🔴 किस संकट के लिए कर रहा भारत को तैयार ?
सीजी न्यूज ऑनलाइन 29 जुलाई। भारतीय रिजर्व बैंक लगातार सोने की खरीदारी कर रहा है. भारत का गोल्ड रिजर्व बढ़ रहा है. बीते कुछ सालों से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गोल्ड की खरीदारी बढ़ा दी है. इस जून में फिर से RBI ने सोने की बड़ी खरीदारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जून 2025 में आधा टन सोना और खरीदा है.
भारत के पास कितना है सोना ?
RBI ने जून के आखिरी हफ्ते में फिर से आधार टन सोना खरीद लिया है. आरबीआई की इस गोल्ड शॉपिंग से भारत का गोल्ड रिजर्व बढ़ रहा है. 27 जून से पहले भारत के सोने का भंडार 879.6 टन था, जो इसके बाद बढ़कर 879.8 टन हो गया है. यानी एक हफ्ते में आरबीई ने करीब 4 क्विटंल की फ्रेश खरीदारी की है. इससे पहले अप्रैल 2025 में आरबीआई ने 57.5 टन सोना खरीदा था और इस खरीदारी में उसने चीन को भी पीछे छोड़ दिया था.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है. भारत के फॉरेन एक्सचेंज में सोने की हिस्सेदारी 8.9 फीसदी से बढ़कर 12.1% हो गई है.
आरबीआई क्यों खरीद रहा है इतना सोना ?
सोना सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है. सोना हमेशा से सेफ हेवन यानी मुसीबत के समय काम आने वाला सोर्स समझा जाता है. जिस तरह से आम लोगों सोने की खरीदारी कर संकट के समय खुद को सुरक्षित रखते हैं, उसी तरह से रिजर्व बैंक भी अपना गोल्ड भंडार बढ़ा रहा है. इसके पीछे RBI की रणनीति है कि वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविध बनाकर, जोखिमों से सुरक्षित रखना चाहता है. खास बात ये है कि दुनिया भर के बाजारों में आसमान छू रहे सोने के दाम, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियों और बढ़ेत ट्रेड वॉर की संभावना के बीच आरबीआई ने सोने की शॉपिंग बढ़ा दी है.
इतने सोने का क्या करेगा भारत ?
गोल्ड रिजर्व बढ़कर रिजर्व बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का काम कर रहा है. कहते हैं कि जिसके पास जितना सोना, वो देश उतना ही मजबूत. आरबीआई दम भर सोना खरीदना भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की कोशिशों में लगा है. गोल्ड रिजर्व को बढ़ाकर ग्लोबल वैश्विक अनिश्चितताओं और मंदी के बीच भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित होने से बचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और डॉलर की स्थिति को देकते हुए केंद्रीय बैंक अपने सोने का भंडार बढ़ा रहा है.
कैसे सोना बनता है संकटमोचन ?
गोल्ड रिजर्व को लेकर RBI की यह नीति न केवल आर्थिक स्थिरता बढ़ाएगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और विदेशी कर्ज के जोखिम को भी कम करेगी. सोने का भंडार बढ़ाकर भारतीय रूपये को मजबूती देने की कोशिश हो रही है. आरबीआई की ओर से सोने की खरीदारी भारत की दीर्घकालिक आर्थिक रणनीति का हिस्सा है. जिसकी बदौलत वो वैश्विक वित्तीय अस्थिरता से देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने के साथ-साथ विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित बनाए रख सकता है.