहा कि ये ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व जो कि 75 दिनों तक चलता है। इस पर्व की प्रथम पूजा आज पाटजात्रा रस्म आज बस्तर संभाग के सभी मांझी-मुखिया, चालकी तथा आस्थावान भक्तों एवं प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों की उपस्थिति सम्पन्न हुई है। इस विधान के तहत मां दन्तेश्वरी के लिए जो दोमंजिला रथ तैयार किया जाता है उसके लिए सदियों से ग्राम बिलोरी के जंगल से प्रथम लकड़ी लाई जाती है, जिसे टूरलू कोटला भी कहा जाता है। उसकी पूजा की जाती है और मां दन्तेश्वरी से प्रार्थना की जाती है कि रथ निर्माण के लिए जितने लकड़ी की आवश्यकताा है, उतनी लकड़ी लेने की अनुमति मांगते हैं।