🔴केंद्र सरकार ने बनाए नियम, 90 दिन में होंगे लागू
सीजी न्यूज ऑनलाइन 29 नवम्बर। अब SIM-बाइंडिंग नियम मैसेजिंग ऐप्स पर भी लागू होगा. अभी तक यह बैंकिंग और UPI जैसे ऐप्स में ही होता था, जहां SIM एक्टिव न होने पर इन्हें लॉगइन नहीं किया जा सकता था. देश में पहली बार होगा जब ऐप-आधारित मैसेजिंग सेवाओं को भी टेलीकॉम जैसी सख्त नियमावली में लाया गया है.
भारत सरकार ने मैसेजिंग ऐप्स के लिए बड़ा आदेश जारी किया है, जो देश में करोड़ों यूजर्स के ऐप इस्तेमाल करने के तरीके को बदल सकता है. कारण, अब WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat, ShareChat, JioChat, Arattai और Josh जैसे लोकप्रिय ऐप बिना एक्टिव SIM कार्ड के काम नहीं कर सकेंगे. दूरसंचार विभाग (DoT) ने यह नियम Telecommunication Cybersecurity Amendment Rules, 2025 के तहत लागू किया है.
देश में पहली बार ऐसा हो रहा है कि ऐप-आधारित मैसेजिंग सेवाओं को भी टेलीकॉम जैसी सख्त नियमावली में लाया गया है. नया SIM-बाइंडिंग नियम इन ऐप्स पर भी वही प्रणाली लागू करेगा, जैसी बैंकिंग और UPI ऐप्स में होती है, जहां SIM एक्टिव न हो तो लॉगइन नहीं किया जा सकता.
नया नियम क्या कहता है?
सरकार ने इन ऐप्स को Telecommunication Identifier User Entities (TIUEs) की श्रेणी में रखा है. अब इन प्लेटफॉर्म्स को सुनिश्चित करना होगा कि यूजर का SIM कार्ड हमेशा ऐप से जुड़ा रहे. ऐप्स को 90 दिनों के भीतर यह व्यवस्था लागू करनी होगी.
वहीं वेब ब्राउजर से ऐप इस्तेमाल करने वालों के लिए भी बड़ा बदलाव किया गया है. इसके तहत अब हर 6 घंटे में ऐप ऑटो-लॉगआउट हो जाएगा और दोबारा लॉगइन करने के लिए यूजर को फिर से QR कोड स्कैन करना होगा.
सरकार का कहना है कि इससे अपराधियों के लिए दूर बैठकर नकली अकाउंट चलाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि हर बार एक्टिव और वैरिफाइड SIM जरूरी होगा.
सरकार यह कदम क्यों उठा रही है?
DoT के मुताबिक, अभी ज्यादातर मैसेजिंग ऐप सिर्फ पहली बार इंस्टॉल करते समय मोबाइल नंबर को वेरिफाई करते हैं. उसके बाद ऐप SIM हटाने या बंद होने पर भी चलता रहता है.
COAI (सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने कहा कि यह तरीका बड़ी सुरक्षा खामी पैदा करता है. इसका फायदा उठाकर साइबर अपराधी SIM बदलने या बंद करने के बाद भी ऐप का इस्तेमाल जारी रखते हैं. उनकी लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड या कैरियर डेटा ट्रेस नहीं हो पाता.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
कुछ साइबर एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे धोखाधड़ी और स्पैम कम हो सकते हैं, क्योंकि यूजर, नंबर और डिवाइस की ट्रेसिंग आसान होगी. लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि अपराधी आसानी से फर्जी या उधार लिए हुए दस्तावेजों पर नए SIM ले लेते हैं, इसलिए फायदा सीमित ही रहेगा.
वहीं टेलीकॉम उद्योग का मानना है कि भारत में मोबाइल नंबर ही सबसे मजबूत डिजिटल पहचान है और इस नियम से साइबर सुरक्षा बेहतर हो सकती है.
आम यूजर पर क्या असर?
यह कदम करोड़ों भारतीयों की रोजमर्रा की डिजिटल आदतों में बदलाव ला सकता है. कारण, अब यूजर लगातार कई दिनों तक WhatsApp Web खुले नहीं रख पाएंगे. हर 6 घंटे पर लॉगआउट होना पड़ेगा. वहीं अगर SIM बंद हो गया या SIM स्लॉट में नहीं है तो ऐप खुलेगा ही नहीं. इसके अलावा जिन यूजर्स के पास दो डिवाइस हैं, वे पहले की तरह स्वतंत्र रूप से ऐप नहीं चला पाएंगे.


