पीएचडी में रिसर्च गाइड के लिए बदल गए नियम, अब इतने शोध पत्र करने होंगे प्रकाशित, डीआरसी का भी बदल गया नाम

<em>पीएचडी में रिसर्च गाइड के लिए बदल गए नियम, अब इतने शोध पत्र करने होंगे प्रकाशित, डीआरसी का भी बदल गया नाम</em>


दुर्ग 30 सितंबर । विश्व विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पीएचडी नियमों में जो परिवर्तन किया गया है, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कार्य परिषद में चर्चा के पश्चात अंगीकृत करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग को प्रेषित कर दिया गया है अनुमोदन के पश्चात शीघ्र ही लागू कर दिया जाएगा ।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा 07 नवंबर 2022 को प्रकाशित असाधारण राजपत्र के माध्यम से पीएचडी संबंधी नियमों में अनेक परिवर्तन किये गये है। इन परिवर्तनों पर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में विस्तार से चर्चा हुई। इन परिवर्तनों को अंगीकृत किये जाने हेतु हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन एवं राजभवन को भेजेगा तत्पश्चात अनुमोदन प्राप्त होने पर पीएचडी अधिनियम 45 में संशोधन के द्वारा सभी परिवर्तित नियम लागू हो जायेेंगे। यह जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि यूजीसी द्वारा परिवर्तित किये गये नियमों में ऐसे प्राध्यापक जिन्हें सेवानिवृत्त के केवल 3 वर्ष शेष बचे है वे किसी नये शोधार्थी को अपने मार्गदर्शन में पीएचडी हेतु पंजीकृत नहीं करा सकते। जो सुधरता पहले से पंजीकृत है केवल उनका मार्गदर्शन पीएसजी समाप्ति तक सेवानिवृत्त के पश्चात् भी जारी रख सकते है।
डाॅ. श्रीवास्तव के अनुसार पूर्व में किसी सहायक प्राध्यापक को शोध निर्देशक के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय उत्कृष्ट मान्यता प्राप्त शोध जर्नल्स में दो शोधपत्रों को प्रकाशित करना अनिवार्य था। परन्तु अब नये नियमों के अनुसार तीन शोधपत्र प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसी प्रकार प्राध्यापकों हेतु 08 सीट, एसोसिएट प्रोफेसर हेतु 06 सीट तथा सहायक प्राध्यापक हेतु 04 सीट के आबंटन में अब सुधरता के सहनिर्देश बनने पर भी रिक्त सीटों में इसे जोड़ा जायेगा। पूर्व में केवल निर्देश बनने पर ही सीटों की गिनती की जाती थी।

महिला शोधार्थियों को 240 दिन का मातृत्व अवकाश की पात्रता भी चिकित्सीय प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के बाद स्वीकृत की जा सकेगी। अबतक महाविद्यालयों के विभागों में गठित की जाने वाली डीआरसी अर्थात डिपार्टमेंटल रिसर्च कमेटी का नाम परिवर्तित कर रिसर्च एडवाइजरी कमेटी कर दिया गया है। पीएचडी में प्रवेश हेतु ली जाने वाली प्रवेश परीक्षा में 70 प्रतिशत अधिभार लिखित परीक्षा को तथा 30 प्रतिशत अधिभार साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर दिया जायेगा।