🟦 आर-पार लड़ाई की चेतावनी से मामला गरमाया
🟫 हेम्ब्रम ने कहा कि सरकार को पारसनाथ को मरांग बुरु स्थल घोषित करना होगा
सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 9 जनवरी। अभी अभी बडी़ खबर यह आ रही है कि सम्मेद शिखर को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। झारखंड के आदिवासी संथाल समुदाय ने दावा किया है कि पूरा पहाड़ उनका है। आदिवासियों का कहना है कि यह उनका मरांग बुरु यानी बूढ़ा पहाड़ है। ये उनकी आस्था का केंद्र है। यहां वे हर साल आषाढ़ी पूजा में सफेद मुर्गे की बलि देते हैं। इसके साथ छेड़छाड़ उन्हें मंजूर नहीं होगी। हालांकि रविवार को जैन समाज और आदिवासियों के साथ जिला प्रशासन ने बैठक की थी और आम राय बनाने के लिए कमेटी बना दी, जिसमें प्रशासनिक अफसर, जनप्रतिनिधि, जैन समाज और आदिवासियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। लेकिन आदिवासी समाज अब भी अड़ा हुआ है और एक बड़े आंदोलन की तैयारी भी चल रही है। विरोध और आंदोलन का मोर्चा सत्ताधारी दल झामुमो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने संभाला हुआ है। हेम्ब्रम ने कहा है कि लड़ाई आर-पार की होगी। उन्होंने कहा आदिवासी समाज के लोग वर्षों से इस इलाके में रह रहे हैं, अब उन्हें ही बलि देने से रोका जा रहा है। जमीन हमारी, पहाड़ हमारे और कब्जा किसी और का, हम कब्जा नहीं करने देंगे। हेम्ब्रम ने कहा कि सरकार को पारसनाथ को मरांग बुरु स्थल घोषित करना होगा। अगर 25 जनवरी तक हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो 30 जनवरी को उलिहातू में उपवास पर बैठेंगे। केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उधर संथाल समुदाय 10 जनवरी से राज्य में बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय संथाल परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश कुमार मुर्मू ने बताया कि हम बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसमें ओडिशा, बंगाल, असम सहित देश के अलग राज्यों से संथाल समुदाय के लोग पारसनाथ पहुंचेंगे। अगर सरकार मरांग बुरु को जैनियों के कब्जे से मुक्त करने में विफल रही तो पांच राज्यों में विद्रोह होगा। हमारा संगठन कमजोर नहीं है, उन्होंने दावा किया कि परिषद की संरक्षक स्वयं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं और अध्यक्ष असम के पूर्व सांसद पी मांझी हैं।
” पूरा पहाड़ हमारा है, इस दावे के साथ आदिवासी समाज बडे़ आंदोलन पर अडा़” 🛑 सम्मेद शिखर को लेकर नया विवाद शुरू