🔴सेवानिवृत एवं वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक जीवन निर्वाह कर सके – अग्रवाल
भिलाईनगर, 23 नवंबर। EPFO मामले में केंद्र सरकार को दखल देकर पेंशन की बहाली के लिए तत्काल आदेश जारी करना चाहिए। जिससे की सेवानिवृत्ति एवं वरिष्ठ नागरिक शेष जीवन सम्मानजनक स्थिति में निर्वहन कर सके।
सेल बीएसपी पेंशनर्स एसोसिएशन के सचिव बीएल अग्रवाल ने कहा कि एम्प्लॉईज़ प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइज़ेशन (EPFO) संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद (आम तौर पर 58 साल की उम्र में) पेंशन देता है। इस स्कीम में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का योगदान होता है। लेकिन नियोक्ता के हिस्से का 8.33%, एक सीलिंग सैलरी (पहले Rs. 5000, फिर Rs. 6500 और अब Rs. 15000 हर महीने) पर पेंशन फंड में जमा होता है। इस कम सीलिंग की वजह से पेंशन बहुत कम होती है जो कि आम तौर पर Rs. 1000 से Rs. 4000 हर महीने तक होती है जो आजकल की महंगाई के हिसाब से पर्याप्त नहीं होती।
पेंशन की कम रकम की वजह से काफी मुकदमे हुए हैं जिसकी वजह से नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट का एक अहम फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने EPFO को निर्देश दिया कि वह कर्मचारियों और पेंशनर्स को सिर्फ़ सीलिंग वेज के बजाय “वास्तविक वेज” पर ज़्यादा पेंशन चुनने की इजाज़त दे जिससे ज़्यादा वेज लेवल पर योगदान देने वालों को रिटायरमेंट के बाद ज़्यादा पेंशन मिल सके। यह ऐतिहासिक फैसला छूट प्राप्त संस्थान (जिनके पास स्वयं का PF ट्रस्ट हैं) और गैर छूट प्राप्त संस्थान के कर्मचारियों पर बराबर लागू होता है।
सुप्रीम कोर्ट के 2022 के निर्देश के बाद EPFO ने सर्कुलर जारी किए जिससे कर्मचारियों को ज़्यादा पेंशन के लिए आवेदन जमा करने और अतिरिक्त योगदान (ब्याज के साथ) जमा करने की इजाज़त मिली। हालांकि, 18 जनवरी 2025 के एक सर्कुलर के ज़रिए, EPFO के रीजनल ऑफिस ने कई पेंशनर्स (लगभग 10 लाख) के आवेदन यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिए कि छूट प्राप्त संस्थान में आंतरिक PF ट्रस्ट नियम हैं जो वेज सीलिंग (Rs. 6500/महीना) तक, पेंशन फंड में, योगदान को लिमिट करते हैं। कई पेंशनर्स (खासकर PSUs और दूसरी बड़ी कंपनियों के) ने सभी प्रक्रियागत ज़रूरतों को पूरा किया लेकिन फिर भी उनके उच्च पेंशन के आवेदन अस्वीकृत कर दिए गए।
EPS-95 एक कानूनी स्कीम है और कानूनी नियम यह स्पष्ट करती है कि फ़ायदेमंद प्रोविज़न (जैसे वास्तविक सैलरी के आधार पर ज़्यादा पेंशन) को आंतरिक PF ट्रस्ट नियमों से ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। आंतरिक ट्रस्ट के नियम और उनमें बदलाव कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों का फ़ायदा पाने के लिए कोई शर्त नहीं है। छूट प्राप्त संस्थानों (जिनके पास सीलिंग वेज संबंधी आंतरिक नियम हैं और जिनके पास नहीं हैं) के बीच कर्मचारियों की अलग अलग श्रेणी बनाना आर्टिकल 14 के तहत संवैधानिक रूप से मान्य नहीं है। यहाँ तक कि, हाल के हाई कोर्ट के फ़ैसलों (खासकर 14 Nov 2025 को कलकत्ता हाई कोर्ट और 2 Sep 2025 को मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच) ने जनवरी 2025 के EPFO सर्कुलर को रद्द कर दिया है और प्रभावित कर्मचारियों को उच्च पेंशन देने का निर्देश दिया है, यह मानते हुए कि कानूनी फ़ायदों के लिए ट्रस्ट नियमों पर भरोसा करना गलत है।
🤏 हाल के फैसलों की खास बातें
🎯 कोर्ट ने EPFO का आंतरिक ट्रस्ट नियमों के आधार पर उच्च पेंशन देने से मना करना गैर-कानूनी पाया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई थी।
🎯 कलकत्ता हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि आंतरिक ट्रस्ट नियमों की पाबंदियों से फायदेमंद कानूनी नियमों को कम नहीं किया जा सकता, ऐसे सभी नियम कर्मचारी के हक में होना चाहिए।
🎯 न्यायालय ने कड़े शब्दों में कहा कि छूट प्राप्त संस्थानों से संबंधित EPFO के परिपत्र दिनांक 18.01.2025 में दिया गया स्पष्टीकरण सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के पूरी तरह विरुद्ध है क्योंकि EPFO ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों/टिप्पणियों के विरुद्ध अपनी विरोधाभासी और उल्लंघनकारी व्याख्या दी है।
🎯 कोर्ट ने EPFO के काम को फायदेमंद कानून के मकसद के खिलाफ और पूरी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल बताया।
इन फैसलों को देखते हुए, EPFO से उम्मीद की जाती है कि वह कानूनी निर्देशों का पालन करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि संगठित क्षेत्र में वरिष्ठ नागरिकों को गलत तरीके से उच्च पेंशन के फायदों से वंचित न रखा जाए।
माननीय सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालयों के निर्णयों एवं संविधान के विभिन्न अनुच्छेद के तहत प्राप्त विशेषाधिकार के मद्दे नज़र, केंद्र सरकार को दखल देकर उच्च पेंशन की बहाली का त्वरित आदेश देना चाहिए ताकि जीवन के अंतिम पड़ाव में सेवानिवृत एवं वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक जीवन का आधार प्राप्त हो सके।


