बघेल और सिंहदेव नेतृत्व के मुद्दे पर कुछ भी कहने से हाईकमान को परहेज, दिल्ली में ही जमे हैं भूपेश समर्थक विधायक, पुनिया ने कहा-मुझसे किसी ने नहीं किया सम्पर्क

बघेल और सिंहदेव नेतृत्व के मुद्दे पर कुछ भी कहने से हाईकमान को परहेज, दिल्ली में ही जमे हैं भूपेश समर्थक विधायक, पुनिया ने कहा-मुझसे किसी ने नहीं किया सम्पर्क


बघेल और सिंहदेव नेतृत्व के मुद्दे पर कुछ भी कहने से हाईकमान को परहेज, दिल्ली में ही जमे हैं भूपेश समर्थक विधायक, पुनिया ने कहा-मुझसे किसी ने नहीं किया सम्पर्क

भिलाई नगर, 1 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी समझे जाने वाले कांग्रेस के करीब 15 विधायक इन दिनों दिल्ली में जमे हुए हैं हालांकि खुद बघेल और कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने इसे तवज्जो नहीं देने की कोशिश करते हुए कहा कि इसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए लेकिन दिल्ली पहुंचे विधायक बृहस्पत सिंह ने दो टूक कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का दूर-दूर तक कोई सवाल नहीं है और भूपेश बघेल की अगुवाई में ही सरकार पूरे पांच साल चलेगी।

गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के ढाई वर्ष पूरे होने के बाद से लगातार चर्चा है कि मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई वर्ष तक बघेल और फिर राज्य के वरिष्ठ नेता एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को देने की बात हुई थी। ऐसे में ये विधायक बुधवार को दिल्ली पहुंचे हैं। विधायकों के दिल्ली पहुंचने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया ने कहा कि उनसे किसी भी विधायक ने संपर्क नहीं किया है। मुख्यमंत्री बघेल ने रायपुर में मीडिया से कहा किक्षअब विधायक कहीं जा भी नहीं सकते क्या? हर कदम पर राजनीति नहीं देखनी चाहिए। कोई व्यक्ति अगर कहीं चला गया है तो उसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए।सिंहदेव ने भी कहा कि अब 70 के 70 जा सकते हैं। अगर विधायक दिल्ली जाते हैं तो इसमें क्या मुद्दा है? सभी विधायकों की यह भावना है कि आलाकमान जो चाहेगा, वह हम सब मानेंगे। 

कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने अपने दिल्ली दौरे के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हम सिर्फ यह चाहते हैं कि राहुल गांधीजी छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं तो वहां ज्यादा दिनों तक रूकें ताकि कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़े। पीएल पुनियाजी लखनऊ में हैं। वह यहां आ जाएं तो उनके समक्ष हम अपनी बात रख देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पंजाब नहीं है। छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 70 विधायक हैं। पिछली बार 60 विधायकों ने अपनी भावनाओं से पार्टी आलाकमान को अवगत करा दिया और सारे मामले का पटाक्षेप हो गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि बघेल अच्छा काम कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में हम पांच साल काम करेंगे और आगे भी उनके नेतृत्व में चुनाव लड़कर सरकार बनाएंगे। नेतृत्व परिवर्तन की दूर-दूर तक कोई बात नहीं हैं। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के लोगों ने जिस तरह से मध्य प्रदेश में ग्वालियर महाराज को गुमराह करके सरकार गिराई, अगर वैसे ही सरगुजा महाराज को भी गुमराह करके सरकार गिराने की साजिश कर रहे हैं तो वे सफल नहीं होंगे। सरगुजा महाराज बहुत होशियार हैं, बहुत विद्वान हैं। वह खुद कह चुके हैं कि 100 जन्मों में भी वह कांग्रेस छोड़कर नहीं जा सकते।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले विधायक बृहस्पत सिंह ने इस वर्ष जुलाई माह में आरोप लगाया था कि सिंहदेव के इशारे पर उनके काफिले पर हमला किया गया है। बाद में विधायक सिंह ने मामले को लेकर विधानसभा में खेद व्यक्त किया था। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही बघेल और सिंहदेव के बीच रिश्ते सहज नहीं हैं। जून 2021 में मुख्यमंत्री पद पर बघेल के ढाई वर्ष पूरे होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के खेमे ने दावा किया कि आलाकमान ने ढाई-ढाई वर्ष बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद के लिए सहमति दी थी। राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद कांग्रेस आलाकमान ने विवाद को सुलझाने के लिए अगस्त में बघेल और सिंहदेव को दिल्ली बुलाया था। जब बघेल दिल्ली में थे तब कांग्रेस के 70 में से 54 विधायकों ने उनके समर्थन में दिल्ली का दौरा किया था। दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने मीडिया से कहा था कि पार्टी नेता राहुल गांधी उनके निमंत्रण पर राज्य का दौरा करने के लिए सहमत हुए हैं। बघेल ने यह भी कहा था कि जो लोग ढाई-ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद की बात कर रहे हैं, वो राज्य में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में आलाकमान के साथ बैठक के बाद बघेल और सिंहदेव नेतृत्व के मुद्दे पर कुछ भी कहने से परहेज करते रहे हैं लेकिन राज्य में दोनों गुटों के मध्य विवाद कम नहीं हुआ।