ट्रंप बोले- भारत लगाता है 58 प्रतिशत टैरिफ, केंद्रीय मंत्री ने सामने लाकर रखा सच

ट्रंप बोले- भारत लगाता है 58 प्रतिशत टैरिफ, केंद्रीय मंत्री ने सामने लाकर रखा सच


🛑 पीयूष गोयल बोले- केवल 7-8 परसेंट

सीजी न्यूज ऑनलाइन 08 अप्रैल । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 58 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, इन दिनों सुर्खियों में है, लेकिन केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस दावे का खंडन करते हुए सच्चाई का खुलासा किया है.

पीयूष गोयल ने सोमवार यानी 7 अप्रैल को स्पष्ट किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर जो शुल्क लगाता है, वह 58 प्रतिशत नहीं बल्कि सिर्फ 7-8 प्रतिशत है. उनका कहना था कि यह शुल्क किसी भी तरह से ज्यादा नहीं है और पूरी तरह से वैश्विक व्यापार के मानकों के अनुरूप है.

भारत की व्यापार नीति का उद्देश्य निष्पक्षता

गोयल ने यह भी बताया कि भारत अपने व्यापारिक रिश्तों को निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ संचालित करता है. भारत का मानना है कि वह उन देशों के साथ व्यापार समझौते कर सकता है जो निष्पक्ष व्यापार गतिविधियों का पालन करते हैं.

अमेरिका ने लगाया 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ

गोयल ने यह जानकारी भी दी कि अमेरिका ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है. उन्होंने इसे अनुचित और ट्रेड के रूप में बताया, जो दोनों देशों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. पीयूष गोयल ने कहा, ‘अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जो अनुचित है.’

चीन पर आरोप और BYD के भारत में प्रवेश पर सवाल

गोयल ने चीन की व्यापारिक नीतियों पर भी निशाना साधा और कहा कि चीन के अनुचित व्यापार तरीकों के कारण वैश्विक व्यापार में समस्याएं पैदा हो रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि चीन की कार निर्माता कंपनी BYD का भारत में प्रवेश इस समय जरूरी नहीं है, क्योंकि उसके व्यापारिक तरीके भारतीय बाजार के लिए उपयुक्त नहीं हैं.

गोयल ने यह स्पष्ट किया कि दुनिया अब वैश्वीकरण से निकलकर फिर से वैश्विक रूप से जुड़ने की दिशा में बढ़ रही है. उनका मानना है कि अगर निष्पक्ष व्यापार नीतियों वाले देश एक साथ आते हैं, तो यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकता है.

भारत का शुल्क सुरक्षा के लिए है

आखिरकार, गोयल ने बताया कि भारत का शुल्क प्रणाली अवैध व्यापार व्यवहारों जैसे डंपिंग से सुरक्षा देने के लिए है. यह नीति भारत को उन देशों से बचाने के लिए है, जो अपने उत्पादों को सस्ते में बेचकर वैश्विक बाजार में असंतुलन पैदा करते हैं.