तीखी बहस के बीच छत्तीसगढ़ विधानसभा में आया अविश्वास प्रस्ताव-सुपेबेडा़ पर घिरी भूपेश सरकार

तीखी बहस के बीच छत्तीसगढ़ विधानसभा में आया अविश्वास प्रस्ताव-सुपेबेडा़ पर घिरी भूपेश सरकार


तीखी बहस के बीच छत्तीसगढ़ विधानसभा में आया अविश्वास प्रस्ताव-सुपेबेडा़ पर घिरी भूपेश सरकार

रायपुर, 27 जुलाई। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि इस सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है, उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इस विषय पर संयुक्त विपक्ष और सत्ताधारी दल कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी बहस जारी है । 

आज मानसून सत्र में चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने पिछले तीन साल में कुछ भी नहीं किया। जिन वायदों के सहारे इनको सत्ता मिली उसको भी पूरा नहीं कर रही है। इससे पहले प्रश्नकाल में अनियमित और संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण का मामला उठा। 

भाजपा विधायक विद्यारतन भसीन के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि नियमितिकरण के लिए दिसम्बर 2019 में अधिकारियों की एक समिति बनाई गई थी। विभागों, मंडलों, आयोगों और प्राधिकरणों से अनियमित कर्मचारियों की जानकारी मंगाई गई है। कई विभागों से जानकारी मिल चुकी है, कुछ विभागों में जानकारी जुटाई जा रही है। कई मामले अदालतों में चल रहे हैं, मई 2019 में महाधिवक्ता से इस पर अभिमत भी मांगा गया था जो अब तक नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की वजह से यह प्रक्रिया पूरी करने में दिक्कत हुई है। अब हालात सामान्य हो रहे हैं, जल्दी ही इस काम को पूरा किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री का जवाब सुने ही भाजपा विधायक भड़क गए। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि दो-तीन साल में महाधिवक्ता कार्यालय से अभिमत तक नहीं आया? शिवरतन शर्मा ने सरकार पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। 

विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 2006 का एक निर्णय है जिसके तहत नियमितीकरण हो ही नहीं सकता। सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आप देखते रहिए। तभी विपक्ष के विधायकों ने सीट से खड़े होकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। 

आज विधायक डमरुधर पुजारी के सवाल पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्र कुमार घिर गए। उन्होंने कहा , जन घोषणापत्र में सुपेबेड़ा को लेकर कोई वादा ही नहीं था। 2 फरवरी 2019 को सुपेबेड़ा प्रवास के दौरान स्वास्थ्य मंत्री और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ने तेल नदी से वहां के आठ गांवों को समूह पेयजल योजना की घोषणा की थी। 13 अगस्त 2021 को उसकी प्रशासकीय स्वीकृति में फिल्टर प्लांट को भी सम्मिलित किया गया। अगस्त 2021 में निविदा आमंत्रित की गई थी। बाद में न्यूनतम निविदाकार की ओर से इसकी वैधता तिथि बढ़ाने से असहमति जताने पर नई निविदा जारी करने का फैसला हुआ है जिसकी कार्यवाही प्रक्रिया में होना बताने पर भी विपक्ष भड़क उठा है।