दुर्ग 11 सितंबर। मैं अपने 05 वर्ष के कुलपति पद के कार्यकाल से पूर्णतः संतुष्ट हूं। 2019 में अपने पदभार ग्रहण से लेकर 12 सितंबर 2024 को कार्यकाल के 05 वर्ष पूर्ण करने तक की अवधि में मैंने हेमंचद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग को यूजीसी, राज्यशासन, राजभवन के नियमों का पूर्णतः पालन करते हुए एक नई पहचान दिलाने का प्रयास किया। ये उद्गार हेमंचद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति, डॉ. अरूणा पल्टा ने अपने कुलपति पद के 05 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर व्यक्त किये। डॉ. पल्टा ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान राजभवन, छत्तीसगढ़ शासन, उच्च शिक्षा विभाग, जनप्रतिनिधिगण, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, मीडिया जगत के प्रतिनिधियों, विभिन्न छात्र संगठनों आदि का सतत् सहयोग मिला। इसके अलावा विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों विभिन्न 158 महाविद्यालयों के प्राचार्यों, प्राध्यापकों, कर्मचारियों तथा छात्र-छात्राओं ने भी विश्वविद्यालय को हर क्षेत्र में अग्रणी बनाये रखने में हर संभव योगदान दिया। मैं इन सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूं। कार्यपरिषद् एवं विद्यापरिषद् के सदस्यों का अभूतपूर्व सहयोग अविस्मरणीय हैं।
डॉ. पल्टा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा हेमंचद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग में यूटीडी की स्थापना की घोषणा उनके कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है। तकनीकी कारणों से विश्वविद्यालय के निर्माणाधीन भवन का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया, परन्तु आशा है कि आने वाले एक-दो महीने में विश्वविद्यालय अपने नये भवन में संचालित होने लगेगा। अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए डॉ. पल्टा ने कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय को सदैव “छात्र केन्द्रित” बनाये रखने का प्रयास किया। विद्यार्थियों का हित उनकी प्रथम प्राथमिकता रहीं। विद्यार्थियों के हित में विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर की 05 संस्थाओं के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किये गये है। कोरोना जैसे भयानक त्रासदी काल में भी विश्वविद्यालय में अनेक ऑनलाईन सर्टिफिकेट कोर्स तथा आमंत्रित व्याख्यान आयोजित कर छात्रों की पढ़ाई को सर्वोपरि रखा। विगत दो वर्षों से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय तथा जोनल युवा उत्सव में प्रथम, द्वितीय पुरस्कार हांसिल किये। एनएसएस, एनसीसी तथा खेलकूद में इस विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दक्षता सिद्ध की है।
डॉ. पल्टा ने बताया कि उनके कार्यकाल में कोरोना समयावधि के पश्चात् लगातार दो दीक्षांत समारोह न्यूनतम व्यय पर सफलता पूर्वक आयोजित किये गये। इनमें कुल 80 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि तथा सैंकड़ों विद्यार्थियों को प्रावीण्य सूची में सर्वोच्च स्थान करने पर स्वर्णमंडित पदक प्रदान किये गये। डॉ. पल्टा ने बताया कि वर्तमान में लगभग 02 लाख रेगुलर एवं प्राइवेट छात्र संख्या वाले इस विश्वविद्यालय में 19 विषयों में 1164 शोधार्थी पीएचडी हेतु पंजीकृत है। इस विश्वविद्यालय में 158 महाविद्यालय 07 जिलों में स्थित है। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के बीच सौहाद्रपूर्ण संबंध स्थापित रखने का हर संभव प्रयास किया। उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रतिवर्ष जारी होने वाले अकादमिक कैलेण्डर का पूर्ण रूप से पालन करते हुए समय पर परीक्षाओं का आयोजन एवं परीक्षा परिणामों की घोषणा ने इस विश्वविद्यालय को अगल पहचान दिलाई है। छात्र-छात्राओं से जुड़े विभिन्न कार्य जैसे डिग्री, माईग्रेशन, पात्रता प्रमाणपत्र, प्रवेश एवं परीक्षा हेतु ऑनलाईन आवेदन जैसे सभी चीजों को दूरस्थ अंचल के विद्यार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऑनलाईन किया गया। विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों की समस्याओं के निराकरण हेतु छात्र सुविधा काउंटर भी स्थापित किया गया है।
डॉ. पल्टा ने कहा कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में सांप्रदायिक सौहाद्र बनाये रखना उनकी पहली प्राथमिकता थी। इस हेतु उन्होंने विश्वविद्यालय में सर्वधर्म त्यौहार मनाने, जन्मदिन मनाने की परंपरा की शुरूआत की। विश्वविद्यालय में कार्यरत् महिलाओं को भी अनेक अवसर पर पुरस्कार एवं उपहार प्रदान कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास उन्होंने किया। अपने 05 वर्षों के कार्यकाल से पूर्ण रूप से संतुष्ट डॉ. अरूणा पल्टा ने कहा कि यह विश्वविद्यालय और उन्नति करे यही उनकी मंगलकामना हैं।