“मोटिवेशन का कोई फॉर्मूला नहीं होता, अपनी हताशा की असली वजह जानें” मोदी की परीक्षा पे चर्चा
सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 1 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों से बात कर रहे हैं। कार्यक्रम नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में चल रहा है। पीएम करीब 1 हजार छात्रों से सीधी बात कर रहे हैं। चर्चा में पीएम छात्रों के सवालों के जवाब दे रहे हैं। इसमें कई तरह के सवाल शामिल हैं, जैसे एग्जाम के कारण तनाव, मोटिवेशन के लिए क्या करें, मां-बाप को सपनों के बारे में कैसे समझाएं। पीएम मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में पहुंचकर सबसे पहले देश भर के छात्रों द्वारा बनाई गई कई प्रदर्शनी परियोजनाओं को देखा। इस दौरान उन्होंने बच्चों के ऑटोग्राफ भी लिए।
कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम ने कहा कि परीक्षा की टेंशन नहीं होनी चाहिए। परीक्षा को त्यौहार बना दें तो उसमें रंग भर जाएंगे। पीएम ने परीक्षा से डर के सवाल के जवाब में कहा कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। यह छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इनसें डरना नहीं चाहिए। आप पहले भी परीक्षा दे चुके हैं। ऐसे अनुभवों को अपनी ताकत बनाएं। जो करते आए हैं उसमें विश्वास करें। अब हम एग्जाम देते-देते एग्जाम प्रूफ हो गए हैं, इसलिए तनाव लेने की कोई जरूरत ही नहीं है।
पीएम से दूसरा सवाल सोशल मीडिया की एडिक्शन के बारे में पूछा गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा। पीएम ने कहा- मन शांत होगा तो सब कुछ सही होगा। मन कहीं और होगा तो सुनना ही बंद हो जाता है। जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं। इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए, न कि समस्या। हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवॉर्ड के रूप में अपने टाइम टेबल में रख सकते हैं। ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है, ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन का अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करना है।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के सवाल पर पीएम ने कहा कि यह न्यू नहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है, जो व्यक्तित्व के विकास पर जोर दे रही है। ज्ञान के भंडार से ज्यादा जरूरी स्किल डेवलपमेंट है। हमने इस तरह का खाका बनाया है, जिसमें अगर पढ़ाई के बीच में आपको मन ना लगे, तो आप छोड़ कर दूसरा कोर्स भी कर सकते हैं। हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएं। पीएम ने कहा कि आप खेल पर भी ध्यान दें, क्योंकि खेल खेल में बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। खेलना खिलने के लिए अनिवार्य है।
पीएम ने मां-बाप को बच्चों की सिचुएशन समझने के सवाल के जवाब में कहा कि मां-बाप जो अपने जीवन में करना चाहते थे, उसे बच्चों पर लागू करना चाहते हैं। माता-पिता आज के दौर में अपनी महत्वाकांक्षा और सपने को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। दूसरी बात टीचर भी अपने स्कूल का उदाहरण देकर उस पर दबाव बनाते हैं। हम बच्चों के स्किल को समझने की कोशिश नहीं करते हैं, जिससे कई बार बच्चे लड़खड़ा जाते हैं। पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे यानि शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था।
पीएम ने मां-बाप से कहा कि बच्चों को समझने की कोशिश करें। हर बच्चे की अपनी एक विशेषता होती है। परिजनों के, शिक्षकों के तराजू में वो फिट हो या न हो, लेकिन ईश्वर ने उसे किसी न किसी विशेष ताकत के साथ भेजा है। ये मां-बाप की कमी है कि आप उसकी सामर्थ्य को, उसके सपनों को समझ नहीं पा रहे हैं। इससे आपकी बच्चों से दूरी भी बढ़ने लगती है। मोटिवेशन के सवाल के जवाब में कहा कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है। कोई फॉर्मूला नहीं होता है। आप खुद देखें कि कौन सी ऐसी चीज है, जिससे आप डिमोटिवेट हो जाते हैं। अपनी हताशा की असली वजह जानें। किसी पर निर्भर न रहें। अपनी पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों चीजों को समझें। इससे आप अपने आप को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और किसी दूसरे के मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि हताशा से खुद निपटने की कोशिश करें। खुद की परीक्षा लें, मेरी किताब एग्जाम वॉरियर्स में लिखा है कि कभी एग्जाम को ही एक चिट्ठी लिख दो- हे डियर एग्जाम मैं इतना सीख कर आया हूं। इतनी तैयारी की है तुम कौन होते हो मेरा मुकाबला करने वाले। मैं तुम्हें नीचे गिराकर दिखा दूंगा। रीप्ले करने की आदत बनाइए। एक दूसरे को सिखाइए।
पढ़ी हुई चीजें एग्जाम हॉल में भूलने के सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि आप यहां बैठे हैं और सोच रहे हैं कि मम्मी घर पर टीवी देख रही होंगी। मतलब आप यहां नहीं हैं, आपका ध्यान कहीं ओर है। ध्यान को सरलता से स्वीकार कीजिए। यह कोई साइंस नहीं है। आप जहां वर्तमान में हैं उस पल को जी भरकर जीने की कोशिश कीजिए।
गौरतलब हो कि इस साल परीक्षा पर चर्चा का 5वां संस्करण है, जिसे www.education.gov.in और www.youtube.com-MygovIndia पर भी देखा जा सकता है। IIT, IIM जैसे संस्थानों में भी कार्यक्रम दिखाया जाएगा। विदेशों में भारतीय दूतावासों में भी इसका लाइव टेलीकास्ट होगा। पिछले साल कोरोना के चलते यह कार्यक्रम ऑनलाइन हुआ था। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय पिछले 5 सालों से लगातार इस कार्यक्रम का आयोजन करता आ रहा है, जो छात्रों के बोर्ड परीक्षा से कुछ दिन पहले होता है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, चर्चा के लिए यह समय इसलिए तय किया गया है, क्योंकि परीक्षा की तारीखें निकट आने से छात्रों पर पढ़ाई को लेकर दबाव है। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि परीक्षा देने वाले सभी छात्रों के घरों में इस समय पढ़ाई को लेकर तनावपूर्ण माहौल होगा। ऐसे समय में पीएम की यह टिप्स काफी अहम होगी। सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं 26 अप्रैल से शुरू हो रही है।