संस्थान निर्माता एवं भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेता डॉ. विक्रम अम्बालाल साराभाई की 102वीं जयंती ऑनलाइन मनाई गई


संस्थान निर्माता एवं भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेता डॉ. विक्रम अम्बालाल साराभाई की 102वीं जयंती ऑनलाइन मनाई गई

दुर्ग 13 अगस्त । शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग, के भौतिकी विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त प्रयासों द्वारा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेता डॉ. विक्रम अम्बालाल साराभाई की 102वीं जयंती मनाई गई। विभागाध्यक्ष डॉ. पूर्णा बोस ने छात्रों को सम्बोधित किया, और डॉ. साराभाई के जीवन से जुड़ी रोचक बातें बताईं। नैेक कोऑर्डिनेटर डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने बताया कि डॉ. साराभाई के शोध फलस्वरूप ही यह सम्भव हुआ कि आाज हम मंगल व चाँद पर पहुच पा रहे हैं। भौतिकी परिषद प्रभारी डॉ. अनिता शुक्ला ने छात्रों को प्रोत्साहित किया और कार्यक्रम की सराहना की।

एम.एस. सी. (अंतिम) के आकर्षित बरनवाल ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि आज 102 वीं जयंती पर इसरो ने डॉ. साराभाई को याद करते हुए भारतीय ‘आई इन द स्काई-जी.आई.सैट.-1, ई.ओ.एस.‘ का प्रक्षेपण किया, किन्तु कुछ तकनीकी कारणों की वजह से यह असफल रहा। एम.एस. सी.(अंतिम) की मुक्ति वर्मा ने डॉ. साराभाई के जीवन पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया एवं ओजस्वी वर्मा द्वारा भाषण दिया गया। इसके पश्चात् एम.एस. सी. (प्रथम) की राधेश्वरी साहू व अभिनव सिंह ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन द्वारा डाॅ. साराभाई की उपलब्धियों को बताया। श्रीमती सीतेष्वरी चन्द्राकर एवं डॉ. अभिषेक कुमार मिश्रा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतरत्न एवं भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के प्रेरणास्रोत भी डॉ. विक्रम साराभाई ही थे। डाॅ. साराभाई को शांति स्वरूप भटनागर, पद्मभूषण एवं मरणोउपरांत पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में भौतिकी परिषद की सहसचिव काजल राजपूत ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस आॅनलाईन कार्यक्रम में एम.एस. सी. भौतिकी केे साथ साथ बी.एस. सी. द्वितीय वर्ष के भी विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

 महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने विभाग के इस प्रयास को सराहनीय बताते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलती रहती है। डाॅ. साराभाई ने अपने विचारों को संस्थानों में परिवर्तित किया। इनके परमाणु ऊर्जा, भौतिक विज्ञान, औसधि निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को कभी भी भुलाया नही जा सकता। उनका जीवन विष्वभर के विद्यार्थियों एवं युवा वैज्ञानिकों के प्रेरणा का अनमोल स्त्रोत है। उनके विचार हम सबको ऊर्जान्वित करते रहते हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के सभी प्राध्यापकों का सहयोग रहा ।