सीजी न्यूज़ ऑनलाइन डेस्क 26 अप्रैल । हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता को जमानत देते समय बैंक गारंटी जमा की शर्त लगाने के हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ अपीलकर्ता द्वारा केंद्रीय माल और सेवा अधिनियम, 2017 की धारा 69, 132 (1) (ए) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दर्ज एक मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस मामले में, जमानत इस शर्त के अधीन दी गई थी कि अपीलकर्ता कुछ अन्य शर्तों के साथ 3.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करे।
जमानत के लिए पूर्व-जमा के रूप में बैंक गारंटी जमा करने की शर्त लगाने से व्यथित होकर, अपीलकर्ता ने आपराधिक विविध आवेदन दायर करके हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसका निस्तारण हो गया, जिसके तहत हाईकोर्ट ने बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की शर्त में संशोधन किया 3 करोड़ रुपये की राशि को घटाकर 1.5 करोड़ रुपये।
सुप्रीम कोर्ट ने सुभाष चौहान बनाम भारत संघ के मामले का उल्लेख किया, जहां अदालत ने अपीलकर्ता को जमानत देते समय जमा की शर्त लगाने वाले हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था।
कुछ निर्णयों का उल्लेख करने के बाद पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की पूर्व शर्त कायम रखने के लिए उत्तरदायी नहीं है और एतद्द्वारा इसे रद्द किया जाता है।
उपरोक्त के मद्देनजर, सर्वोच्च न्यायालय ने अपील की अनुमति दी और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।
केस का शीर्षक: मखीजानी पुष्पक हरीश बनाम गुजरात राज्य
बेंच: जस्टिस कृष्ण मुरारी और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह
केस नंबर: क्रिमिनल अपील नंबर 1193 ऑफ 2023