🛑 हर मोर्चे पर प्रतिरोध और अवमानना का चलेगा अभियान
सीजी न्यूज ऑनलाइन 17 जनवरी । इस्पात कर्मियों के ज्वलंत मुद्दों को लेकर स्टील वर्कर्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया (इस्पात उद्योग में सीटू संबद्ध यूनियनों का फेडरेशन) की पदाधिकारी समिति की बैठक गुरुवार को कोलकाता में संपन्न हुआ। बैठक में दिवंगत नेताओं, जिसमें माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के अलावा असम में अवैध खनन में मारे गए मज़दूर, छत्तीसगढ़ में एलएंडटी सीमेंट फैक्ट्री दुर्घटना में मारे मज़दूरों के लिए 2 मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने के कारण को लेकर चलाएंगे अभियान
भिलाई से बैठक में शामिल सीटू के वरिष्ठ नेता एस.पी.डे ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने के कारण को लेकर पुनः अभियान चलाया जाएगा। ज्ञात हो कि 21अक्टूबर 2021की बैठक में सीटू/एसडब्ल्यूएफआई के प्रतिनिधियों का स्पष्ट रूख था कि 39 महीने के एरियर्स की देयता को लेकर कोई चर्चा नहीं हो सकता, सिर्फ एरियर्स के भुगतान किश्त को लेकर चर्चा हेतु सीटू तैयार था।
आरआईएनएल को वेतन समझौते से अलग रखने पर भी सीटू ने किया था कड़ी आपत्ति
एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने का एक और महत्वपूर्ण मुद्दा था आरआईएनएल के कर्मचारियों को एनजेसीएस वेतन समझौते से अलग रख कर उस पर अलग से चर्चा करने का मुद्दा। इस शर्त को स्वीकार करना सीटू के लिए बिल्कुल भी संभव नहीं था क्योंकि इस शर्त को मान लेने का अर्थ एनजेसीएस की एकता को अपने हाथों से तोड़ना था, क्योंकि आरआईएनएल अपने स्थापना से ही एनजेसीएस में शामिल रहा है और बड़े-बड़े संघर्षों में हमारे साथ रहा है। इसी तरह ठेका श्रमिकों के लिए भी एमओयू में कुछ प्रावधान नही रखने पर भी सीटू को कड़ी आपत्ति थी, क्यों कि आज ठेका श्रमिक उत्पादन के अभिन्न अंग बन चुके हैं।
4 महिने का वेतन बकाया बैठक में यह बात भी आया कि पिछले 4 महिने से आरआईएनएल कर्मियों को पूरा वेतन नहीं मिल रहा है और वहां के कर्मियों को नियमित वेतन प्राप्त करने के लिए अपने परिवार के साथ सड़क पर उतर कर संघर्ष करना पड़ रहा है।
बकाया वेतन पर कोई मोल-भाव संभव नहीं
बैठक में इस्पात कर्मियों के 39 महीने के एरियर्स सहित वेतन समझौता के अन्य लंबित मुद्दे तथा उन मुद्दों को लेकर किए गए संघर्ष के बाद बनी स्थिति को लेकर गंभीर चर्चा हुई। फेडरेशन ने इस विषय पर अपने रुख को लेकर पुनः अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस विषय पर बैठक में सर्वसम्मति से यह दोहराया गया कि बकाया वेतन कर्मियों का अधिकार है, इस पर किसी तरह का कोई मोल भाव (negotiation) नहीं हो सकता। बकाया वेतन समझौता संपन्न करने की मांग को लेकर 28 अक्टूबर 2024 को हड़ताल में शामिल कर्मियों पर इस्को में की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं भिलाई में उनके साथ किए जा रहे भेदभाव पूर्ण जैसे पदोन्नति से वंचित रखने, नेहरू अवार्ड में चयनित होने के बाद नाम काट दिए जाने तथा गुणवत्ता समूह के राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भाग लेने हेतु चयनित होने के बावजूद, भाग नहीं लेने देने की घटनाओं को गंभीरता से लिया। फेडरेशन का इस मामले में स्पष्ट रुप है कि प्रबंधन को सभी अनुशासनात्मक कार्रवाई वापस लेना होगा एवं भेदभाव पूर्ण व्यवहार बंद करना होगा अन्यथा इसका प्रभाव आने वाले समय में औद्योगिक संबंध पर पड़ेगा।
श्रम संहिता लागू होने के बाद हड़ताल का व्यवहारिक अधिकार समाप्त
बैठक में श्रम संहिताओं को अप्रैल 2025 से लागू करने के केंद्र सरकार के निर्णय पर भी चर्चा हुआ और निर्णय लिया गया कि लागू करने का नोटिफिकेशन जारी होते ही श्रम संहिताओं की प्रतियां जलाई जाएगी। इस मुद्दे पर सीटू नेताओं का कहना है कि आज जब हमारे पास हड़ताल का अधिकार है तब हड़ताल करने पर गर्मियों को प्रबंध के मनमानी का सामना करना पड़ रहा है, श्रम संहिताओं लागू होने के पश्चात प्रबंधन बढ़ जाएगी और कर्मियों की स्थिति गुलामों जैसे हो जाएगी।
तालडीह खदान में अदाणी समूह के साथ कोई समझौता नहीं
नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह में सेल प्रबंधन द्वारा अपने ओड़िशा के तालडीह लौह खदान को अदानी इन्टरप्राइज़ेस लिमिटेड को दिए जाने के खिलाफ सीटू के नेतृत्व में वहां के मजदूरों द्वारा लगातार 15 दिनों तक हड़ताल के पश्चात स्थानीय प्रशासन द्वारा जन सुनवाई आहुत कर खदान के मजदूरों एवं स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य एवं जन सुविधा सुनिश्चित करने के लिए अदानी प्रबंधन के साथ समझौता करने का प्रस्ताव आया था।सीटू ने उक्त प्रस्ताव को ठुकरा दिया एवं स्पष्ट किया कि अदानी प्रबंधन के साथ कोई भी समझौते करने का अर्थ होगा राष्ट्रीय संपत्ति को अदानी को लूटने के अधिकार देने के प्रबंधन के निर्णय को मान लेना। ज्ञात हो कि पूर्व में जो ठेका व्यवस्था था उसमें सेल प्रबंधन का पूरा नियंत्रण था, लेकिन एमडीओ मॉडल के तहत सेल प्रबंधन का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। यदि अदानी को खदान हस्तांतरित करने के लिए निर्णय को नहीं पलटा गया तो भविष्य में सेल के और भी खदानों को निजी हाथों में दिया जा सकता है और इसका प्रभाव सेल के निष्पादन पर पड़ेगा।