भिलाई नगर 28 अक्टूबर । भिलाई इस्पात संयंत्र में हड़ताल का अब असर दिखने लगा है। ब्लास्ट फर्नेस प्रोडक्शन भी प्रभावित हुआ है। सेक्टर 9 अस्पताल में भी मेडिकल स्टाफ के द्वारा हड़ताल का समर्थन किया गया है। हिर्री माइंस में भी कर्मचारी हड़ताल के समर्थन में सामने आए हैं।
संयुक्त ट्रेड यूनियन के आह्वान पर एकदिवसीय हड़ताल का असर अब दिखाने लाया है। BRM, URM, रेल मिल मर्चेंट मिल के बाद अब ब्लास्ट फर्नेस एवं सेक्टर 9 अस्पताल में भी समर्थन मिल रहा है। कोक ओवन विभाग बैटरी 1- 8 में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विभाग भी हड़ताल के समर्थन में रहे।
सूत्रों के मुताबिक टरबाइन भी डाउन कर दिया गया है। जबकि अधिकांश यूनिट में उपस्थित प्रतिदिन की अपेक्षा कम ही रही है। कर्मचारियों के द्वारा कार्यस्थल पर ना जाकर घर पर ही रहना उचित समझा है ताकि उनकी न्याय पूर्ण मांगे पूर्ण हो सके।
प्रबंधन के अड़ियल रवैया ने मजबूर किया हड़ताल के लिए
हड़ताल के समर्थन में स्टील एंप्लाइज यूनियन इंटक के महासचिव वंश बहादुर ने कहा कि सेल कर्मियों के वेज रिवीजन ग्रेच्युटी पर जो सीलिंग लगाई गई एवं ठेका श्रमिकों की मांग को लेकर की जा रही। हड़ताल पूर्णता सफल रही है। इस हड़ताल का बीएसपी कर्मचारी एवं ठेका श्रमिकों के द्वारा समर्थन किया गया है। जिसके कारण संयंत्र के डिपार्टमेंट में एसएमएस 2, एसएमएस 3 अधिकांश शॉप्स, मर्चेंट मिल, एसपी-2 वायर रॉड मिल एवं अन्य मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में कार्य प्रभावित हुआ है। सेल की सभी यूनिट माइंस में हड़ताल सफल रही है।
93 माह से प्रबंधन एवं मंत्रालय ने किया गुमराह
हिंदुस्तान स्टील एम्पलाइज यूनियन सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा कि हड़ताल को सेल की सभी यूनिट में समर्थन मिल रहा है। 39 महीने का एरियर्स के भुगतान के मुद्दे पर 93 महीने से सेल प्रबंधन एवं इस्पात मंत्रालय कर्मचारियों को गुमराह करता रहा है। 9 एग्रीमेंट हो चुके हैं परंतु वेतन समझौता पहली बार रोका गया है। जिसके कारण कर्मचारियों में आक्रोश है और वह सड़क पर उतरकर हड़ताल कर रहे हैं।
ठेका श्रमिकों को मिले केंद्रीय वेतनमान
ठेका श्रमिक यूनियन इंटर के अध्यक्ष संजय साहू ने कहा कि ठेका श्रमिकों को इंसाफ दिलाने के लिए हड़ताल के समर्थन पर सड़क की लड़ाई लड़ रहे हैं 70% कार्य ठेका श्रमिकों के माध्यम से किया जा रहे हैं। इसलिए ठेका श्रमिकों को केंद्रीय वेतनमान दिलाने एवं न्यूनतम वेतन 26000 रुपए किए जाने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।