सीजी न्यूज ऑनलाइन, 15 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की महिला सरपंच सोनम लकरा को उनके पद से हटाने के आदेश को रद्द करते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने सरपंच को अनुचित रूप से परेशान करने और उनके खिलाफ मनमानी कार्रवाई करने वाले अधिकारियों की जांच के निर्देश भी दिए हैं। यह फैसला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सुनाया, जिसमें उन्होंने अधिकारियों की सरपंच के प्रति अनुचित व्यवहार पर नाराजगी जताई और उन्हें कड़ी फटकार लगाई।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सेजबहार ग्राम पंचायत की 27 वर्षीय सरपंच सोनम लकरा को केवल निर्माण कार्यों में देरी का बहाना बनाकर परेशान किया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि मौसम, इंजीनियरों, ठेकेदारों और सामग्री की आपूर्ति में देरी जैसे कारणों की वजह से निर्माण में देरी हो सकती है, जिनके लिए सरपंच को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने कहा कि एक निर्वाचित महिला सरपंच को इस प्रकार के झूठे बहाने से हटाना अधिकारियों की अत्यधिक मनमानी और उनकी भूमिका का दुरुपयोग है।
अधिकारियों द्वारा दिए गए सुझाव पर कि सरपंच को उच्चाधिकारियों के पास जाना चाहिए था, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसा करने का मतलब सरपंच को अपमानित करना है। न्यायालय ने कहा कि अधिकारी अपेक्षा कर रहे हैं कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि किसी छोटे अधिकारी के समक्ष ‘भीख का कटोरा’ लेकर जाए। यह लोकतांत्रिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि उन अधिकारियों की पहचान करें जिन्होंने सरपंच को अनुचित रूप से परेशान किया। राज्य सरकार अब इन अधिकारियों से 1 लाख रुपये की हर्जाने की राशि वसूलने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरपंच सोनम लकरा अब अपना कार्यकाल पूरा होने तक पद पर बनी रहेंगी।
जशपुर जिले की सजबहार ग्राम पंचायत की सरपंच सोनम लकरा, जिन्हें 2020 में निर्वाचित किया गया था, ने अपने गांव में विकास कार्य शुरू कराए थे। परंतु कार्यों में कुछ विलंब होने के कारण उन पर आरोप लगाए गए और 2024 में उन्हें पद से हटा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब सोनम लकरा का पद बहाल कर दिया गया है।