🔴 2007 में अंतिम बार फॉर्मुला में किया गया था संशोधन
सीजी न्यूज़ ऑनलाइन 04 सितंबर। आरएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने सेल के निदेशक कार्मिक के. के. सिंह को पत्र लिखकर राउरकेला इस्पात संयंत्र सहित , सेल के सभी यूनिट का इंसेंटीव फॉर्मुला को संशोधित करने के लिए पत्र लिखा है । यूनियन ने अपने पत्र मे लिखा है कि, एनजेसीएस में शामिल यूनियन प्रतिनिधियों के अदुरदर्शिता के कारण 2012 वेज रीविजन में कंपनी प्रबंधन ने लेबर प्रोडक्टिविटि, बीएफ प्रोडक्टिविटि, कोक रेट, वाटर खर्च , उर्जा खर्च का काफी उँचा मानक तय किया गया था । जबकि उस समय न तो कंपनी का मॉडर्नाईजेशन पुरा हुआ था तथा न ही तय क्षमता के तहत प्रोडक्शन लक्ष्य हासिल किया गया था । फिर भी मैनेजमेंट तथा यूनियन प्रतिनिधियों ने काफी उँचा टारगेट सेट किया था ।
फिर भी सेल कर्मियों के मेहनत के बल पर , वित्त वर्ष 2024—25 में कंपनी ने 2012 समझौते में तय किए गए अधिकतर मानको को पुरा कर लिया है जो इस प्रकार है —
मानक 2012 वेज रीविजन में तय मानक वित्त वर्ष 2024—25 में हासिल किया गया लक्ष्य
1 . धमन भट्टी प्रोडक्टिविटि — 2.0T प्रति मीटर क्यू प्रतिदिन 2.02 प्रति मीटर क्यू प्रतिदिन
2 .कोक रेट – 400 किलोग्राम प्रति टन हॉट मेटल 421 किलोग्राम प्रति टन हॉट मेटल (415 किलोग्राम प्रति टन हॉट मेटल पहली तीमाही 25-26)
3 . समग्र उर्जा खपत- 438 किलो वाट आवर प्रति टन सेलेबल स्टील 6.26 गीगा कैलोरी प्रति टन क्रुड स्टील
(भारत में एक टन क्रुड स्टील उत्पादन मे हो रहे उर्जा खर्च के रेंज के अधीन)
4 . सगग्र जल खपत – 3.67 न्यूटन मीटर क्यु प्रति टन क्रुड स्टील 3.0 न्यूटन मीटर क्यु प्रति टन क्रुड स्टील
5 . श्रम उत्पादकता – 413 टन क्रुड स्टील प्रति व्यक्ति/वर्ष 615 टन क्रुड स्टील प्रति व्यक्ति/वर्ष
सेल का कोक रेट अधिक होने पर भारत के नियंत्रक तथा महालेखापरिक्षक तक ने सवाल उठाया है ।
वही टाटा स्टील सहित भारत की अधिकतर कंपनियाँ विदेशो से कोयला आयात करती है फिर भी टाटा स्टील का कोक 356 है तथा सेल का 415 ।
इसी को ध्यान में रखकर कैग ने भी सेल के कोक खपत पर नकारात्मक टिप्पणी किया है।
यूनियन के अनुसार उपरोक्त आँकड़े साबित कर रहे है कि सेल गैर कार्यपालक कार्मिको ने अपने मेहनत और लगनशिलता के बदौलत कंपनी प्रबंधन द्वारा दिए गए लगभग असंभव लक्ष्यो को भी पुरा कर लिया है । आँकड़े तथा वर्तमान हालत भी गवाही दे रहे है कि प्रोडक्शन /मॉर्डनाईजेशन के इतने वर्ष बाद उक्त लक्ष्य को पार किया गया है या उसके समीप पहुँचा गया है । कुछ मानक जैसे उर्जा खर्च को प्रबंधकिय दक्षता द्वारा और नियंत्रित किया जा सकता है । उदाहरण के तौर पर सेल के प्रत्येक यूनिट के प्रत्येक विभाग/सेक्शन में हो रहे उर्जा खपत का विश्लेषण कर व्यर्थ उर्जा खर्च को नियंत्रित किया जा सकता है ।
यूनियन ने अपने पत्र के माध्यम से माँग किया है कि सेल के गैर कार्यपालक कार्मिको के मेहनत उपरांत लक्ष्य पुरा होने पर इंसेंटीव फॉर्मुले को जल्द संशोधित करे । पुर्व में सेल प्रबंधन द्वारा , मुख्य श्रमायुक्त (कें.) कार्यालय को सुचित किया गया था कि इंसेंटीव फॉर्मुले में संशोधन के लिए इंटर प्लांट कमेटी की बैठक हो चुकी है, लेकिन उस पर आज तक निर्णय नही लिया गया है ।
बयान,
वेज रीविजन, एरियर, बोनस, रात्री पाली, पेंशन, इंसेंटीव , स्थानीय सुविधा , बंद पड़ी सुविधा , ऐसा कोई क्षेत्र नही बचा है जिसके माध्यम से सेल प्रबंधन द्वारा गैर कार्यपालक कर्मचारियों के साथ भेदभाव नही किया गया है । उपरोक्त भेदभाव कराने मे हमारे एनजेसीएस ट्रेड यूनियनो के नेताओं की बहुत बड़ी नकारात्मक भूमिकि है ।
सुधीर श्रीवास्तव , अध्यक्ष , आरएकेएस , राउरकेला ।


