जान लेवा साबित हुआ 26 साल पहले हुई मारपीट का “वारंट” थमाना…! जेल जाने के डर से 92 वर्ष के बुजुर्ग की मौत

जान लेवा साबित हुआ 26 साल पहले हुई मारपीट का “वारंट” थमाना…! जेल जाने के डर से 92 वर्ष के बुजुर्ग की मौत



🔴 एक भी समन नहीं सिपाही डायरेक्ट एनबीडब्ल्यू दे आया
सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 2 नवंबर। मारपीट के 26 साल पुराने मामले में जेल जाने के भय से एक 92 वर्ष के बुजुर्ग की जान चली गई।
मामला गोरखपुर के बड़हलगंज का है जिसमें पुलिस ने बुजुर्ग को गैर जमानती वारंट क्या पकड़ाया, उसकी सांसे ही थम गई। बुजुर्ग की मौत के बाद लोग अब पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं। आरोप है कि पहले बुजुर्ग को समन होना चाहिए था लेकिन पुलिस समन लेकर कभी घर नहीं बल्कि दो दिन पहले बड़हलगंज थाने का एक सिपाही सीधे एनबीडब्ल्यू का कागज लेकर पहुंच गया। बुजुर्ग जेल जाने से डर गए जिसके कारण उनकी मौत हो गई वहीं पुलिस मौत का कारण अधिक उम्र बता रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक बड़हलगंज कस्बा के पुराना गोला मुहल्ला निवासी 92 वर्षीय भिखारी भुज भूंजा भूजने का काम करते थे, उनकी तीन बेटियां थीं जिनमें से दो की मौत हो गई जबकि एक बेटी और दामाद देखभाल के लिए भिखारी के साथ रहते हैं।
वर्ष 1996 में भिखारी के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट का मुकदमा दर्ज हुआ था। मुकदमा भिखारी की पटीदारी की एक महिला ने दर्ज कराया था। इस मामले में भिखारी को उस समय पुलिस ने गिरफ्तार किया था। भिखारी कुछ दिन तक जेल में भी थेे। जमानत पर छूटने के बाद मुकदमा की तारीख देखना उन्होंने धीरे-धीरे छोड़ दिया था। कारण कि उम्र अधिक होने के कारण उन्हें चलने फिरने में परेशानी होती थी। बेटी दामाद ने भी कभी ध्यान नहीं दिया। उन्हें लगा कि कोर्ट में जरूरत होने पर उन्हें समन व वारंट तो जारी ही होगा लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ। इसी बीच दो दिन पूर्व एक सिपाही सीधे गैर जमानती वारंट लेकर घर पहुंच गया। उसने भिखारी से कोर्ट में हाजिर होने को कहा। इससे भिखारी काफी डर गए हालांकि भिखारी की बेटी व दामाद ने काफी समझाया कि उम्र का ख्याल रखते हुए उन्हें जमानत मिल जाएगी, जेल नहीं जाना पड़ेगा लेकिन भिखारी पहली बार जेल में बिताए दिन याद कर परेशान हो उठे। उन्हें ऐसा सदमा लगा कि अगले दिन उनकी मौत हो गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी मुकदमे में अगर तारीख पर अभियुक्त या गवाह नहीं पहुंचते हैं तो उन्हें सीधे एनबीडब्ल्यू नहीं जारी होता है। पहले समन वारंट जारी होता है। फिर जमानती वारंट जारी होता है और उसके बाद एनबीडब्ल्यू जारी किया जाता है। समन दो से तीन बार जारी होता है लेकिन पुलिस अक्सर वारंट या फिर जमानती वारंट न पहुंचाकर सीधे गैर जमानती वारंट लेकर पहुंच जाती है। नियमानुसार पुलिस को वारंट से ही सूचना देनी चाहिए थी। पुलिस ने ऐसा नहीं किया तो कहीं न कहीं वह भी मौत के लिए जिम्मेदार है।
बड़हलगंज कोतवाल मधुप कुमार मिश्र का कहना है कि 1996 के मारपीट के मुकदमे में एनबीडब्लू जारी हुआ था। इसकी उन्हें सूचना दी गई थी। वह बुजुर्ग थे 92 साल उनकी उम्र हो गई थी। उम्र के अंतिम पड़ाव में थे। ऐसे में बीमारी से भी मौत हो सकती है। जेल जाने के सदमे से मौत हुई है यह गलत है।