ऐसी लागी लगन….! पांडा, पांडे, भारती…अफसरी का रुतबा छोड़ भक्ति मार्ग पर चल पडे़, रातों रात आईजी बन गए थे “राधा”
सीजी आनलाईन न्यूज डेस्क, 29 जुलाई। रातों रात राधा बनने वाले आईजी डीके पांडा की कहानी भला कौन भूल सकता है। 1971 बैच के आईपीएस अफसर पांडा कृष्ण भक्ति में ऐसा सराबोर हुए कि अफसरी के रुतबे को ताक पर रख दिया। 1991 से 2005 तक पांडा का राधा रूप चोरी-छुपे चलता रहा। 2005 के बाद पांडा ने अपने हावभाव और परिधान को सार्वजनिक कर दिया। पूर्व आईजी के इस रूप में आने के बाद वह मीडिया की सुर्खियों में खूब छाए रहे। उन्होंने जब अपने पद से इस्तीफा दिया था तब वह यूपी पुलिस में आईजी थे। उन्हीं की राह पर अब चल पड़ी हैं हरियाणा की महिला आईपीएस भारती अरोड़ा। 50 साल की भारती अब बाकी का जीवन कृष्ण भक्ति में बिताना चाहती हैं।
भारती अरोड़ा हरियाणा की पहली महिला पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है। वह 50 साल की हैं। उन्होंने सरकार से तीन महीने के नोटिस पीरियड से भी छूट देने की गुहार लगाई है। उनके आवेदन पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उनको समझाने का प्रयास कर रहे हैं। नई दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी, 2007 को बम ब्लास्ट हुआ था। इस मामले की जांच में हरियाणा कैडर की आईपीएस भारती अरोड़ा की बड़ी भूमिका थी। उस समय वह हरियाणा राजकीय रेलवे पुलिस में एसपी थीं।
अंबाला रेंज की आईजी भारती अरोड़ा अब बाकी का जीवन कृष्ण भक्ति करते हुए बिताना चाहती हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति वीआरएस के लिए आवेदन किया है।
इसके पहले कृष्ण भक्ति में डूबकर ‘राधा’ का रूप धारण करने वाले पूर्व आईजी डीके पांडा सुर्खियां बने थे। डीके पांडा मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस अधिकारी देवेंद्र किशोर पांडा उर्फ डीके पांडा 2005 में खूब चर्चा में आए थे। तब उन्होंने खुद को दूसरी राधा और कृष्ण की प्रेमिका घोषित कर अपने महिला होने की घोषणा की थी। पूर्व आईजी पांडा का कहना था कि वह तो 1991 में उसी दिन राधा बन गए थे, जब एक बार उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण ने आकर कहा कि वह पांडा नहीं बल्कि उनकी राधा हैं, उनकी प्रेमिका। 1991 से 2005 तक पांडा का राधा रूप चोरी छुपे चलता रहा। 2005 के बाद पांडा ने अपने हावभाव और परिधान को सार्वजनिक कर दिया। पूर्व आईजी के इस रूप में आने के बाद वह मीडिया की सुर्खियों में छाए रहे। वह नवविवाहिता की तरह श्रृंगार करते। मांग में सिंदूर, माथे पर बड़ी-सी बिंदी, हाथों में मेंहदी, कोहनी तक रंग बिरंगी चूड़ियां, कानों में बालियां और नाक में नथुनी, पीला-सलवार कुर्ता, पैरों में घुंघरू और हर पल कृष्णभक्ति में भजन व नृत्य यही उनकी पहचान थी।