🌐 मर्सिडीज बेंज-300 एसएलआर की बादशाहत बरकरार
सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 2 अक्टूबर। मर्सिडीज कार का जलवा प्रारंभिक काल से अब तक बना हुआ है। वर्ष 1955 में बनी मर्सिडीज बेंज-300 एसएलआर कार अब 1105 करोड़ रुपये में बिकने के बाद दुनिया की सबसे महंगी कार बन गई है। इसने वर्ष 2018 में नीलाम 1962 में निर्मित और करीब 375 करोड़ रुपये में बिकी फरारी-जीटीओ को पीछे छोड़ दिया है।
अब चौंकाने वाली इस कार से जुड़ी एक खबर यह है कि जर्मनी में गुप्त नीलामी के जरिए यह कार बिकी जरूर लेकिन दुनिया की सबसे महंगी विंटेज मर्सिडीज खरीदने वाले का नाम गुप्त रखा गया है। कार के नए मालिक को इतनी रकम चुकाने के बावजूद न तो इसे घर ले जाने की इजाजत होगी और न ही वह हर रोज सड़कों पर इससे फर्राटा भर पाएंगे। सौदे के मुताबिक इस बेशकीमती कार को जर्मनी के स्टटगार्ट स्थित मर्सिडीज के म्यूजियम में रखा जाएगा। और यह विंटेज गाड़ी मर्सिडीज के म्यूजियम में ही रखी हुई है।
गौरतलब हो कि इससे पूर्व अब तक की सबसे महंगी फरारी जीटीओ 375 करोड़ में बिकी थी। मर्सिडीज 300 एसएलआर कार इससे तीन गुना दाम में बेची गई है। नए मालिक को कभी-कभार इसे चलाने का मौका मिलेगा। यह मर्सिडीज 300 एसएलआर उह लेन हॉट कूप कार, आठ सिलिंडर वाली मर्सिडीज बेंज डब्ल्यू 196 फॉर्मूला वन कार के डिजाइन पर आधारित है। उससे अर्जेंटीना के स्टार कार रेसर जॉन मैनुअल ने 1954-55 में विश्व चैंपियनशिप भी जीती थी।
मर्सिडीज कंपनी ने 300 एसएलआर श्रेणी में अब तक केवल नौ कारों का उत्पादन किया है। इनमें से दो विशेष उलेनॉ कूप प्रोटो टाइप कारें थीं। चेकिंग विभाग के मुखिया ने इनमें से एक कार को कंपनी की कार के तौर पर चलाया। इस 300 एसएलआर कार को उन “चांदी के तीर” जैसी कारों का वंशज माना जाता है, जिनका 1930 के दशक में रेसिंग में दबदबा था। यह कारों की मोनालिसा नाम से पहचानी जाती है। मर्सिडीज बेंज चेयरमैन ओला क्लेनियस ने कहा कि इससे हम मर्सिडीज की ताकत को दिखाना चाहते थे, जो कर दिखाया। उन्होंने बताया कि नीलामी से मिले 1105 करोड़ रुपये की राशि को कंपनी इंजीनियरिंग, गणित, विज्ञान के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप देने के लिए उपयोग करेगी।