तिरंगे के राखी से बंधा अमृत महोत्सव, बीएसपी सीएसआर ने दिया महिला समूहों को राखी निर्माण का प्रशिक्षण
भिलाईनगर 21 अगस्त । सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत निरन्तर विविध आयोजन करता जा रहा है। सीएसआर विभाग के महाप्रबंधक शिवराजन नायर ने बताया कि अमृत महोत्सव के तहत बीएसपी के कौशल कुटीर में आयोजित महिला सशक्तिकरण हेतु राखी निर्माण का प्रशिक्षण भी शामिल है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वय श्रीमति रजनी रजक ने कहा कि 25 महिला स्वसहायता समूह को राखी निर्माण का प्रशिक्षण प्रदान किया। इन समूहों में लगभग 300 महिलाएं शामिल है। इन्हीं महिला समूहों के कुछ समर्पित महिलाओं से हमने बातचीत की जिसमें उन्होंने अपनी भावनाओं को बड़े ही सरल व सहज तरीके से रखा। जिसमें देशप्रेम से लेकर अपने संस्कार व संस्कृति को सहेजने की ललक भी थी और झलक भी।
अमृत महोत्सव को समर्पित तिरंगा राखी
“ऐ वतन-वतन मेरे आबाद रहे तू, मै जहां रहू वहां पे याद रहे तू” अमृत महोत्सव को समर्पित करती इन देशभक्ति पंक्तियों के साथ अपनी बात रखते हुए श्रीमति ममता प्रकाश राव बताती है कि वीर जवानों के लिए तिरंगे राखी का निर्माण किया। देश के आजादी का 75 वर्ष पूर्ण होने जा रहा है। ऐसे में हमारी बहनों ने इस अमृत महोत्सव को यादगार बनाने के लिए विभिन्न आकार-प्रकार के तिरंगे राखी का निर्माण किया। आज इन तिरंगे राखियों की बड़ी डिमांड है।
देश-विदेश में पहुंची 50,000 राखियां
उमरपोटी की निवासी श्रीमति इन्दु गायकवाड़ बड़े गर्व से बताती है कि आज हमारी बहनों द्वारा निर्मित राखी ने देश-विदेश में भिलाई और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। अब तक हम सभी बहनों ने मिलकर 50,000 से अधिक राखी लोगों तक पहुंचा चुके है। हम अपनी राखियों को फ्रांस, तुर्की, इस्तांबुल जैसे अनेक देशों में भेज चुकी है।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भी भेजी राखियां
इसी प्रकार इस प्रशिक्षण में शामिल इस्पात नगर की श्रीमति पूनम साहू बड़े ही सहज भाव से अपनी बात रखते हुए कहती है कि हमने इन राखियों को देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा सेल के अपने इस्पाती भाईयों को भेजा है। हमारा यह प्यार का बंधन इस देश को और सुदृढ़ करेगा।
संस्कार व संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा
इन प्रशिक्षित महिला समूहों में शामिल ऐसे ही एक समूह की मुखिया रूकमणी चतुर्वेदी बताती है कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। हम सभी बहनों ने इसी धान के कटोरे से धान निकालकर राखी का निर्माण किया है जो हमारे पवित्र संस्कार व संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी।
छत्तीसगढ़ के संस्कृति की झलक है ये राखियां
इसी कड़ी में श्रीमति टोकेश्वरी गजपाल भाव-विभोर होकर कहती है कि इन राखियों से हमारा विशेष नाता है। हमारे भारतीय संस्कृति में गोबर को पवित्र माना गया है। हमने इसी पवित्रता को अक्षुण रखने के लिए राखी में गोबर का प्रयोग किया है। धान और जूट का प्रयोग किया है। हमने अपने छत्तीसगढ़ के संस्कृति को इस राखी में पिरोने का प्रयास किया है।