रायपुर, 05 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ की राजधानी, राजनीतिक दृष्टि से पूरे प्रदेश की नब्ज़ है। यहाँ से जो संदेश जाता है, वह पूरे प्रदेश में गूंजता है। लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश में कांग्रेस शासन और संगठन दोनों में महिलाओं की सक्रिय भूमिका को बढ़ावा देने की बातें तो बार-बार की जाती हैं, “पर राजधानी रायपुर को आज तक एक भी महिला शहर अध्यक्ष नहीं मिली है।”
👉🏻कांग्रेस की नीति और ज़मीनी हकीकत
महिलाओं और युवाओं के लिए 50% आरक्षण: फरवरी 2023 में रायपुर अधिवेशन में ही कांग्रेस पार्टी ने अपने संविधान में संशोधन करके पार्टी संगठन में सभी पदों में 50% महिलाओं के साथ-साथ 50 वर्ष से कम आयु के युवाओं के लिए आरक्षित किया था। प्रियंका गांधी ने नारा दिया था — “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ”, जो महिलाओं की नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक हिस्सेदारी को आगे बढ़ाने का प्रतीक बना। लेकिन दुखद है कि रायपुर जैसे महत्वपूर्ण शहर में यह नारा अब तक व्यवहार में नहीं उतर पाया।
👉🏻महिलाओं की भागीदारी क्यों ज़रूरी है
राजधानी रायपुर की राजनीति में महिलाएं वर्षों से संगठनात्मक और जनसंपर्क के स्तर पर सक्रिय रही हैं। बूथ स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक, महिला कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार जनता के बीच काम करती आई हैं। लेकिन जब अध्यक्ष पद की बात आती है, तो नेतृत्व पुरुषों तक सीमित रह जाता है। यह न केवल कांग्रेस की घोषित नीतियों के विपरीत है, बल्कि आधी आबादी को हाशिए पर रखने जैसा भी है।
👉🏻भाजपा की महिला रणनीति से सबक लेने का समय
दूसरी ओर, भाजपा ने हाल के वर्षों में ‘महतारी वंदन योजना’ जैसी भावनात्मक और आर्थिक रूप से आकर्षक योजनाओं के ज़रिए महिलाओं को जोड़ने की पहल की है। कांग्रेस अगर महिलाओं के वोट और भावनात्मक समर्थन को अपने पक्ष में लाना चाहती है, तो उसे सिर्फ़ नारे नहीं, बल्कि नेतृत्व में वास्तविक भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
👉🏻राजधानी से महिला नेतृत्व का संदेश
अगर रायपुर में कांग्रेस किसी सक्रिय, संगठन से जुड़ी महिला को अध्यक्ष बनाती है, तो इसका असर सिर्फ शहर तक सीमित नहीं रहेगा —
• इससे पूरे प्रदेश में सकारात्मक और प्रगतिशील संदेश जाएगा,
• महिला कार्यकर्ताओं में जोश और विश्वास बढ़ेगा,
• और आने वाले नगर निगम चुनाव, विधानसभा और लोकसभा चुनावों में महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकेंगी।
💥रायपुर की महिलाओं की मांग
प्रदेश को बने 25 साल हो चुके हैं, और इस पूरे कालखंड में रायपुर को अब तक एक भी महिला शहर अध्यक्ष नहीं मिली है। यही कारण है कि शहर की कई महिला कार्यकर्ताओं और पार्षदों की यह मांग तेज़ हो रही है कि —
“इस बार रायपुर में कांग्रेस संगठन से जुड़ी किसी सक्रिय और जनाधार वाली महिला को अध्यक्ष बनाया जाए।”
यह कदम न केवल पार्टी की नीतियों के अनुरूप होगा, बल्कि संगठन को जमीनी स्तर पर मज़बूती भी देगा
निष्कर्ष:
कांग्रेस को अगर छत्तीसगढ़ में अपनी जड़ें और मजबूत करनी हैं, तो उसे आधी आबादी पर भरोसा दिखाना होगा। रायपुर में महिला अध्यक्ष बनाकर पार्टी यह साबित कर सकती है कि वह नारे नहीं, नेतृत्व में समानता में विश्वास रखती है।
क्योंकि —जब महिला नेतृत्व आगे बढ़ेगा, तभी कांग्रेस फिर से मज़बूती से उभरेगी।