सिटी के एडवेंचर में खोया, हाथ आई असफलता, फिर शुरू की तैयारी गांव के हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़कर आज इंटरनेशनल एनजीओ में सेवा दे रहे डॉ. मितेश की पढ़े सफलता की कहानी


सिटी के एडवेंचर में खोया, हाथ आई असफलता, फिर शुरू की तैयारी गांव के हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़कर आज इंटरनेशनल एनजीओ में सेवा दे रहे डॉ. मितेश की पढ़े सफलता की कहानी

भिलाई नगर 10 मई. गांव के हिंदी मीडियम स्कूल में पढऩे वाले मितेश बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखते थे। तब बाल मन को ये पता नहीं था कि डॉक्टर बनने का सफर पथरीली रास्तों से होकर गुजरता है। बचपन का सपना उस वक्त जुनून बन गया जब परिवार के अन्य लोग भी डॉक्टर बनने के लिए मेडिकल एंट्रेस की तैयारी करने लगे। मैं भी कहां पीछे रहने वाला था उनकी मेहनत देखकर मैंने भी ठान लिया अब बनूंगा तो सिर्फ डॉक्टर ही। लगातार तीन साल की कड़ी मेहनत और ड्रॉप के बाद फाइनली मेरा सलेक्शन साल 2012 में सीजी पीएमटी में हो गया। रायपुर मेडिकल कॉलेज से अपने डॉक्टर बनने के सफर की शुरुआत की। ये कहानी है धमतरी जिले के आमदी गांव के रहने वाले डॉ. मितेश कुमार साहू की जो आज एमबीबीएस के बाद मणिपुर में रहकर इंटरनेशनल एनजीओ डॉक्टर्स फॉर यू वर्क के साथ जुड़कर देश के लाखों मरीजों की सेवा कर रहे हैं। डॉ. मितेश कहते हैं कि मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के दौरान कई बार ध्यान छोटी-छोटी बातों से भटक जाता है। कभी-कभी सलेक्शन नहीं होने का डर भी दिल-दिमाग में इस कदर हावी हो जाता है कि हम पढऩा ही छोड़ देते हैं। ऐसे समय में खुद को संभाल कर केवल अपने पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए तभी आप लक्ष्य के करीब पहुंच पाएंगे।

खो गया था सिटी के एडवेंचर में 

डॉ. मितेश ने बताया कि मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए वे भिलाई आए। भिलाई शहर की चकाचौंध भरी दुनिया देखकर मैं सिटी के एडवेंचर में खो गया था। पहले साल माहौल और लोगों को समझने में निकल गया। इस दौरान पढ़ाई पर भी ठीक से फोकस नहीं कर पाया। यही कारण है कि पहले ड्रॉप में रैंक काफी पीछे आया पर इस बीच ये समझ आ गया कि थोड़ी और तैयारी से एमबीबीएस की सीट हासिल की जा सकती है। इसलिए मैंने सेकंड ड्रॉप का मन बनाया। घर वालों ने भी इस फैसले में मेरा साथ दिया और मैं जी-जान से पढ़ाई में जुट गया। दूसरे साल रैंक तो अच्छा आया लेकिन लास्ट काउंसलिंग अटेंड नहीं कर पाया। इसके चलते मेडिकल कॉलेज की सीट नहीं मिल पाई। उसी साल प्री फार्मेसी का भी मैंने एग्जाम दिया था जिसमें रैंक काफी अच्छा था। घर वालों ने कहा कि फार्मेसी कर लो पर मैंने बड़ी हिम्मत जुटाकर तीसरा ड्रॉप लेने का मन बनाया। तीसरे ड्रॉप में मेडिकल एंट्रेस क्वालिफाई कर लिया।

फिजिक्स में होती थी खासी दिक्कत

मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज भिलाई को चुनने वाले डॉ. मितेश ने बताया कि पहले साल फिजिक्स में खासी दिक्कत होती थी। फिजिक्स का न्यूमेरिकल पल्ले ही नहीं पढ़ता था। सचदेवा में एक्सपर्ट टीचर्स की सही गाइडलाइन में धीरे-धीरे फिजिक्स का बेसिक मजबूत हुआ। गांव से निकलकर पहली बार शहर आया था ऐसे में यहां के बच्चों के साथ कॉम्पिटिशन करने में सचदेवा से काफी मदद मिली। यहां टीचर्स सिर्फ स्टडी नहीं बल्कि मेंटली भी बच्चों को काफी सपोर्ट करते हैं। खासकर सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर। वो बच्चों का स्ट्रेस दूर करने के लिए पर्सनली काउंसलिंग से लेकर मोटिवेशनल सेशन तक करते हैं। उनके कई मोटिवेशनल वीडियो देखकर मैं खुद को कठिन समय में आगे बढऩे के लिए बूस्ट करता था। कई बार जब पढऩे का मन नहीं होता था तब उनके वीडियो सुनता और दोबारा रिचार्ज होकर स्टडी पर फोकस करता था। सचदेवा का स्टडी मटेरियल और फ्रेंडली माहौल हिंदी मीडियम के स्टूडेंट के लिए बेस्ट है। यहां के टेस्ट सीरिज में हजारों बच्चों के बीच तैयारी को परखने का मौका मिलता है। 

ग्रुप स्टडी से कॉन्सेप्ट होता है क्लीयर

नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को गु्रप स्टडी करना चाहिए। क्योंकि गु्रप स्टडी करने से कई तरह के डाउट और कॉन्सेप्ट क्लीयर हो जाते हैं। जो डाउट हम क्लासरूम में टीचर से क्लीयर नहीं कर पाते वो दोस्तों के साथ पढ़कर भी क्लीयर हो जाता है। गु्रप स्टडी के दौरान डिस्क्शन भी जरूरी है। सबसे महत्वपूर्ण बात अगर आपका लक्ष्य निश्चित है तो तैयारी में कोई कसर मत छोडि़ए चाहे कितने भी ड्रॉप क्यों न बढ़ जाए। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए।